तथाकथित नव-नाजी आतंकी समूह ‘नॉर्डआडलर' पर जर्मनी ने प्रतिबंध लगा दिया है. जर्मनी के चार राज्यों में इस गुट से जुड़े होने के संदेह में कई लोगों के घरों पर पुलिस के छापे पड़े. इनमें सबसे ज्यादा आबादी और सबसे बड़ी आप्रवासी आबादी वाले राज्य नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया के अलावा सैक्सनी, ब्रैंडनबुर्ग और लोअर सैक्सनी शामिल हैं.
इस गुट के बारे में जानकारी देते हुए गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्विटर पर लिखा कि यह समूह अपनी ज्यादातर गतिविधियां ऑनलाइन ही चलाता आया है. बैन के फैसले के समर्थन में कहा गया कि "दक्षिणपंथी कट्टरवाद और एंटी-सेमिटिज्म की इंटरनेट पर भी कोई जगह नहीं है."
मंत्रालय ने जानकारी दी है कि यह समूह नेशनल सोशलिस्ट विचारधारा को मानने वाला था और चार अन्य नामों से भी सोशल मीडिया पर सक्रिय था. अपने हर प्लेटफॉर्म पर यह खुद को जर्मन जनता का प्रतिनिधि बताता था.
हिंसक वारदातें करने की थी योजना
मंत्रालय से मिली जानकारी से पता चलता है कि इस गुट ने सदस्य एडोल्फ हिटलर की विचारधारा के समर्थक हैं और आपस में भी नाजी प्रतीकों, चिन्हों और भाषावली का इस्तेमाल करते थे. प्रशासन को पता चला है कि यह लोग एक नेशनल सोशलिस्ट सेटलमेंट प्रोजेक्ट की योजना बना रहे थे, जहां एक तरह की सोच रखने वाले लोग साथ रह सकें.
सन 2018 में भी इस गुट को निशाना बना कर पुलिस ने छापे डाले थे. उसके बाद इस समूह के संस्थापक माने जाने वाले व्यक्ति ने देश के सार्वजनिक प्रसारक एनडीआर से बातचीत में कहा था कि वह खुद को एक नाजी मानता है और आगे चलकर उनके लोग कई नेताओं को निशाना बनाना चाहते हैं.
उस समय जब मामला अदालत पहुंचा तो पता चला कि इस समूह के सदस्यों ने हथियार, गोली, कारतूस और विस्फोटक पदार्थ खरीदने की कोशिशें भी की थीं.
गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार जर्मनी में किसी दक्षिणपंथी गुट पर लगा यह आज तक का 20वां और इस साल का तीसरा बैन है. इससे पहले इसी साल जनवरी में "कॉम्बैट 18" और मार्च में "यूनाइटेड जर्मन पीपल्स एंड ट्राइब्स" नामक गुटों पर प्रतिबंध लग चुका है. घरेलू रक्षा एजेंसी के मुताबिक जर्मनी में 12,700 से अधिक ऐसे अति-दक्षिणपंथी हैं, जिनके हिंसक होने का संहेद है.
आरपी/एके (डीपीए, एएफपी)
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सबसे क्रूर नाजी नेताओं में शुमार हाइनरिष हिमलर की एक डायरी सार्वजनिक हुई, जिसमें उसने 1937-38 और 1944-45 यानि दूसरे विश्व युद्ध के पहले और अपने आखिरी दिनों का ब्यौरा दर्ज किया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpaमॉस्को स्थित जर्मन इतिहास संस्थान (डीएचआई) अगले साल हिमलर की उन डायरियों को प्रकाशित करने जा रहा है जिसमें दूसरे विश्व युद्ध के ठीक पहले और बाद के दिनों में उसकी ड्यूटी के दौरान जो भी घटा वो दर्ज है. कुख्यात नाजी संगठन एसएस के राष्ट्रीय प्रमुख की यह आधिकारिक डायरी 2013 में मॉस्को के बाहर पोडोल्स्क में रूसी रक्षा मंत्रालय ने बरामद की थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpaडायरी में हिमलर अपने अगले दिन की योजना के बारे में टाइप करके लिखता था. इसे देखकर जाना जा सकता है कि तब हिमलर के दिन कैसे गुजरते थे. इसमें तमाम अधिकारियों, एसएस के जनरलों के साथ रोजाना होने वाली बैठकों के अलावा मुसोलिनी जैसे विदेशी नेताओं से मुलाकात की बात दर्ज है. इसके अलावा आउशवित्स, सोबीबोर और बूखेनवाल्ड जैसे यातना शिविरों के दौरे का भी जिक्र है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/CAMO/DHI Moskauहिमलर की सन 1941-42 की डायरी 1991 में ही बरामद हो गई थी और उसे 1999 में प्रकाशित किया गया था. हिमलर को अडोल्फ हिटलर के बाद नंबर दो नेता माना जाता था. 23 मई 1945 को ल्यूनेबुर्ग में ब्रिटिश सेना की हिरासत में आत्महत्या करने वाले हिमलर ने अपने जीवनकाल में एसएस प्रमुख के अलावा, गृहमंत्री और रिप्लेसमेंट आर्मी के कमांडर के पद संभाले थे.
तस्वीर: Archiv Reiner Moneth, Nordenसभी यातना शिविरों के नेटवर्क के अलावा घरेलू नाजी गुप्तचर सेवा का काम भी हिमलर देखता था. हिमलर के अलावा ऐसी डायरी नाजी प्रोपगैंडा प्रमुख योसेफ गोएबेल्स रखता था. इन डायरियों से होलोकॉस्ट के नाम से प्रसिद्ध यहूदी जनसंहार में हिमलर की भूमिका साफ हो जाती है. डायरी में दिखता है कि उसने यातना शिविरों और वॉरसॉ घेटो का भी दौरा किया और वहां यहूदियों की सामूहिक हत्या करवाई.
तस्वीर: picture-alliance/dpaजर्मन दैनिक "बिल्ड" में प्रकाशित इस डायरी के कुछ अंशों में दिखता है कि 4 अक्टूबर, 1943 को हिमलर ने पोजनान में एसएस नेताओं के एक समूह को संबोधित किया. इस तीन घंटे के भाषण में हिमलर ने "यहूदी लोगों के सफाए" की बात कही थी. आधिकारिक तौर पर किसी नाजी नेता के होलोकॉस्ट का जिक्र करने के प्रमाण दुर्लभ ही मिले हैं. हिमलर यूरोप के साठ लाख यहूदियों के खात्मे का गवाह और कर्ताधर्ता रहा.
तस्वीर: picture-alliance/dpaनाजी काल के विशेषज्ञों को पूरा भरोसा है कि यह डायरी और दस्तावेज सच्चे हैं. रूस की रेड आर्मी के हाथ लगी इस डायरी के 1,000 पेजों को 2017 के अंत तक दो खंडों वाली किताब के रूप में प्रकाशित किया जाएगा.
तस्वीर: APपोडोल्स्क आर्काइव में करीब 25 लाख पेजों वाले ऐसे दस्तावेज मौजूद हैं जिन्हें युद्ध के दौरान रेड आर्मी ने बरामद किया था. अब इन्हें डिजिटलाइज किया जा रहा है और रूसी-जर्मन संस्थानों द्वारा प्रकाशित भी.
तस्वीर: picture-alliance/dpaडायरी में एक दिन की एंट्री देखिए- 3 जनवरी, 1943: हिमलर अपने डॉक्टर के पास "थेरेपी मसाज" के लिए गया. मीटिंग्स कीं, पत्नी और बेटी से फोन पर बातें कीं और उसी रात मध्यरात्रि को अनगिनत पोलिश परिवारों को मरवा दिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइन दस्तावेजों से हिमलर की विरोधाभासी तस्वीर उभरती है. एक ओर वो सबका ख्याल रखने वाला पारिवारिक व्यक्ति था तो दूसरी ओर अवैध संबंध के तहत मिस्ट्रेस रखता था और उसकी नाजायज संतान भी थी. वो ताश खेलने और तारे देखने का शौकीन था तो यातना शिविरों में आंखों के सामने लोगों को मरते देखने का भी.
तस्वीर: picture-alliance/dpaहिमलर की अपनी सेक्रेटरी हेडविग पोटहास्ट के साथ भी दो संतानें थीं. डायरी में उसने 10 मार्च, 1938 को नाजी प्रोपगैंडा प्रमुख योसेफ गोएबेल्स के साथ जाक्सेनहाउजेन के यातना शिविर का दौरा करने और 12 फरवरी, 1943 को सोबीबोर में तबाही को देखने जाने का ब्यौरा लिखा है. ऐसी विस्तृत और पक्की जानकारी पहली बार हिमलर की डायरी के कारण ही सामने आई है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa