जर्मन हथियारों के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि
३० जून २०२४जर्मनी से होने वाले हथियारों का निर्यात इस साल के शुरुआती छह महीनों में 30 फीसदी बढ़ गया है. जर्मनी के आर्थिक मंत्रालय की तरफ से रविवार को जारी आंकड़ों में यह बात कही गई है. एक जनवरी से 18 जून तक सरकार ने 7.48 अरब यूरो के हथियारों के निर्यात को मंजूरी दी है.
रूस नहीं रहा हथियारों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक
2023 में जर्मनी ने पूरे साल में जितने हथियारों का निर्यात किया था, उसके 60 प्रतिशत हथियारों का निर्यात इस साल 18 जून तक हो चुका है. अगर यही रुझान जारी रहा तो साल के आखिर में जर्मनी हथियारों की बिक्री का रिकॉर्ड बनाएगा. पिछले साल जर्मनी ने रिकॉर्ड 12.2 अरब यूरो के हथियार बेचे. इनमें से ज्यादातर यूक्रेन गए, जहां रूसी आक्रमण के बाद युद्ध शुरू हुआ.
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने जब दिसंबर 2021 में सत्ता संभाली थी तो उन्होंने हथियारों की बिक्री को कम करने का वादा किया था, खासकर ऐसे देशों को जो यूरोपीय संघ और नाटो के सदस्य नहीं हैं. फिर भी, हथियारों की बिक्री लगातार बढ़ रही है. जानकार इसकी बड़ी वजह यूक्रेन युद्ध को भी मानते हैं.
ज्यादातर जर्मन हथियार यूक्रेन गए
आंकड़े बताते हैं कि साल के पहले छह महीने में जितने भी हथियार बेचे गए, उनमें से दो तिहाई यूक्रेन में गए. इस साल यूक्रेन को अब तक कुल 4.88 अरब यूरो के हथियार निर्यात किए गए हैं. इस युद्ध के पहले साल में जर्मनी ने यूक्रेन को 2.24 अरब यूरो के हथियारों की बिक्री को मंजूर किया था. इसमें एयर डिफेंस सिस्टम और भारी तोपें भी शामिल थीं.
पिछले साल यूक्रेन को होने वाला हथियारों का निर्यात बढ़कर 4.4 अरब यूरो हो गया. इसमें लियोपार्ड 2 बैटल टैंक भी शामिल थे. अमेरिका के बाद जर्मनी यूक्रेन को हथियारों का निर्यात करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है. फरवरी 2022 में यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद जर्मनी ने अब तक उसे कुल 10.2 अरब यूरो के हथियार निर्यात किए हैं.
सऊदी अरब को हथियारों का निर्यात फिर शुरू
यूक्रेन के बाद जिन अन्य पांच देशों में सबसे ज्यादा जर्मन हथियार निर्यात किए गए हैं, उनमें सिंगापुर (1.21 अरब यूरो), भारत (15.3 करोड़ यूरो), सऊदी अरब (13.24 करोड़ यूरो) और कतर (10 करोड़ यूरो) शामिल हैं.
पिछले साल जुलाई में जर्मनी ने सऊदी अरब को हथियारों के निर्यात पर लगी पाबंदियों में ढील दी, जिसकी वजह से वह फिर से जर्मन हथियारों के पांच सबसे बड़े खरीददारों में शामिल हो गया है. 2018 में सऊदी पत्रकार जमाल खाशोगी की इस्तांबुल के सऊदी कंसुलेट में हत्या के बाद ये प्रतिबंध लगाए गए थे. प्रतिबंधों की एक और वजह यमन का गृह युद्ध भी था जिसमें सऊदी अरब दखल दे रहा था. अब सऊदी अरब और उसके पड़ोसी देश यमन के बीच तनाव घटा है.