यूक्रेन को हथियार देने में देरी के लिए जर्मनी की आलोचना
२९ जुलाई २०२२
पोलैंड ने यूक्रेन के हथियार देने में आनाकानी के लिए एक फिर जर्मनी की आलोचना की है. वॉरसा पहुंचे जर्मन विपक्षी नेता के सामने पोलैंड ने जर्मनी को असहज करने वाले मुद्दे भी उठाए.
तस्वीर: Frank Hofmann/DW
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जर्मनी के विपक्ष के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स ने पोलैंड के प्रधानमंत्री मातेयुस मोराविएस्की ने मुलाकात की है. गुरुवार को हुई इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने आपसी संबंधों में जारी तनाव पर चर्चा की. पड़ोसी होने के साथ साथ जर्मनी और पोलैंड यूरोपीय संघ के अहम सदस्य भी हैं. लेकिन 2010 के यूरो संकट और उसके बाद 2015 में शुरू हुए शरणार्थी संकट के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट नजर आ रही है.
जर्मनी की पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी, क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) के नेता मैर्त्स ने साझा योजनाओं के महत्व पर जोर दिया. इस दौरान उन्होंने पोलैंड की नाराजगी का भी सामना किया. पोलिश पीएम मोराविएस्की ने आर्थिक रिश्तों को लेकर उत्साह दिखाया, पर वह यूक्रेन संकट पर जर्मनी के रूख की आलोचना करने से भी नहीं चूके. उन्होंने यूक्रेन को जर्मन हथियारों की सप्लाई को "संतुष्ट ना करने" वाला बताया.
वॉरसा में फ्रीडरिष मैर्त्स (बाएं) और पोलैंड के प्रधानमंत्री मातेयुस मोराविएस्की (दाएं)तस्वीर: Tobias Koch/CDU/CSU-Fraktion im Deutschen Bundestag/dpa/picture alliance
जर्मन विपक्ष के नेता ने हथियारों की आपूर्ति के मामले में हो रही आलोचना को स्वीकार किया. यूक्रेन पर रूस के हमले के करीब तीन महीने बाद तक जर्मन हथियार देने को लेकर असमंजस में रहा. बाद में नाटो और यूरोपीय देशों की तीखी आलोचना के बाद जर्मनी ने यूक्रेन के हथियारों की आपूर्ति तेज कर दी. जर्मनी की विदेश नीति में पहले विवादित इलाकों में हथियारों की आपूर्ति ना करने शर्त थी. यूक्रेन युद्ध के चलते बर्लिन को यह नीति बदलने में मजबूर होना है.
साझेदार देशों की आलोचना झेल रहे जर्मनी ने जुलाई के आखिर में यूक्रेन को हथियारों की बड़ी खेप भेजी है. जर्मनी की रक्षा मंत्री क्रिस्टीने लामब्रेष्ट के मुताबिक कीव को कई मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर और तीन सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर सिस्टम दिए गए हैं. इस खेप की डिलिवरी से कुछ दिन पहले जर्मनी के लैपर्ड एंटी एयरक्राफ्ट टैंक भी यूक्रेन पहुंचे.
जर्मनी का कहना है कि सितंबर तक यूक्रेन को कोबरा टाइप आर्टिलेरी डिटेक्शन रडार भी दे दिए जाएंगे. जर्मन रक्षा मंत्री के मुताबिक यह सिस्टम सौंपने से पहले यूक्रेन के सैनिकों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
जर्मनी का मार्स टू मल्टीपल रॉकेट लॉन्चरतस्वीर: Sebastian Gollnow/dpa/picture alliance
फिर उठा चुभने वाला मुद्दा
पोलैंड की राजधानी वॉरसा में मैर्त्स ने पूर्व पोलिश प्रधानमंत्री डोनल्ड टुस्क से भी मुलाकात की. फिलहाल टुस्क विपक्षी सिविक प्लेटफॉर्म के नेता है. पीएम कार्यकाल के दौरान टुस्क के तत्कालीन जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल से मधुर संबंध थे.
पोलिश मीडिया के मुताबिक जर्मन नेता ने सत्ताधारी पार्टी लॉ एंड जस्टिस पार्टी (पीआईएस) के नेता यारोस्लाव काचिंस्की से भी मुलाकात की. काचिंस्की ने मैर्त्स के सामने दूसरे विश्व युद्ध के हर्जाने का मुद्दा भी उठाया. बर्लिन का कहना है कि ऐसे सारे विवाद 1990 में जर्मनी के एकीकरण के दौरान निपटाए जा चुके हैं.
पोलैंड के बाद मैर्त्स रूसी सीमा से सटे यूरोपीय संघ के सदस्य देश लिथुआनिया जा रहे हैं. 2006 से 2021 तक जर्मनी में सरकार चलाने वाली पार्टी सीडीयू के नेता, यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी पार्टी बड़ा संकट सामने आने पर ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाती है. हाल के महीनों में हुए कुछ जनमत सर्वेक्षणों में सीडीयू ने बेहतर प्रदर्शन किया है.
मई में मैर्त्स ने यूक्रेन जाकर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से भी मुलाकात की. उनकी मुलाकात से पहले जर्मन सरकार के किसी प्रतिनिधि ने यूक्रेनी राष्ट्रपति से मुलाकात नहीं की थी.
जॉन शेल्टन जूनियर, ओएसजे/एनआर
रूसी सेना पर भारी पड़ रहे हैं यूक्रेन को मिले ये हथियार
छोटी सी यूक्रेनी सेना, रूस को इतनी कड़ी टक्कर कैसे दे रही है? इसका जवाब है, यूक्रेन को मिले कुछ खास विदेशी हथियार. एक नजर इन हथियारों पर.
ये अमेरिकी पोर्टेबल एंटी टैंक मिसाइलें हैं. इन्हें आसानी से कंधे पर रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है. पेड़ या इमारत की आड़ में छुपा एक सैनिक भी इसे अकेले ऑपरेट कर सकता है. इस मिसाइल ने यूक्रेन में रूसी टैंकों को काफी नुकसान पहुंचाया है.
यूक्रेन को अमेरिका और तुर्की ने बड़ी मात्रा में हमलावर ड्रोन मुहैया कराए हैं. बीते एक दशक में तुर्की हमलावर ड्रोन टेक्नोलॉजी में बहुत आगे निकल चुका है. अमेरिकी ड्रोन भी अफगानिस्तान में जांचे परखे जा चुके हैं. यूक्रेन को मिले इन ड्रोनों ने रूसी काफिले को काफी नुकसान पहुंचाया है.
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S-300 मिसाइल डिफेंस सिस्टम
स्लोवाकिया की सरकार ने यूक्रेन को रूस में बने S-300 एयरक्राफ्ट एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम दिया है. यह सिस्टम 100 किलोमीटर की दूरी से लड़ाकू विमानों और मिसाइलों का पता लगा लेता है. इस सिस्टम के मिलने के बाद यूक्रेन के ऊपर रूसी लड़ाकू विमानों का प्रभुत्व कमजोर पड़ चुका है.
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MI-17 हेलिकॉप्टर
अमेरिका ने यूक्रेन को रूसी MI-17 हेलिकॉप्टर भी दिए हैं. अमेरिका ने काफी पहले रूस से ये हेलिकॉप्टर खरीदे थे. रूस के यही हेलिकॉप्टर अब रूसी सेना के लिए आफत बन रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देश अब तक यूक्रेन को 1.5 अरब डॉलर की सहायता दे चुके हैं.
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NLAW-लाइट एंटी टैंक वीपन
टैंकों को निशाना बनाने वाला बेहद हल्का यह मिसाइल सिस्टम स्वीडिश कंपनी साब बनाती हैं. 12.5 किलोग्राम वजन वाला ये सिस्टम 800 मीटर दूर तक सटीक मार करता है. ब्रिटेन ने अब तक ऐसे करीब 3600 लाइट एंटी टैंक वीपन यूक्रेनी सेना को दिए हैं.
तस्वीर: picture alliance/Vadim Ghirda/AP Photo
हमर और रडार सिस्टम
अमेरिका ने यूक्रेन को 70 हमर गाड़ियां दी हैं. साथ ही यूक्रेन को दी गई करोड़ों डॉलर की सैन्य मदद के तहत अमेरिका ने आधुनिक रडार सिस्टम और गश्ती नाव भी दी हैं.
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FIM-92 स्ट्रिंगर
एक इंसान के जरिए ऑपरेट किया जाने वाला FIM-92 स्ट्रिंगर सिस्टम असल में एक पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है. अमेरिका में बनाया गया यह सिस्टम तेज रफ्तार लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टरों को निशाना बनाता है. अमेरिका और जर्मनी ने ऐसी 1900 यूनिट्स यूक्रेन को दी हैं.
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बुलेटप्रूफ बख्तरबंद गाड़ियां
जर्मनी ने यूक्रेन की सेना को 80 बुलेटप्रूफ बख्तरबंद गाड़ियां दी हैं. इन गाड़ियों से फायरिंग और रॉकेट लॉन्च किए जा सकते हैं. जर्मनी ने यूक्रेन को 50 एंबुलेंस भी दिए हैं.
तस्वीर: Daniel Karmann/dpa/picture alliance
नीदरलैंड्स के हथियार
यूक्रेन को सबसे पहले सैन्य मदद देने वाले यूरोपीय देशों में नीदरलैंड्स भी शामिल है. डच सरकार ने कीव को 400 एंटी टैंक वैपन, 200 एंटी एयरक्राफ्ट स्ट्रिंगर मिसाइलें और 100 स्नाइपर राइफलें दीं.
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नाइट विजन इक्विपमेंट्स
अमेरिका से मिले नाइट विजन ग्लासेस भी यूक्रेनी सेना की बड़ी मदद कर रहे हैं. पश्चिमी देशों से मिले नाइट विजन चश्मे और ड्रोन, इंफ्रारेड व हीट सेंसरों से लेस है. रूस फिलहाल इस टेक्नोलॉजी में पीछे है.
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इंटेलिजेंस सपोर्ट
अमेरिका और यूरोपीय संघ के पास ऐसी कई सैटेलाइट हैं जो बेहद हाई रिजोल्यूशन में धरती का डाटा जुटाती हैं. इन सैटेलाइटों और दूसरे स्रोतों से मिला खुफिया डाटा भी इस युद्ध में यूक्रेनी सेना की काफी मदद कर रहा है.