जर्मनीः धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी 'चरमपंथी' घोषित की गई
८ नवम्बर २०२३
आप्रवासियों के खिलाफ भावनाएं भड़का कर जर्मनी में पांव पसारती धुर दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड की सेक्सनी-अनहाल्ट प्रांतीय इकाई को चरमपंथी गुट घोषित किया गया है. इससे पहले थुरिंजिया में यही कदम उठाया गया था.
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जर्मनी की खुफिया एजेंसी, फेडरल ऑफिस फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन (बीएफवी) ने मंगलवार को कहा कि राजनीतिक दल एएफडी को जाहिर तौर पर एक चरमपंथी गुट के रूप में वर्गीकृत किया है.
बीएफवी का कहना है कि उसनेएएफडीके कर्मचारियों और चुने हुए नेताओं के बहुत सारे बयानों का विश्लेषण किया है जिन्हें मुस्लिम विरोधी, यहूदी विरोधी और जातीय रूप से भेदभावपूर्ण पाया गया. इस प्रांतीय इकाई पर चरमपंथी होने का संदेह 2021 से ही था.
एएफडी के नेता और उनके सबसे आपत्तिजनक बयान
जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के नेताओं ने कई बार ऐसे बयान दिए हैं जिन्हें आपत्तिजनक या भड़काऊ कहा जा सकता है. इनमें शरणार्थियों को निशाना बनाने से लेकर नाजी शब्दावली का इस्तेमाल तक शामिल है.
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ब्यॉन होख
थुरिंगिया प्रांत में एएफडी के मुखिया ब्यॉन होख ने 2017 में बर्लिन स्थित होलोकॉस्ट मेमोरियल को "शर्म की स्मारक" कहा था और देश को अपने नाजी इतिहास के लिए पश्चाताप करना बंद करने को कहा था. जुलाई 2023 में उन्होंने नाजी शब्दावली में कहा, "इस यूरोपीय संघ को मर जाना चाहिए ताकि सच्चा यूरोप जिंदा रह सके." 2019 में जर्मनी की एक अदालत ने फैसला दिया कि होख को फासीवादी कहना उन पर लांछन लगाने के बराबर नहीं है.
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ऐलीस वाइडल
ऐलीस वाइडल पार्टी की सह मुखिया हैं और उसके सबसे जाने माने चेहरों में से एक हैं. वो शायद ही कभी विवादों से दूर रहती हों. 2018 में जर्मनी की संसद बुंडेस्टाग में एक भाषण के दौरान उन्होंने कहा था, "बुर्के, हिजाब पहनने वाली लड़कियां, सार्वजनिक रूप से समर्थन पाने वाले वो लोग जिन्होंने चाकू से लोगों पर वार किया और ऐसे सभी बेकार लोग हमें समृद्धि और आर्थिक और सामाजिक विकास नहीं दिला सकते हैं."
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क्रिस्चियन लूट
लूट कई बार अपने बयानों को लेकर विवादों में फंस चुके हैं. एक बार एक दक्षिणपंथी यूट्यूब वीडियो ब्लॉगर के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "जर्मनी के लिए स्थिति जितनी खराब होगी, एएफडी के लिए उतनी ही अच्छी होगी." उन्होंने प्रवासियों के लिए कहा, "हम उन्हें बाद में गोली मार ही सकते हैं, इसमें कोई समस्या नहीं है. या उन्हें जहरीली गैस से मार सकते हैं, जैसा आप चाहें. मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है."
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बीट्रिक्स फॉन स्टॉर्च
शुरू में एएफडी यूरो और बेलआउट पैकेजों के खिलाफ अभियान चलाती थी, लेकिन यह जल्द ही आप्रवासियों के विरोध में बदल गया. बीट्रिक्स फॉन स्टॉर्च ने 2016 में कहा था, "जो लोग हमारी सीमाओं पर लगे 'रुको' के साइनबोर्ड को नहीं मानते हैं वो हमलावर हैं." उन्होंने आगे कहा, "और हमें खुद को हमलावरों से बचाना है," चाहे इसका मतलब महिलाओं और बच्चों पर गोली चलाना ही क्यों ना हो.
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हाराल्ड वाइएल
एएफडी के सभी विवाद नस्लवाद को लेकर नहीं हैं, कभी कभी वो पार्टी की हकीकत दिखाने का काम भी करते हैं. सितंबर 2022 में बुंडेस्टाग के सदस्य हाराल्ड वाइएल को पता नहीं था कि उनका माइक चालू है, जब उन्होंने कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि जर्मनी को ऊर्जा के बढ़े हुए दामों की "नाटकीय सर्दियां" भुगतनी पड़े नहीं तो "चीजें हमेशा की तरह चलती रहेंगी."
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मार्कुस प्रेत्जेल
मार्कुस प्रेत्जेल नार्थ राइन-वेस्टफेलिया प्रांत में एएफडी के पूर्व अध्यक्ष हैं और पार्टी की पूर्व अध्यक्ष फ्राउक पीत्री के पति हैं. उन्होंने दिसंबर 2016 में बर्लिन क्रिसमस बाजार पर हुए घातक हमले के बाद लिखा था, "यह मैर्केल के मृतक हैं."
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आंद्रे पौगेनबर्ग
सैक्सनी-अनहाल्ट प्रांत में एएफडी के पूर्व प्रमुख आंद्रे पौगेनबर्ग ने फरवरी 2017 में राज्य की संसद में दूसरे सदस्यों को कहा था कि वो चरम वामपंथ के खिलाफ मिल जाएं ताकि "जर्मन नस्ल पर उगी इस खरपतवार से हमेशा के लिए पीछा छुड़ाया जा सके." ये शब्द साफ तौर पर नाजी शब्दावली से लिए गए थे.
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एलेग्जेंडर गाउलांद
पार्टी की संसदीय पार्टी के पूर्व नेता एलेग्जेंडर गाउलांद ने जून 2018 में पार्टी के युवा दल के सामने एक भाषण दिया था, जिसके लिए उनकी बहुत आलोचना हुई थी. उन्होंने कहा था कि जर्मनी का एक "शानदार इतिहास रहा है और वह उन शापित 12 सालों से ज्यादा लंबा चला है. जर्मनी के 1,000 सालों के सफल इतिहास में हिटलर और नाजी बस चिड़िया की बीट की एक बूंद हैं." (डैगमार ब्राइटेनबाख और मार्क हैलम)
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घोषणा के मायने
बीएफवी प्रमुख योखेन होलमान ने कहा कि उनकी संस्था ने बहुत सारी सूचनाएं जुटाई हैं जिनसे यह पता चलता है कि एएफडी के मूल्य मानवीय गरिमा, लोकतंत्र और कानून के शासन के खिलाफ हैं.
उन्होंने कहा, "प्रांतीय इकाई ना केवल गैर-संवैधानिक नजरिया रखती है जिसने इसे संदेहास्पद बनाया बल्कि यह कोरोना महामारी के बाद से इस हद तक कट्टरपंथी हो चुकी है कि इस पर खुफिया सेवाओं का इस्तेमाल करके सुनियोजित नजर रखना बहुत जरूरी हो गया है."
इस घोषणा के बाद अब बीएफवी को अधिकार होगा कि वह राज्य में पार्टी पर नजर रख सके. होलमान का कहना है कि अब उनकी एजेंसी निजी डाटा भी इकट्ठा कर सकती है.
इस वर्गीकरण का अर्थ यह है कि एजेंसी उन सारी पाबंदियों से आजाद होगी जो उन्हें एएफडी में मौजूद चरमपंथी तत्वों पर खुफिया जानकारी जुटाने से रोक सके. इसके अलावा गुप्त एजेंटों और फोन पर नजर रखने की भी इजाजत होगी.
एएफडी के सपनों का राष्ट्र
एजेंसी के मुताबिक, सेक्सनी-अनहाल्ट एएफडी का सपना है कि "एक समान संस्कृति वाला राष्ट्र" स्थापित हो जिसमें जातीयता व धर्म के आधार पर बाकियों को अलग-थलग कर दिया जाए. पार्टी संसदीय लोकतंत्र के वर्तमान स्वरूप का भी अंत चाहती है.
होलमान बताते हैं कि पार्टी लगातार राजनीति और नागरिक संस्थाओं का मखौल उड़ाती है ताकि लोगों का उन पर से भरोसा उठ जाए. अपने उस लक्ष्य में कामयाबी के बाद पार्टी लोगों के अधिकार छीनकार उन्हें अपनी मनमानी का शिकार बनाना चाहती है. एएफडी को लेकर दूसरी पार्टियों का नजरिया भी यही है. एसपीडी नेता रुडिगेर एर्बेन ने कहा कि पार्टी लोकतंत्र और संस्थाओं में हमारा विश्वास खत्म करना चाहती है. राज्य में खतरे को भांपकर हमारी सुरक्षा करने में सक्षम होना चाहिए, यह पद इसे मुमकिन बनाता है.
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पहला मामला नहीं
मार्च 2021 में, थुरिंजिया राज्य की प्रांतीय इकाई और उसके नेता ब्योर्न होके को भीधुर दक्षिणपंथी गुट घोषित किया गया था. राष्ट्रीय स्तर पर भी, खुफिया एजेंसी इसे धुर दक्षिणपंथी पार्टी होने के संदेह की श्रेणी में वर्गीकृत करती है लेकिन उसके युवा विंग को चरमपंथी घोषित किया गया है.
एएफडी की शुरुआत 2013 में यूरो संकट के दौरान एंटी यूरोप पार्टी के तौर पर हुई लेकिन 2015 के रिफ्यूजी संकट के बीच इसने आप्रवासी विरोधी चोला पहन लिया. कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुई बेचैनी और अनिश्चितता की लहर पर सवार होकर पार्टी ने लगातार डर और कॉन्सपिरेसी का सहारा लिया है.
इसके नेता अक्सर नाजी भाषा का इस्तेमाल करने, होलोकॉस्ट को नकारने और जर्मनी के नाजी इतिहास पर हल्केपन से बात करने की वजह से सुर्खियों में रहते हैं. थुरिंजिया और सेक्सनी-अनहाल्ट पूर्वी जर्मनी के राज्य हैं, जहां एएफडी का प्रसार तेजी के साथ हुआ है. हालांकि पश्चिमी जर्मनी में राज्य चुनावों का नतीजा भी इस पार्टी के बढ़ते प्रभाव की कहानी कहता है.
एसबी/सीके (एफपी,एपी,रॉयटर्स,डीपीए,ईपीडी)
मिलिए अपनी पार्टियों के लिए सिरदर्द बने जर्मन राजनेताओं से
जर्मनी की राजनीति पर भी उत्तेजित करने वाले लोकलुभावनवाद की छाया है, जो कि देश की सबसे मध्यमार्गी पार्टियों में भी नजर आती है. मिलिए ऐसे ही कुछ जर्मन राजनेताओं से जिन्होंने अपनी अपनी पार्टियों को काफी सिरदर्द दिया है.
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बोरिस पामर (ग्रीन पार्टी)
ग्रीन पार्टी के पूर्व नेता और टुबिंगेन शहर के मेयर बोरिस पामर ने अश्वेत लोगों के लिए एक आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसके बाद उनके खिलाफ प्रदर्शन आयोजित किए गए. लेकिन पामर पीछे हटने की बजाय प्रदर्शनकारियों से बहस करने लगे. अब उन्होंने घोषणा की है कि वो पार्टी छोड़ रहे हैं और कुछ दिन मेयर के काम से भी दूर रहेंगे. उन्हें निकालने की कोशिश कर रहे पार्टी के नेताओं को राहत मिली होगी.
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साहरा वागनक्नेष्ट (लेफ्ट पार्टी)
साहरा वागनक्नेष्ट समाजवादी विचारधारा वाली "द लेफ्ट पार्टी" का सबसे जाना माना चेहरा भी हैं और उसका सबसे बड़ा विवाद चुंबक भी. उन्होंने धुर वामपंथी और धुर दक्षिणपंथी दोनों ही पक्षों में असंतुष्ट "स्थापना विरोधी" मतदाताओं के बीच अपनी जगह बना ली है. उनके सबसे ताजा अभियान के तहत उन्होंने जर्मन फेमिनिस्ट ऐलिस श्वार्जर के साथ मिलकर यूक्रेन पर आक्रमण के बावजूद रूस के साथ शांति स्थापित करने की मांग की है.
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हन्स-गेओर्ग मासन (सीडीयू)
सीडीयू नेता हन्स-गेओर्ग मासन जर्मनी की खुफिया एजेंसी के प्रमुख थे. लेकिन 2018 में उन्होंने चेम्नित्ज में आप्रवासियों पर हो रहे हमले के वीडियो पर संदेह व्यक्त किया था, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. उन्हें अरब आप्रवासन का विरोधी माना जाता है. उन्होंने यह भी कहा है कि "श्वेत लोगों के खिलाफ उन्हें खत्म करने वाला नस्लवाद" जर्मनी की राजनीति को आकर दे रहा है. सीडीयू उन्हें निकालना चाह रही है.
तस्वीर: Martin Schutt/dpa/picture alliance
ब्यौन होख (एएफडी)
धुर दक्षिणपंथी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) अभी तक तय नहीं कर पाई है कि उसे ब्यौन होख के साथ क्या करना है. कुछ लोग उन्हें फासीवादी मानते हैं, लेकिन वो अभी भी एएफडी के एक समूह "विंग" के प्रमुख नेता माने जाते हैं, जिसे जर्मनी की आंतरिक खुफिया एजेंसी बीएफवी देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बता चुकी है. होख को इससे पहले पार्टी से निकालने की आधे मन से की गई कोशिशें असफल रही हैं.
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थीलो जारात्जीन (पूर्व-एसपीडी)
थीलो जारात्जीन पहले एसपीडी पार्टी में थे और बर्लिन राज्य के वित्त मंत्री थे. 2010 में उनकी लिखी एक किताब प्रकाशित हुई थी जिस पर काफी विवाद हुआ था. किताब में उन्होंने कहा था कि कम पढ़े लिखे तुर्क और अरब आप्रवासियों से जर्मनी की समृद्धि को खतरा है. वो पार्टी की सदस्यता से चिपके रहे और पार्टी को उन्हें निकालने के लिए एक जटिल कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. पार्टी 2020 में उन्हें निकालने में सफल रही.