1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दिलचस्प है जर्मनी में जारी समाज कल्याण की बहस

बेंजामिन नाइट
१६ नवम्बर २०२२

जर्मनी में समाज कल्याण के तहत बेरोजगारों को हर महीने भत्ता मिलता है. सरकार इसे सिस्टम को सुधार कर और लचीला बनाना चाहती हैं. विरोध कर रहा विपक्ष इसे मेहनत करने वालों के साथ अन्याय बता रहा है.

जर्मनी में बेरोजगारी
तस्वीर: Hendrik Schmidt/dpa/picture alliance

जर्मन सरकार सोशल वेलफेयर सिस्टम (समाज कल्याण तंत्र) में बड़े बदलावों की योजना बना रही है. इन सुधारों को विपक्ष में बैठी सीडीयू और सीएसयू के रुढ़िवादी गठबंधन ने ब्लॉक कर दिया है. जर्मन संसद के ऊपरी सदन बुंडेसराट में सीडीयू-सीएसयू की प्रांतीय सरकारों ने बुर्गरगेल्ड (नागरिकों का पैसा) नाम के नये प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. बुर्गरगेल्ड नाम की यह योजना जनवरी 2023 से लागू करने की तैयारी थी. जर्मनी में फिलहाल बेरोजगारों को जीवन यापन के लिए हर महीने एक भत्ता दिया जाता है. इसे हार्त्स फिय कहा जाता है.

जर्मनी में बेरोजगारी भत्ता की व्यवस्था को बदलने का विरोध क्यों

जर्मन संसद के मुख्य सदन, बुंडेसटाग में पिछले हफ्ते चासंलर ओलाफ शॉल्त्स की सेंटर लेफ्ट गठबंधन सरकार ने इस प्रस्ताव को पास किया था. सरकार में शॉल्त्स की पार्टी एसडीपी और ग्रीन व एफडीपी पार्टियां शामिल हैं. प्रस्ताव को ब्लॉक किए जाने के बाद अब सरकार और विपक्ष को इस मुद्दे पर समझौते तलाशने होंगे.

एक कड़वी प्रतिस्पर्धा

जर्मनी के श्रम मंत्रालय ने बुर्गरगेल्ड को शॉल्त्स प्रशासन का सबसे बड़ा और निडर सुधार कार्यक्रम करार दिया है. प्रस्ताव के तहत बेरोजगारों को मिलने वाली बुनियादी रकम बढ़ाने और भत्ते से जुड़ी कई बंदिशों को कम करने की योजना है.

जर्मनी में फिलहाल बेरोजगारी दर 10 फीसदी से ज्यादा है, वहीं जॉब मार्केट के हालात काफी अलग हैं. एक तरफ बेरोजगारी है तो दूसरी तरफ कई सेक्टरों में कुशल कामगारों की भारी कमी है. सरकार को उम्मीद है कि नये प्रस्ताव से ज्यादा लोगों का रोजगार सुरक्षित रहेगा.

नये प्रस्ताव पर सरकार और विपक्ष के बीच सैद्धांतिक मतभेद पहले से साफ थे. हाल के हफ्तों में इनमें कड़वाहट घुली है. पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी सीडीयू और उसकी सहयोगी पार्टी सीएसयू का कहना है कि बुर्गरगेल्ड सुधार, "मदद और चुनौती" के सिद्धांत का अंत होगा. मदद और चुनौती के सिद्धांत के तहत बेरोजगारों को भत्ता पाने के बदले कई चीजें करनी पड़ती हैं. सीडीयू और सीएसयू का दावा है कि बंदिशें हटाने पर कई बेरोजगार, नौकरी खोजने के लिए जरूरी कोशिशें नहीं करेंगे.

10,000 लोगों को नौकरी से निकालेगी एमेजॉन: रिपोर्ट

जर्मनी में समाज कल्याण के कामों से जुड़ी संस्थाओं का कहना है कि देश के गरीबों के लिए किए जा रहे ये सुधार भी, बढ़ती महंगाई और महंगे होते खान पान के सामने कमजोर हैं.

सीएसयू के प्रमुख मार्कुस शोएडर अपने ट्वीट में कहते हैं कि बुर्गरगेल्ड "पूरी तरह एक गलत संकेत है."  उनके मुताबिक, "यह एक सामाजिक अन्याय है और यह कठिन परिश्रम करने वालों को नुकसानदेह स्थिति में रखता है. हमारे लिए यह साफ है: उपलब्धि से आय होनी चाहिए!"

एक दोस्ताना वेलफेयर सिस्टम

सरकार के बुर्गरगेल्ड सुधार में कई प्लान शामिल हैं. इसमें सबसे मुख्य है, तुरंत मासिक वेलफेयर पेमेंट में 53 यूरो का इजाफा, यानि कुल रकम को 502 यूरो करना. यह जर्मनी की मौजूदा 10 फीसदी मुद्रास्फीति से जरा सा ज्यादा है. सीडीयू और सीएसयू भी इस वृद्धि को जरूरी बता रहे हैं.

हालांकि अन्य मसौदों पर सीडीयू और सीएसयू को कड़ी आपत्तियां हैं. मसलन नये प्रस्ताव में वेलफेयर के लाभार्थी को 60,000 यूरो तक की संरक्षित संपत्ति का अधिकार है. साथ ही लाभार्थी, अपने ऊपर निर्भर परिवार के लोगों के लिए इस संपत्ति में 30,000 प्रति व्यक्ति के हिसाब से बढोत्तरी कर सकता है.

मौजूदा हार्त्स फिय सिस्टम में यह सीमा बहुत कम है. इसके तहत अपनी उम्र के हिसाब से लाभार्थी हर साल 150 यूरो की संरक्षित संपत्ति जमा कर सकता है. यानी अगर कोई 50 साल का हो तो वह 7,500 यूरो से ज्यादा की संपत्ति नहीं रख सकता है. इससे ज्यादा संपत्ति होने पर उसे समाज कल्याण सिस्टम का फायदा नहीं मिलेगा.

इसके अलावा, नौकरी तलाशने में मदद करने वाली एजेंसी की शर्तें ना पूरी कर पाने वाले लाभार्थियों के लिए भी नये प्रस्ताव में कुछ बंदिशें घटाई गई हैं. योजना के मुताबिक नौकरी खोने के बाद के पहले छह महीनों में बुर्गरगेल्ड "विश्वास की अवधि" के तहत दिया जाएगा. इस दौरान अगर लाभार्थी जॉब सेंटर के अप्वाइंटमेंट में नहीं भी जाए तो भी उसे पूरा फायदा मिलता रहेगा.

जर्मनी में नौकरी तलाशने में बेरोजगारों की मदद करने वाले जॉब सेंटरतस्वीर: Eckhard Stengel/imago images

हार्त्स फिय के तहत ऐसी बंदिशें बेहद कड़ी हैं. हालांकि कोविड-19 महामारी के दौरान कई बंदिशों से छूट दी गई.

नये सुधार के तहत लाभार्थी के घर का जिक्र भी है. नया प्रस्ताव कहता है कि अगर किसी की नौकरी चली भी जाए तो उसे जबरन घर से बाहर नहीं निकाला जा सकता है. सरकार कहती है ये सुधार "हर व्यक्ति की गरिमा" की रक्षा करने के लिए हैं.

दोस्ती इम्तिहान लेती है

सीडीयू के शीर्ष नेता फ्रिडरिष मेर्त्स ने जर्मन अखबार वेल्ट आम जोनटाग से बात करते हुए कहा कि "ये रास्ता टैक्स के पैसे से बिना शर्त बेसिक तनख्वाह देने जैसा है." वह कहते हैं कि इस मामले में सरकार के साथ किसी समझौते तक पहुंचने की गुंजाइश बहुत कम है.

जर्मनी के श्रम मंत्री हुबेर्टुस हाइल सीडीयू और सीएसयू के रुख की आलोचना कर रहे हैं. डॉयचलांडफुंक रेडियो से बात करते हुए हाइल ने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि काम का पैसा मिले, लेकिन हमें एक बड़ी तस्वीर की तरह समाज पर भी नजर रखनी होगी, इसमें वो भी शामिल हैं जो गरीबी के जोखिम में हैं. इसीलिए नागरिकों की आय को लेकर किया जा रहा सुधार एक अहम कदम है."

मौजूदा हार्त्स फिय सिस्टम के विरोध में कुछ जगहों पर प्रदर्शनतस्वीर: Waltraud Grubitzsch/ZB/picture alliance

कुछ लोग कह रहे हैं कि सुधार को ब्लॉक करने का सीडीयू का प्लान, गठबंधन सरकार की मजबूती की परीक्षा भी लेगा. सरकार में शामिल सबसे छोटी पार्टी, फ्री डेमोक्रैट पार्टी (एफडीपी) कारोबार के प्रति सबसे उदार राजनीतिक दल है. बिजनेस के लिए सरल व उदार नीतियों की वकालत करना, एफडीपी की राजनीति का केंद्र है. वैचारिक रूप से एफडीपी, विपक्षी सीडीयू के ज्यादा करीब है. फिलहाल बुर्गरगेल्ड को लेकर सरकार में शामिल एसपीडी, ग्रीन और एफडीपी में मतभेद नहीं दिख रहे हैं.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें