जर्मन हथियारों की बिक्री बढ़ी, खूब बिक रही हैं गोलियां
२६ अक्टूबर २०१६
जर्मन सरकार छोटे हथियारों के निर्यात में कमी कर रही है, लेकिन गोलियों की बिक्री में तेजी आई है. विपक्ष ने खासकर सऊदी अरब जैसे देशों को सैन्य साजो सामान की बिक्री की आलोचना की है.
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जर्मन कंपनियों द्वारा हथियारों की बिक्री पर 2016 के पहले छह महीनों की रिपोर्ट के अनुसार जर्मनी से हथियार खरीदने वाले दस प्रमुख देशों में से पांच संकट क्षेत्रों में है. इनमें अल्जीरिया, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और दक्षिण कोरिया शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल 25वें नंबर पर रहने वाला तुर्की इस साल 8वें नंबर पर आ गया है.
विपक्षी पार्टियां खासकर सऊदी अरब जैसे देशों को हथियार बेचे जाने की आलोचना कर रही हैं. ग्रीन पार्टी के संसदीय दल की सुरक्षा प्रवक्ता अग्निएश्का ब्रुगर कहती हैं, "ये जर्मन सरकार अपने गैरजिम्मेदाराना व्यवहार को जारी रख रही है और बेरोकटोक सारी दुनिया में हथियारों की बिक्री की अनुमति दे रही है."
रिपोर्ट के अनुसार जर्मन सरकार ने 2016 के पहले छह महीनों में 4 अरब यूरो के हथियारों और सैनिक साज सामानों की बिक्री की अनुमति दी है. ये पिछले साल की पहली छमाही के मुकाबले 50 करोड़ यूरो से ज्यादा है. इस राशि का एक चौथाई हिस्सा अल्जीरिया को बेचे गए एक युद्धपोत की बदौलत आया है. इस खरीद के साथ उत्तरी अफ्रीकी देश जर्मनी से सैन्य साजोसामान खरीदने वाले देशों में पहले नंबर पर है.
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कितनी दमदार है इस्राएली सेना?
अरब दुनिया में इस्राएल अकेला गैर मुस्लिम देश है. उसकी आबादी लगभग अस्सी लाख है. लेकिन रणनीति और सैन्य क्षमताओं के कारण वो मध्य पूर्व के सबसे अहम देशों में से एक है.
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गठन
1948 में इस्राएली राष्ट्र के गठन के कुछ समय बाद ही इस्राएली सेना का गठन किया गया, जिसका आधिकारिक नाम इस्राएली डिफेंस फोर्स है.
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युद्धों से पड़ा पाला
गठन के साथ ही इस्राएल को मिस्र, जॉर्डन, सीरिया, लेबनान और इराक के साथ युद्ध लड़ने पड़े. ऐसे में, इस्राएल ने अपनी सैन्य क्षमता को लगातार मजबूत किया.
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दक्षता
यही वजह है कि युद्ध के मोर्चे पर इस्राइल की सैन्य दक्षता की कई बार मिसालें दी जाती हैं.
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गाजा में कार्रवाई
हाल के सालों में इस्राएली सेना गाजा में अपनी कार्रवाई को लेकर चर्चा में रही है. जुलाई 2014 में वहां इस्राएली सेना की कार्रवाई में दो हजार से ज्यादा लोग मारे गए.
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कितने हैं सैनिक
इस्राएली सेना में पौने दो लाख सक्रिय सैनिक हैं जबकि रिजर्व सैनिकों की तादाद साढ़े चार लाख के आसपास है.
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अनिवार्य सेवा
इस्राएल में महिला हो या पुरूष, 18 साल का होने पर हर नागरिक के लिए सेना में अपनी सेवाएं देना अनिवार्य है.
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महिलाओं की भूमिका
आम तौर पर महिलाएं दो साल तक अपनी सेवाएं देती हैं जबकि पुरुष तीन साल. महिलाओं को अक्सर युद्धक अभियानों पर नहीं भेजा जाता है.
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महिला फाइटर
भले ही महिलाओं को युद्धक अभियानों पर न भेजा जाता हो, सेना में महिला पायलट और थल सेना ईकाई हैं.
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अत्याधुनिक साजोसामान
इस्राएल मध्य पूर्व में अमेरिका का अहम सहयोगी है इसलिए उनकी सेना अत्याधुनिक साजोसामान से लैस है.
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परमाणु शक्ति
टैकों, मिसाइलों और लड़ाकू विमानों के अलावा इस्राएल दुनिया के उन चंद देशों में शामिल है जिनके पास परमाणु हथियार बताए जाते हैं.
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ये रिपोर्ट अर्थनीति मंत्री जिगमार गाब्रिएल के अधिकार क्षेत्र में है. एक साल के विकास की तुलना करने पर पता चलता है कि एक साल पहले शरणार्थी संकट शुरू होने के बाद से तुर्की 7.6 करोड़ यूरो के हथियारों की करीद के साथ 8वें नंबर पर आ गया है. दो तिहाई निर्यात विमानों के पुर्जों, मानवरहित विमानों और मोटरों का किया गया है.
जर्मन सरकार के लिए एक अशांत इलाके में स्थिरता का कारक समझा जाने वाला सऊदी इरब इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है. उसने पिछले साल के 19 करोड़ यूरो के मुकाबले इस साल 48.4 करोड़ के हथियार खरीदे हैं. जर्मनी ने विवादित सल्तनत को हेलिकॉप्टर, विमान और हवा में पेट्रोल भरने की मशीनें बेची हैं. सऊदी अरब के नेतृत्व वाला एक गठबंधन मार्च 2015 से यमन में शिया विद्रोहियों के ठिकानों पर बमबारी कर रहा है.
ग्रीन सांसद ब्रुगर ने इस बात की आलोचना की है कि कारोबार रोकने के बदले जर्मन सरकार सऊदी अरब की अमानवीय सरकार को आपूर्ति बढ़ा रही है. रिपोर्ट के अनुसार निर्यात के मूल्य का एक बड़ा हिस्सा कई यूरोपीय देशों द्वारा बनाए गए सिविल हेलिकॉप्टरों का है. इनका उपयोग सीमा सुरक्षा के अलावा बचाव कार्य और विपदा के समय किया जाएगा. इस बिक्री के वजह से सऊदी अरब खरीदारों की सूची में तीसरे स्थान पर चला गया है.
जानिए, सबसे ज्यादा हथियार कौन बेचता है
हथियारों का सबसे बड़ा निर्यातक कौन
स्टॉकहोम इंटरनेशल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने अपनी 2016 रिपोर्ट में बताया है कि साल 2011-15 के बीच वैश्विक हथियार व्यापार में 2006-10 के मुकाबले 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई. देखिए सबसे बड़े निर्यातक देश कौन हैं.
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1. अमेरिका
दुनिया के 58 देश हथियारों का निर्यात करते हैं जिनमें सबसे आगे है अमेरिका. यूएसए 96 देशों को हथियार भेजता है, जिनमें सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात उसके सबसे बड़े खरीदार हैं. 2015 के अंत में ही अमेरिका ने एफ-35 विमानों की बिक्री के एक बड़े ठेके पर हस्ताक्षर किए.
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2. रूस
दुनिया भर के हथियारों के कुल व्यापार में एक चौथाई हिस्सेदारी रूस की है. भारत, चीन और वियतनाम इसके सबसे बड़े खरीदार हैं. भारत के तो 70 फीसदी हथियार रूस से ही आते हैं. इसके अलावा अपने लड़ाकू विमानों, टैंकों, परमाणु पनडुब्बियों और राइफलों को रूस ने यूक्रेन समेत दुनिया के 50 देशों में भेजा.
पिछले सालों में चीन हथियारों के मामले में ज्यादा आत्मनिर्भर हुआ है और आयात कम कर निर्यात को बढ़ाया है. चीन ने पिछले साल 37 देशों को हथियारों की आपूर्ति की, जिनमें पाकिस्तान (35%), बांग्लादेश (20%) और म्यांमार (16%) इसके सबसे बड़े ग्राहक रहे. 2006-10 और 2011-15 के बीच चीनी हथियारों के निर्यात में 88 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई.
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4. फ्रांस
हालांकि फ्रेंच हथियारों के निर्यात में 2010 के बाद से 9.8% की कमी आई है, फिर भी वह दुनिया में चौथे नंबर का आर्म्स एक्सपोर्टर बना हुआ है. यूरोप में उससे बाद आने वाले जर्मनी से निर्यात कम हुआ है. हाल ही मिले कुछ बड़े ठेकों के कारण फ्रांस के अगले साल भी निर्यातकों के टॉप 5 में शामिल रहने का अनुमान है.
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5. जर्मनी
प्रमुख जर्मन हथियारों के निर्यात में वर्ष 2011-15 के बीच 51 फीसदी की कमी आई. इन सालों में जर्मनी ने अपने खास हथियार 57 देशों को भेजे. इन्हें आयात करने वालों में 29 प्रतिशत तो अन्य यूरोपीय देश ही थे. इसके बाद एशिया, अमेरिका, ओशिनिया को 23 प्रतिशत जबकि इतना ही मध्य पूर्व को बेचा गया. अमेरिका, इजरायल और ग्रीस जर्मन हथियारों के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं.
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6. ब्रिटेन
अगर सऊदी अरब (46%), भारत (11%) और इंडोनेशिया (8.7%) जैसे बाजार ना हों तो ब्रिटिश हथियार उद्योग दिवालिया हो जाएगा. साल 2006–10 और 2011–15 के बीच ब्रिटेन से हथियारों का निर्यात करीब 26 प्रतिशत बढ़ा. यूरोप में इसके बाद स्पेन और इटली का स्थान आता है.
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रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि इस साल की पहली छमाही में छोटे हथियारों की बिक्री कम हुई है लेकिन उनके लिए गोलियों की बिक्री बढ़ी है. गोलियों की बिक्री 2.7 करोड़ से बढ़कर 28 करोड़ हो गई. सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के गाब्रिएल के कार्यकाल में जर्मनी से छोटे हथियारों की बिक्री में भारी कमी आई है. जर्मन सरकार का कहना है कि यूरोपीय संघ और नाटो से बाहर समस्या वाले देशों को हथियार बेचने के मामले में संवेदनशील हो गई है. विपक्षी लेफ्ट पार्टी के सांसद यान फान आकेन की मांग है कि छोटे हथियारों की बिक्री पूरी तरह रोकी जानी चाहिए.