जर्मनी में उन तथाकथित प्रोग्रामों और थेरेपी पर प्रतिबंध लग गया है जो एलजीबीटी+ लोगों का “इलाज” करने का दावा करते थे. संसद में नाबालिगों के लिए नए कानून को मंजूरी मिल गई है जिसे तोड़ने वालों को एक साल की जेल हो सकती है.
विज्ञापन
जर्मनी में नए कानून के बनने से वे सारी तथाकथित "कनवर्जन थेरेपी" बैन हो गई हैं जिनमें किसी व्यक्ति के सेक्शुअल ओरिएंटेशन या लैंगिक पहचान को दबाकर उसे किसी तरह विषमलिंगी बनाने की कोशिश की जाती है. खुद भी घोषित रूप से समलैंगिक जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री येंस श्पान ने कहा है, "समलैंगिकता कोई बीमारी नहीं होती है इसलिए उसके लिए थेरेपी शब्द का इस्तेमाल पहले ही गलत है."
नए कानून के अनुसार, 18 साल से कम के नाबालिगों के लिए ऐसी कनवर्जन थेरेपी का किसी भी तरह प्रचार करने या ऐसी सेवाएं देने पर प्रतिबंध लग गया है. इसका उल्लंघन करने वालों को एक साल तक की जेल की सजा या 30,000 यूरो तक का भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है. ऐसे माता-पिता या अभिभावक जो अपने बच्चों को ऐसे प्रोग्राम करवाने के लिए भेजते हैं, उन पर भी देखभाल के अपने दायित्व के उल्लंघन का आरोप लगेगा.
इस तरह की थेरेपी की काफी समय से आलोचना होती रही है कि इसके कारण लोगों को तमाम तरह की गंभीर मनोवैज्ञानिक और शारीरिक तकलीफें झेलनी पड़ती हैं. कई अध्ययन दिखा चुके हैं कि प्रभावित लोगों में अवसाद, घबराहट और आत्महत्या की रुझान बढ़ जाती है. हालांकि इस कानून में इस तरह की गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाया गया है फिर भी यह प्रावधान है कि अगर किसी वयस्क को भी झूठ बोलकर, धोखे से या धमकी देकर ऐसी थेरेपी में भेजा जाए तो उस मामले में भी सजा मिलेगी.
10 जीव जो बताते हैं कि समलैंगिकता प्राकृतिक है
समान लिंग वाले जीवों का जोड़ा बनाना ना केवल सामान्य है बल्कि बहुत आम है. रिसर्च बताते हैं कि करीब 1500 ऐसे जीव हैं जो समलैंगिक जोड़े बनाते हैं. इनमें कीड़े मकोड़ों से लेकर चिड़िया और स्तनधारी भी शामिल हैं.
लंबी गरदन वाले जिराफ विपरीत लिंग की बजाय समान लिंग वालों से ज्यादा सेक्स करते हैं. अध्ययन से पता चलता है कि समलैंगिक सेक्स जिराफों में दूसरी यौन गतिविधियों की तुलना में करीब 90 फीसदी ज्यादा होता है.नर जिराफ रिझाने की कला में खूब माहिर होते हैं. आपस में गर्दन मिलाना एक तरह की कामुक क्रिया है जो घंटों चलती है.
तस्वीर: imago/Nature Picture Library
बड़ी सामाजिक हैं बॉटलनोज डॉल्फिन
बॉटलनोज डॉल्फिन में नर और मादा दोनों ही समलैंगिक व्यवहार दिखाते हैं. इनमें मौखिक क्रियाएं भी हैं जिनमें डॉल्फिन थूथन से साथी को उत्तेजित करते हैं. बॉटलनोज डॉल्फिन की दुनिया में समलैंगिक गतिविधियां विपतरीन लिंगी सेक्स जितनी ही होती हैं. नर बॉटलनोज डॉल्फिन आम तौर पर बाइसेक्सुल होते हैं लेकिन उनमें कुछ ऐसे दौर भी आते हैं जब वो केवल समलैंगिक संबंध बनाते हैं.
समलैंगिकता शेरों में भी बहुत आम है. दो या चार शेर अक्सर साथ मिल कर रहते हैं जहां वे शेरनियों को साथ लाने के लिए मिल कर काम करते हैं. दूसरे समूहों से बचाव के लिए वह एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं. आपसी निष्ठा को मजबूत करने के लिए वे एक दूसरे के साथ समलैंगिक संबंध बनाते हैं. कई वैज्ञानिकों ने इसे "ब्रोमैंस" की संज्ञा दी है जो ब्रदर और रोमांस के मिलने से बना है.
तस्वीर: ARTIS/R. van Weeren
एक दूसरे पर चढ़ते जंगली भैंसे
जंगली भैंसों में समलैंगिक सेक्स विपरीत लिंगी सेक्स की तुलना में कहीं ज्यादा होता है. इसकी वजह ये है कि मादाएं साल में केवल एक बार भैंसों के साथ संबंध बनाती हैं. जोड़ियां बनाने के मौसम में उत्तेजित नर दिन में कई बार समलैंगिक संबंध बनाते हैं. इसके अलावा युवा भैंसों में तो तकरीबन आधी से ज्यादा सेक्स गतिविधियां समलैंगिक ही होती हैं.
तस्वीर: imago/Nature Picture Library
लंगूरों की एक रात वाली दोस्ती
अफ्रीकी लंगूरों में नर और मादा दोनों समलैंगिक सेक्स करते हैं. हालांकि नर लंगूर केवल एक रात के लिये ऐसा करते हैं लेकिन मादा दूसरी मादा के साथ बहुत गहरा रिश्ता कायम कर लेती है. अफ्रीकी लंगूरों के कुछ समुदाय में तो मादाओं का समलैंगिक संबंध ही सामान्य है. जब मादा नर के संपर्क में नहीं रहती तो वो दूसरी मादा के साथ सोती और सब काम करती है. ये एक दूसरे की बाहरी दुश्मनों से रक्षा भी करती हैं.
तस्वीर: picture alliance/robertharding
एल्बेट्रॉस के जोड़े
हवाई द्वीप में घोसला बनाने वाले ये पक्षी अपने समलैंगिक संबंधों के लिए विख्यात हैं. ओआहू द्वीप में रहने वाले 30 फीसदी से ज्यादा जोड़े दो मादाओं से मिलने से बने हैं. ये समलैंगिक होते हैं और अक्सर पूरी जिंदगी साथ रहते हैं क्योंकि चूजों को सही ढंग से पालने के लिए दो की जरूरत होती है. बच्चों का पिता जोड़े से बाहर कोई और नर होता है जो किसी और के साथ जोड़े में बंधा होता है.
तस्वीर: imago/Mint Images
कामुक बॉनोबोस
इन्हें पिग्मी चिम्पैंजी कहा जाता था. यह इंसानों के सबसे करीबी जीवित रिश्तेदार हैं और मजे के लिये सेक्स करने वालों में सिरमौर हैं. ये खूब जोड़े बनाते हैं और उसमें समलैंगिक जोड़े भी होते हैं. यह ऐसा मजे के लिए करते हैं लेकिन रिश्ता भी जुड़ता है, सामाजिक जीवन आगे बढ़ता है और तनाव घटता है. करीब दो तिहाई समलैंगिक संबंध मादाएं बनाती हैं. घास पर एक नर को दूसरे के साथ यूं गुत्थमगुत्था होना खूब भाता है.
तस्वीर: picture-alliance/F. Lanting
हंसों का हर पांचवां जोड़ा समलैंगिक
कई परिदों की तरह हंस भी समलैंगिक होते हैं और एक ही साथी के साथ कई कई वर्षों तक रहना पसंद करते हैं. वास्तव में हंसों के करीब 20 फीसदी जोड़े समलैंगिक होते हैं और वे अक्सर अपना परिवार एक साथ शुरू करते हैं. कई बार जोड़े का एक हंस किसी मादा के साथ संबंध बनाता है और जब वह अंडे देती है तो उसे दूर भगा देता है. कुछ दूसरे मामलों में वे दूसरों के अंडों को भी अपना लेते हैं.
नर दरियाई घोड़े चार साल की उम्र में आकर सेक्स के लिए परिपक्व होते हैं. इसके पहले वे पूरी तरह समलैंगिक होते हैं. एक बार जब उनमें परिपक्वता आ जाती है तो ज्यादातर नर बाइसेक्सुआल हो जाते हैं. प्रजनन काल में वे मादाओं के साथ संबंध बनाते हैं जबकि साल के बाकी हिस्से में वो नर के साथ संबंध बनाते हैं. संबंध केवल सेक्स तक ही नहीं रहता, वे एक दूसरे से लिपट के सोते हैं और पानी में भी अक्सर साथ ही रहते हैं.
तस्वीर: imago/Nature in Stock
भेड़ों का रुझान
रिसर्च से पता चलता है कि करीब 8 फीसदी नर भेड़ दूसरे नर को ही पसंद करते हैं, मादा भेड़ आस पास मौजूद हो तब भी. हालांकि यह केवल पालतू भेड़ों के साथ होता है. समलैंगिक भेड़ों के मस्तिष्क की बनावट अलग होती है और उनमें सेक्स के हार्मोन्स कम बनते हैं.
तस्वीर: Getty Images/M. cardy
10 तस्वीरें1 | 10
कानून देता है ‘साफ संकेत'
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की कंजर्वेटिव पार्टी, सरकार में उनकी गठबंधन सहयोगी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी और उदारवादी एफडीपी पहले से ही इस तरह का प्रतिबंध लगाने के पक्ष में रही हैं. धुर दक्षिणपंथी एएफडी पार्टी ने मोटे तौर पर अब तक इस मुद्दे से दूरी बना रखी है. लेफ्ट पार्टी और ग्रीन पार्टी इस पर वोटिंग से बाहर रहे हैं लेकिन उनका तर्क रहा है कि यह कानून वयस्क युवाओं को सुरक्षित रखने के लिए काफी नहीं है.
जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में मतदान से पहले स्वास्थ्य मंत्री श्पान ने विपक्षी पार्टियों के आरोपों के जवाब में कहा कि ऐसा नहीं है कि इससे 18 से 26 साल वाले युवाओं को सुरक्षा नहीं मिलेगी. उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया कि बैन में इस तरह की आयुसीमा क्यों रखी गई है.
जर्मन कानून के अंतर्गत, नाबालिगों को सुरक्षित रखना ज्यादा आसान है लेकिन वयस्कों के लिए ऐसे मामलों में कई और कानूनी अधिकारों का भी पालन करना पड़ता है, जैसे कि वयस्कों के लिए देश के संविधान में फ्रीडम ऑफ स्पीच और विवेक का कानून भी है जो इस तरह के बैन के आड़े आ सकता है.
समलिंगी लोगों का ‘कनवर्जन'
जर्मन दंड संहिता से 1994 में ही समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा लिया गया था. तथाकथित "कनवर्जन थेरेपी" में समलैंगिक लोगों का कई तरह से इलाज कर उन्हें विषमलिंगी बनाने की कोशिश की जाती है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी व्यक्ति के सेक्शुअल ओरिएंटेशन को बदलने के लिए जिस तरह के मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक उपाय किए जाते हैं, वे अवैज्ञानिक, अप्रभावी और अक्सर हानिकारक होते हैं.
कनवर्जन थेरेपी में इस्तेमाल होने वाले कुछ सबसे विवादित तरीकों में से एक है लोगों को समलैंगिक गतिविधियों की तस्वीरें दिखाते हुए बिजली के झटके देना या फिर गे पुरुषों के शरीर में नर हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन के इंजेक्शन लगाना. माग्नुस हिर्शफेल्ड फाउंडेशन के अनुसार इसके अलावा समलिंगी लोगों की "अकल को ठिकाने पर लाने” के लिए कुछ तथाकथित "कोच" और थेरेपिस्ट ना केवल प्रार्थनाएं करते हैं बल्कि कई बार झाड़-फूंक का सहारा भी लेते हैं.
कब कहां मिला समलैंगिकों का शादी का अधिकार
ऑस्ट्रेलिया की संसद ने समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता देने वाला बिल पास कर दिया है. दुनिया के कई और देशों ने पहले ही इस तरह की शादियों को कानूनी रूप से वैध शादी का दर्जा दे रखा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Sankar
नीदरलैंड्स (अप्रैल 2001)
तस्वीर: picture alliance/NurPhoto/R. A. Fernandez
बेल्जियम (जून 2003)
तस्वीर: Reuters/E. Vidal
कनाडा (जुलाई 2005)
तस्वीर: picture-alliance/AP
स्पेन (जुलाई 2005)
तस्वीर: AP
दक्षिण अफ्रीका (नवंबर 2006)
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Ludbrook
नॉर्वे (जनवरी 2009)
तस्वीर: Imago
स्वीडन (मई 2009)
तस्वीर: picture-alliance/dpa
आइसलैंड (जून 2010)
तस्वीर: Imago/Pemax
पुर्तगाल (जून 2010)
तस्वीर: Francisco Leong/AFP/Getty Images
अर्जेंटीना (जुलाई 2010)
तस्वीर: picture-alliance/dpa
डेनमार्क (जून 2012)
तस्वीर: picture alliance/dpa/M. Antin
उरुग्वे (अप्रैल 2013)
तस्वीर: Pablo Porciuncula/AFP/Getty Images
फ्रांस (मई 2013)
तस्वीर: Reuters
न्यूजीलैंड (अगस्त 2013)
तस्वीर: picture-alliance/AP
ब्रिटेन (मार्च 2014)
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Halle'n
स्कॉटलैंड (दिसंबर 2014)
तस्वीर: Andy Buchanan/AFP/Getty Images
ब्राजील (दिसंबर 2014)
तस्वीर: Getty Images
लग्जमबर्ग(जनवरी 2015)
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Julien Warnand
आयरलैंड (मई 2015)
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Crawley
संयुक्त राज्य अमेरिका (जून 2015)
तस्वीर: Josh Edelson
कोलंबिया (अप्रैल 2016)
तस्वीर: picture-alliance/dpa
फिनलैंड (मार्च 2017)
तस्वीर: picture-alliance/dpa
माल्टा (जुलाई 2017)
तस्वीर: Reuters/D. Zammit Lupi
ऑस्ट्रेलिया (दिसंबर 2017)
तस्वीर: Reuters/AAP/L. Coch
भारत (सितंबर 2018)
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Sankar
25 तस्वीरें1 | 25
विकसित देश भी इस मामले में काफी पिछड़े
एक ओर स्विट्जरलैंड, माल्टा, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका के कुछ इलाकों में इस तरह की थेरेपी पर प्रतिबंध लग चुका है तो वहीं पोलैंड जैसे अन्य यूरोपीय देशों में गे और लेस्बियन लोगों को कई तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है. समलैंगिकों के अधिकारों की वकालत करने वाले जर्मनी के माग्नुस हिर्शफेल्ड फाउंडेशन का कहना है कि देश में हर साल करीब 1,000 लोगों की इस तरह की तथाकथित थेरेपी करवाई जाती है.
बाल्कन देशों में एलजीबीटी+ समुदाय के लोग हिंसा और भेदभाव के डर के साथ जीते हैं तो रूस जैसे देशों में समलैंगिकता को किसी अपराध की तरह देखा जाता है और अपनी यौन पहचान को खुलेआम जाहिर करने पर जुर्माना और सजा हो सकती है. कुल मिलाकर विश्व के एक तिहाई देशों में अब भी समलैंगिक होना अपराध समझा जाता है. अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान और सऊदी अरब जैसे कई देशों में इसके लिए मौत की सजा हो सकती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1991 में समलैंगिकता को अपनी बीमारियों की सूची से निकालने का कदम उठाया था. इसका संदेश साफ था कि जो रोग ही नहीं है उसका इलाज करने का कोई भी प्रयास गलत और अनैतिक माना जाना चाहिए. फिर भी यूसीएलए स्कूल ऑफ लॉ के विलिसम्स इंस्टीट्यूट थिंक टैंक के अनुसार, अमेरिका में कोई सात लाख लोग ऐसी "थेरेपी” से गुजर चुके हैं और इनमें से आधे 18 साल से कम उम्र के थे. मनोवैज्ञानिक थेरेपिस्टों के अलावा कई धार्मिक गुरु ऐसी थेरेपी करते आए हैं.
विलिसम्स इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि इस समय भी अमेरिका में 13 से 17 साल की उम्र के करीब 57,000 लोग धार्मिक या आध्यात्मिक सलाहकारों के माध्यम से इस तरह की थेरेपी झेल रहे हैं. जहां कानूनी रूप से लाइसेंसधारक हेल्थ प्रोफेशनल्स को ऐसी सेवाएं देने पर रोक हैं वहां भी धार्मिक संगठन उसे धता बताकर "कनवर्जन थेरेपी” देते आए हैं.