जर्मनी समेत यूरोपीय संघ के कई सदस्य देशों ने एक यात्री विमान को जबरन अपने यहां उतारकर एक पत्रकार को गिरफ्तार करने की कार्रवाई पर बेलारूस से सफाई मांगी है.
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जर्मन विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सरकार के आलोचक रहे रमान प्रतोसेविच की कथित गिरफ्तारी पर बेलारूस को जवाब देने होंगे. विदेश मंत्री हाइको मास ने कहा कि मिंस्क को इस कदम के लिए स्पष्ट नतीजे भुगतने होंगे. उन्होंने कहा, "बम होने का बहाना बनाकर यूरोपीय संघ के एक सदस्य देश से दूसरे सदस्य देश को जा रहे विमान को बीच में रोका गया. यह यूरोप में नागरिक विमान की आवाजाही में एक गंभीर कदम है. हम इन खबरों को लेकर काफी चिंतित हैं कि पत्रकार रमान प्रतोसेविच को इस तरह गिरफ्तार किया गया.”जर्मन विदेश मंत्रालय में सचिव मिगेल बेर्गर ने ट्विटर पर लिखा था कि जर्मनी इस पूरे घटनाक्रम पर तुरंत सफाई की मांग करता है.
फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने भी इस घटनाक्रम को अस्वीकार्य बताया है. विदेश मंत्री ज्यां-इवेस ला ड्रियन ने कहा, "बेलारूस के अधिकारियों द्वारा रायनएयर के विमान का अपहरण अस्वीकार्य है. यूरोप से इसका एक ठोस जवाब दिया जाना चाहिए. बेलारूस के आलोचकों समेत विमान के सभी यात्रियों को बिना देर किए जाने की इजाजत मिलनी चाहिए.”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है. विदेश मंत्री एंटी ब्लिंकेन ने इसे खौफनाक कार्रवाई बताया और पत्रकार को फौरन रिहा करने की मांग की. यह विमान ग्रीस से लिथुआनिया जा रहा था और दोनों देशों की सरकारों ने इस घटना की आलोचना की है. ग्रीस के प्रधानमंत्री कीरियाकोस मित्सोताकिस ने इसे अभूतपूर्व और खौफनाक बताया. उन्होंने कहा, "हम सभी यात्रियों को फौरन रिहा करने की मांग करते हैं. ईयूसीओ में इस मुद्दे पर बात होनी चाहिए और बेलारूस पर दबाव बनाया जाना चाहिए. बस बहुत हो गया.”
लिथुआनिया के राष्ट्रपति गितानास नौसेदा ने पूरे घटनाक्रम को घृणास्पद करार दिया. उन्होंने कहा, "यह अभूतपूर्व है. एक नागरिक विमान को जबरन मिंस्क में उतारा गया है. बेलारूस के राजनीतिक कार्यकर्ता और नेक्स्टा के संस्थापक इस विमान में यात्रा कर रहे थे. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. बेलारूस की सरकार इस घिनौने कृत्य के पीछे है. मैं रमान प्रतोसेविच को तुरंत रिहा करने की मांग करता हूं.” नौसेदा ने यूरोपीय संघ और नाटो से भी इस मामले में दखल देने की मांग की. उन्हंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन के लिए यह एक खतरा है और नाटो व यूरोपीय संघ को फौरन कार्रवाई करनी चाहिए.
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कौन हैं रोमान प्रोतासेविच?
26 साल के रमान दिमित्रियेविच प्रोतासेविच एक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं. बेलारूस में जन्मे प्रोतासेविच एक पत्रकार के तौर पर काम करते हैं और राष्ट्रपति आलेक्जांडर लुकाशेंको के आलोचक रहे हैं. उन्होंने एक राष्ट्रपति विरोधी सोशल नेटवर्किंग ग्रुप बनाया था जिसे 2012 में अधिकारियों ने हैक कर लिया. 2012 में उन्होंने बेलारूसियन स्टेट यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग में दाखिला लिया था लेकिन जल्दी ही उन्हें वहां से निष्कासित कर दिया गया. 2017 में उन पर एक अनधिकृत आयोजन का आरोप लगा लेकिन अदालत में वह यह साबित करने में कामयाब रहे कि आयोजन के वक्त वह कहीं और थे. मार्च 2019 से वह यूरोरेडियो के लिए फोटोग्राफर के तौर पर काम कर रहे थे. 2019 में वह पोलैंड चले गए थे. 22 जनवरी 2020 में उन्होंने ऐलान किया कि उन्होंने पोलैंड से राजनीतिक शरण मांगी है. लगभग तभी से वह स्टेपान पुतिलो के साथ मिलकर नेक्स्टा नाम का एक ब्लॉग चला रहे हैं.
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)
कहानी पुलित्जर जीतने वाले भारतीय फोटो पत्रकारों की
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के तीन भारतीय फोटोग्राफरों ने प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार जीता है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाबंदियों के बीच उन्होंने आखिर कैसे खींची और भेजीं तस्वीरें?
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Khan
"चूहा-बिल्ली" का खेल
"ये हमेशा चूहा-बिल्ली का खेल था" - एसोसिएटेड प्रेस के फोटोग्राफर डार यासीन ने अगस्त 2019 में कश्मीर में लागू हुई तालाबंदी की कहानियों को तस्वीरों में कैद करने के तजुर्बे को कुछ यूं बयान किया है. यासीन और उनके दो और सहयोगियों मुख्तार खान और चन्नी आनंद को इस दौरान जम्मू और कश्मीर में खींची गई तस्वीरों के लिए 2020 के फीचर फोटोग्राफी के पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया है. देखिये इनमें से कुछ तस्वीरें.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
घोषणा
अगस्त में जम्मू में एक इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की दुकान पर टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनते लोग. 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. कश्मीर तब से एक तरह के लॉकडाउन में है जिसके तहत वहां के नागरिकों पर कई कड़े प्रतिबंध लागू हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP/C. Anand
विरोध
अगस्त में श्रीनगर में कर्फ्यू के बीच अर्धसैनिक बल के जवानों पर दूर से पत्थर फेंकता एक प्रदर्शनकारी. श्रीनगर में एपी के फोटोग्राफर मुख्तार खान और यासीन डार को प्रदर्शनकारियों और सेना के जवानों दोनों का ही अविश्वास झेलना पड़ता था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Yasin
पहरा
अगस्त में श्रीनगर में कंटीली तारों से बंद एक सुनसान सड़क पर पहरा देता एक सुरक्षाकर्मी. श्रीनगर में खान और यासीन कई बार कई दिनों तक घर नहीं लौट पाते थे और अपने परिवारों तक अपनी खबर भी नहीं पहुंचा पाते थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Yasin
बंदूकें और बूट
पिछले साल अगस्त में श्रीनगर में तालाबंदी के दौरान ड्यूटी पर तैनात दो सुरक्षाकर्मी. खान और यासीन अपनी खींची हुई तस्वीरें दिल्ली ऑफिस तक पहुंचाने के लिए एयरपोर्ट पर अनजान यात्रियों से अपील करते थे. कुछ यात्री डर कर अपील ठुकरा देते थे तो कुछ मान लेते थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
नमाज
अगस्त 2019 में जम्मू में मस्जिद में ईद पर नमाज अदा करते हुए लोग. आनंद जम्मू में काम करते हैं और कहते हैं कि पुरस्कार से वो अवाक रह गए. वे बीस साल से एपी के लिए काम कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Anand
ये कैसी ईद
अगस्त 2019 में ईद पर जम्मू में सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के बीच अपने रास्ते पर जाता एक मुस्लिम व्यक्ति. एपी के अध्यक्ष गैरी प्रुइट ने कहा कि इस टीम की बदौलत ही दुनिया कश्मीर में आजादी की लंबी लड़ाई में हुई एक नाटकीय तेजी देख पाई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Anand
वापसी
अगस्त में प्रवासी श्रमिक जम्मू और कश्मीर को छोड़ अपने अपने घर जाने के लिए जम्मू रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में बैठे हुए. कर्फ्यू और फोन और इंटरनेट के बंद होने के बावजूद ये तस्वीरें एपी के इन फोटोग्राफरों ने खींचीं और किसी तरह भेजीं.
तस्वीर: picture-alliance/AP/C. Anand
पुलिस
सितंबर 2019 में श्रीनगर में शिया प्रदर्शनकारियों पर डंडे चलाता एक पुलिसकर्मी. एपी के फोटोग्राफरों ने कभी अंजान लोगों के घर में छिप कर तो कभी कैमरों को सब्जियों के थैलों में छिपा कर तस्वीरें खींची.
तस्वीर: picture-alliance/AP/M. Khan
बंदूकों के साए में
नवंबर में श्रीनगर में एक बाजार में हुए एक विस्फोट के स्थल की जांच करता हुआ एक सुरक्षाकर्मी. यासीन कहते हैं कि उनके काम का उनके लिए पेशे-संबंधी और व्यक्तिगत दोनों मतलब है. वे कहते हैं इन तस्वीरों में सिर्फ दूसरों की नहीं बल्कि उनकी खुद की भी कहानी है.