जर्मनी में एक पालतू कुत्ते ने एक सात महीने के बच्चे की जान ले ली. इसके बाद इस सवाल पर चर्चा शुरू हो गई है कि कौन सी ब्रीड के कुत्ते पालना सही है.
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कुत्तों से बेहद प्यार करने वाले जर्मन इस खबर से सकते में हैं. हेसेन प्रांत में एक पालतू कुत्ते ने सात महीने के बच्चे को काट खाया जिससे उसकी जान चली गई. यानिस नाम के इस बच्चे का अब पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है ताकि मौत के सही कारण का पता चल सके. रिपोर्टों के अनुसार कुत्ते ने घर के लिविंग रूम में बच्चे पर हमला किया और उसके सर पर काटा. बच्चे के 23 साल के पिता ने फौरन एम्बुलेंस बुलाई और बच्चे को मनहाइम शहर के अस्पताल में भर्ती कराया गया. रिपोर्टों के अनुसार अस्पताल पहुंचने तक बच्चे की हालत गंभीर नहीं थी लेकिन बाद में उसकी स्थिति बिगड़ने लगी.
बच्चे के माता पिता ने अब तक सार्वजानिक रूप से इस बारे में कोई बयान नहीं दिया है. दोनों इस हादसे से सदमे में हैं.
हमला करने वाले पांच साल के कुत्ते का नाम कोवू है, जिसे फिलहाल पुलिस ने शेल्टर में भेज दिया है. पुलिस कुत्ते की नस्ल के बारे में पता लगा रही है. शुरुआती जांच के बाद पुलिस का कहना है कि उन्हें शक है कि यह स्टेफोर्डशायर टेरियर और एक अन्य नस्ल का मिलाजुला रूप है. ठीक जानकारी आने में अभी एक हफ्ता और लग सकता है.
कई देशों में बैन हैं ये खूंखार कुत्ते
भारत में खूंखार कुत्ता पालना स्टेटस सिंबल सा बन गया है. दूसरों की परवाह किए बिना लोग ऐसे कुत्ते पाल रहे हैं जो कई देशों में बैन हैं.
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पिटबुल टेरियर और बुल टेरियर
बेहद आक्रामक और सिरफिरे किस्म की इन प्रजातियों को जर्मनी, डेनमार्क, स्पेन, ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड, रोमानिया, कनाडा, इटली और फ्रांस में बैन किया गया है. ताकतवर जबड़ों वाला पिटबुल अपने इलाके के लेकर बहुत ही गुस्सैल होता है. गुस्सा आने पर मालिक भी इसे काबू नहीं कर पाता है.
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रोटवाइलर
हर वक्त चुस्त रहने वाले रोटवाइलर स्पेन और फ्रांस में बैन है. कुत्ते की यह नस्ल आम तौर पर चौकीदारी में बहुत तेज होती है. इसे ढंग से ट्रेनिंग न दी जाए या मालिक खुद कंप्यूज रहे तो रोटवाइलर को संभालना मुश्किल हो जाता है.
तस्वीर: Eva-Maria Krämer
अकीता इनु
जापान से निकली कुत्ते की यह नस्ल स्पेन और आयरलैंड में बैन है. अकिता आक्रामक किस्म का कुत्ता है. यह बड़े मूडी भी माने जाते हैं. खेल खेल में ये कब भड़क जाएं, अंदाजा लगाना मुश्किल होता है. अमेरिकी केनल क्लब के मुताबिक इस कुत्ते को बच्चों के साथ अकेला नहीं छोड़ना चाहिए.
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मास्टिफ
मास्टिफ प्रजाति में कई किस्मे के कुत्ते आते हैं और ये सभी फ्रांस में प्रतिबंधित हैं. शांत स्वभाव वाले इन कुत्तों में बहुत ज्यादा ताकत होती है. इन्हें घुमाना आसान नहीं. अक्सर ये कमजोर लोगों को अपने साथ चेन या पट्टे समेत खींच ले जाते हैं.
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स्टेफोर्डशायर टेरियर
यह नस्ल भी डेनमार्क, जर्मनी, स्पेन, आयरलैंड, फ्रांस और रोमानिया में बैन है. आम तौर पर स्टेफोर्डशायर टेरियर कुत्ते पारिवारिक माने जाते हैं. लेकिन इनके भीतर भी अपने इलाके को लेकर बहुत ज्यादा संवेदनशीलता होती है. गुस्सा आने पर यह कहना नहीं मानते.
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रूसी शेपर्ड डॉग
डेनमार्क में बैन यह कुत्ता अपनों की बखूबी हिफाजत करता है. लेकिन बाहरी किसी चीज को बर्दाश्त नहीं करता. भले ही वो बच्चे हों, मेहमान हो या जानवर. इस कुत्ते का वजन 36 से 80 किलो तक जा सकता है.
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दरअसल स्टेफोर्डशायर टेरियर, पिट बुल कुत्ते की श्रेणी में आता है और इसे हेसेन प्रांत में खतरनाक कुत्तों की सूची में शामिल किया गया है. इसलिए इस तरह का कुत्ता रखने से पहले स्थानीय प्राधिकरण से अनुमति लेना जरूरी है. मालिक को यह भी साबित करना होता है कि वह इस तरह का कुत्ता पालने में सक्षम है. इस मामले में कुत्ते का पंजीकरण नहीं कराया गया था.
पुलिस का कहना है कि उसने लापरवाही के तहत मानव हत्या का मुकदमा दर्ज किया है पर साथ ही यह भी कहा है कि हो सकता है कि यह महज एक दुखद हादसा रहा हो. बच्ची की मौत के बाद स्थानीय मीडिया में इस सवाल को खूब उठाया जा रहा है कि क्या इस तरह की नस्लों को पालने की अनुमति होनी चाहिए और क्या कुत्तों को पालने से पहले मालिकों को किसी तरह की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए.
आईबी/एनआर (डीपीए)
जर्मनी से निकली कुत्तों की मशहूर नस्लें
बहुत कम लोगों को पता है कि कुत्तों की 10 खास प्रजातियां जर्मनी से निकली हैं. इनमें से कुछ तो दुनिया भर में मशहूर हैं.
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ग्रेट डैन
दुनिया में यह कुत्तों की सबसे बड़ी नस्ल है. यह नस्ल 17वीं शताब्दी में जर्मनी में बनायी गयी. इन्हें शिकार के लिए इस्तेमाल किया जाता था.
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अमेरिकन एस्कीमो डॉग
नाम से लगता है कि यह अमेरिकी नस्ल है, लेकिन ऐसा है नहीं. पहले विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने इसका नाम बदल दिया. अमेरिकी इसे अपने यहां की नस्ल बताते हैं. वही जर्मन अंतरराष्ट्रीय संघ इसे "जर्मन स्पिट्ज" कहता है.
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बॉक्सर
19वीं शताब्दी की शुरुआत में म्यूनिख में तीन जर्मनों ने बुलडॉग और एक अंजाने कुत्ते का क्रॉस कराया. यह प्रयोग कई पीढ़ियों तक किया गया और आखिर में बॉक्सर नस्ल मिली. 1902 के जर्मन रिकॉर्ड में इसका जिक्र है.
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डॉक्सहुंड
डॉक्स का अर्थ है पीछा करने वाला और हुंड का मतलब है कुत्ता. यह कुत्ता शिकार में मदद करता था, साथ ही काटने के लिए भी मशहूर था. इस नस्ल को आज भी मूल रूप से शिकारी कुत्ता माना जाता है.
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छोटा और बड़ा मुंस्टरलांडर
यह नस्ल भी 1902 में आधिकारिक रूप से सामने आई. एडमुंड लोएंस ने यह नस्ल खोजी. इस नस्ल के कुत्ते आज भी बहुत कम दिखाई पड़ते हैं. इनकी ब्रीडिंग में खासे हुनर की जरूरत पड़ती है.
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वायमारानर
सिल्वर चमक वाला यह कुत्ता इंसान का साथ बहुत पसंद करता है. पहली बार इस कुत्ते की ब्रीडिंग जर्मनी के वायमार शहर में हुई. बाद में यह कुत्ते दूसरे देशों तक भी पहुंचे.
19वीं शताब्दी के शुरुआत में टैक्स आदि का पैसा जुटाने वाले अधिकारियों को गश्त में एक रक्षा करने वाले कुत्ते की जरूरत महसूस हुई. वायमार में इसके लिए पिनषर और पाइंटर कुत्ते की ब्रीडिंग कराई गई, जिससे डॉबरमैन पिनषर नस्ल मिली.
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रोटवाइलर
बेहद आक्रामक किस्म के रोटवाइलर कुत्ता, मीट कारोबारियों का साथी था. वह चोरों और जंगली जानवरों से मांस की हिफाजत करता था. इस कुत्ते के जबड़े बहुत मजबूत होते हैं. रोटवाइलर 149 किलोग्राम के दबाव से काट सकता है.
तस्वीर: Eva-Maria Krämer
जर्मन शेपर्ड
इस नस्ल का जिक्र 1899 में 'ब्रीड रजिस्ट्री ऑफ द क्लब ऑफ जर्मन शेपर्ड्स' में मिलता है. पहले विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटिश ने इसका नाम एलसेसियन तो वहीं दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अमेरिकियों ने जर्मन शब्द हटाकर इसका नाम सिर्फ शेपर्ड रखा.
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श्नाउजर
बालों के झुंड वाले इन छोटे कुत्तों की नस्ल को दक्षिण जर्मनी में तैयार किया गया. ये नस्ल चूहे और छछूंदर पकड़ने में माहिर होती है. (रिपोर्ट: कॉनर डिलन/ओएसजे)