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एएफडी का उभारः सबके बराबर पहुंच गए हैं "मैर्केल के बच्चे"

१७ फ़रवरी २०२५

एएफडी के साथ जर्मनी के राजनीतिक दल संबंध नहीं रखना चाहते लेकिन यह पार्टी वह आगे बढ़ती रही. अब पहली बार एएफडी नेता अलीस वाइडेल बाकी नेताओं के साथ राष्ट्रीय बहस में शामिल हुईं.

जर्मन चुनाव से पहले टीवी डिबेट में सभी प्रमुख पार्टियों के नेता
टीवी डिबेट में पहली बार एएफडी की नेता को शामिल किया गयातस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

सितंबर 2016 में अमेरिकी पत्रिका न्यू यॉर्कर को दिए एक इंटरव्यू में जर्मनी की धुरदक्षिणपंथी पार्टी एएफडी की नेता फ्राउके पेट्री से पूछा गया कि क्या है जो एएफडी के उदय का आधार है. उन्होंने कहा, "आप कह सकते हैं कि हम मैर्केल के बच्चे हैं." पेट्री का इशारा तत्कालीन चांसलर अंगेला मैर्केल की अगस्त 2015 की उस घोषणा की ओर था कि जर्मनी हर शरणार्थी को शरण देगा. मैर्केल ने तर्क दिया था कि जर्मनी के इतिहास के कारण इस मानवीय संकट का जवाब देना उसकी नैतिक जिम्मेदारी थी.

इस वाक्य ने जर्मन दक्षिणपंथियों को झकझोर दिया. उन्होंने चांसलर पर आरोप लगाया कि वह अपनी वैश्विक छवि चमकाने के लिए देश को धोखा दे रही हैं. मतदाता तेजी से एएफडी की ओर बढ़ने लगे, जिनमें से कई मैर्केल की अपनी पार्टी से थे. इस उभार के बावजूद एएफडी को लगातार नजरअंदाज किए जाने की नीति अपनाई गई. उन्हें हाशिए के लोग माना गया और जब वे चुनाव जीतने लगे तो प्रमुख पार्टियों ने बार-बार कहा कि एएफडी के साथ किसी तरह का सहयोग नहीं होगा.

उसी एएफडी की नेता, 2025 के चुनावों में पार्टी की चांसलर पद की दावेदार अलीस वाइडेल पहली बार बाकी तीन बड़ी पार्टियों के नेताओं के साथ टीवी डिबेट में शामिल हुईं. उनके चेहरे पर 20 फीसदी मतदाताओं के साथ-साथ अमेरिका के समर्थन का आत्मविश्वास भी था.

जर्मन चुनावों में अमेरिकी दखल

जर्मनी में चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में है और माहौल पहले से ज्यादा गर्म हो गया है. अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वैंस की हालिया टिप्पणी ने राजनीति में हलचल मचा दी है. म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) में एक भाषण के दौरान, वैंस ने कहा कि जर्मनी को दक्षिणपंथी पार्टी आल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड (एएफडी) को सरकार में शामिल करने के खिलाफ पुरानी सोच छोड़ देनी चाहिए. उन्होंने कहा, "कोई फायरवॉल नहीं होनी चाहिए."

इस बयान के बाद रविवार को बर्लिन की सड़कों पर हजारों प्रदर्शनकारी उतरे. टीवी डिबेट में भी यह मुद्दा छाया रहा. विपक्ष के नेता और चांसलर पद के दावेदारों में सबसे आगे चल रहे फ्रीडरिष मैर्त्स ने रविवार रात को हुई एक टीवी डिबेट में कहा, "मैं किसी अमेरिकी उपराष्ट्रपति को यह तय नहीं करने दूंगा कि मुझे जर्मनी में किन लोगों से बात करनी है." उनकी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) चुनावी सर्वे में 30 फीसदी समर्थन के साथ आगे चल रही है. मैर्त्स ने कहा कि वह "इस तरह की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं करेंगे."

फ्रीडरिष मैर्त्स और अलीस वाइडेलतस्वीर: Kay Nietfeld/dpa-Pool/picture alliance

चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने भी वैंस की टिप्पणी को "अस्वीकार्य" बताया और कहा कि "धुर दक्षिणपंथ के साथ कोई सहयोग नहीं होगा." लेकिन एएफडी की नेता अलीस वाइडेल ने वैंस का समर्थन किया. उन्होंने कहा, "हमें लाखों वोटरों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, हमें एक-दूसरे से बात करनी होगी. उन्होंने यही स्पष्ट किया है."

मैर्त्स सबसे आगे

रविवार को हुई टीवी बहस में दर्शकों ने मैर्त्स को सबसे प्रभावी बताया. आरटीएल के एक सर्वे के मुताबिक, 32 फीसदी लोगों ने उनके प्रदर्शन को सबसे अच्छा माना, जबकि शॉल्त्स को 25 फीसदी समर्थन मिला. पहली बार किसी एएफडी नेता को इस तरह की डिबेट में शामिल किया गया, जहां वाइडेल को 18 फीसदी दर्शकों का समर्थन मिला. यह ग्रीन पार्टी के नेता रॉबर्ट हाबेक के बराबर था. देश में चुनाव 23 फरवरी को होने हैं. लेकिन अब भी 30 फीसदी जर्मन मतदाता तय नहीं कर पाए हैं कि वे किसे वोट देंगे.

जर्मन राजनीति में क्यों दखल दे रहे हैं मस्क

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चुनाव प्रचार ऐसे वक्त में हो रहा है जब जर्मनी और अमेरिका के बीच यूक्रेन युद्ध को लेकर मतभेद बढ़ रहे हैं. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने यूरोपीय नेताओं को दरकिनार कर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सीधी बातचीत की है. शॉल्त्स ने इस पर नाराजगी जताई और कहा, "यूरोप को इन वार्ताओं में शामिल होना होगा. हमारे बिना कोई सुरक्षा समझौता नहीं हो सकता."

ट्रंप के यूक्रेन मामलों के विशेष दूत कीथ केलॉग ने कहा है कि यूरोप को "जानकारी" तो मिलेगी, लेकिन वह सीधे शामिल नहीं होगा. इस पर शॉल्त्स ने जवाब दिया, "यूक्रेन को बिना पूछे कोई फैसला नहीं लिया जाएगा, हम यूरोपीय इसे होने नहीं देंगे."

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