बर्लिन में हत्याः जर्मनी ने रूस के दो अफसरों को निकाला
१६ दिसम्बर २०२१
बर्लिन में दो साल पहले सरेआम हुई एक हत्या के मामले में रूसी जासूसी एजेंसी एफएसबी के दोषी पाए जाने के बाद जर्मनी ने रूस के दो अफसरों को निष्कासित कर दिया है. 2019 में सेंट्रल बर्लिन में यह हत्या हुई थी.
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बर्लिन की एक अदालत ने रूसी नागरिक वादिम करासिकोव को चेचेन मूल के एक व्यक्ति की हत्या का दोषी पाया और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई. मुकदमे की सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों ने दलील दी कि करासिकोव रूस की जासूसी एजेंसी एफएसबी के सीधे निर्देश पर काम कर रहा था.
सरकारी वकीलों ने कहा कि रूसी अधिकारियों ने ही करासिकोव के लिए छद्म पहचान वादिम सोलोकोव के नाम से तैयार की थी. हत्या से पहले वह कई यूरोपीय देशों से होता हुआ कई दिन में बर्लिन पहुंचा था. 23 अगस्त 2019 को उसने सेंट्रल बर्लिन में जॉर्जिया के एक नागरिक की बहुत करीब से गोली मारकर हत्या कर दी. उसी दिन उसे गिरफ्तार कर लिया गया था.
जर्मनी ने उठाया सख्त कदम
बुधवार को सुनाए गए इस फैसले के बाद जर्मनी की नई विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने रूसी राजदूत सर्गई नेचायेव को समन किया था. बेयरबॉक ने मीडिया को बताया, "हमने उन्हें बताया कि दूतावास के दो सदस्य हमारे देश में नहीं रह सकते.”
किसके कहने पर की गई मैर्केल की जासूसी?
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बेयरबॉक ने चेचेन व्यक्ति की हत्या को ‘सरकार द्वारा हत्या' बताते हुए कहा कि इस घटना ने जर्मनी के कानून और संप्रभुता का उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने रूसी समकक्ष सर्गई लावरोव से भी बात की और उन्हें स्पष्ट तौर पर बताया कि जर्मनी रूस के साथ एक ईमानदार बातचीत चाहता है.
बेयरबॉक ने कहा, "यह अंतरराष्ट्रीय कानून और आपसी सम्मान पर आधारित होनी चाहिए.”
रूस ने कहा, जवाब देंगे
उधर रूस का कहना है कि बुधवार को अदालत द्वारा सुनाया गया फैसला "राजनीतिक” है और रूस-विरोधी भावनाओं के आधार पर लिया गया है. रूस के नेचायेव ने कहा, "हम इस फैसले को पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित मानते हैं जो जर्मनी और रूस के पहले से तनावपूर्ण रिश्तों को और खराब करेगा.”
घटना में रूस की मिलीभगत के दावों को बकवास बताते हुए रूसी राजदूत ने कहा कि अदालत का फैसला एक शत्रुतापूर्ण कदम है जिसका जवाब दिया जाएगा.
2019 में जिस शख्स की हत्या हुई थी, उसे रूसी सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादी माना गया था. उस पर चेचन्या में रूसी फौजों के खिलाफ लड़ने के अलावा मॉस्को मेट्रो में बम धमाकों में शामिल होने का भी आरोप था.
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अदालत में क्या हुआ?
जज ओलाफ आरनोल्डी ने कहा, "जून 2019 में रूस की केंद्रीय सरकार के कुछ हिस्सों ने उसे बर्लिन में कत्ल कर देना का फैसला किया. यह रूस द्वारा आत्मरक्षा में उठाया गया कदम नहीं था. यह सरकारी आतंकवाद से ज्यादा कुछ भी नहीं है. इसका मकसद एक मिसाल स्थापित करना था.”
पेगासस जासूसी कांड पर सिद्धार्थ वरदराजन से बातचीत
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इससे पहले कारिसकोव के वकील ने अदालत से कहा था कि उनके मुवक्किल को वादिम सोकोलोव समझा जाना चाहिए जो रूस का रहने वाला एक कंस्ट्रक्शन इंजीनियर है और वह वादिम करासिकोव नाम के किसी शख्स को नहीं जानता.
लेकिन जज आरनोल्डी ने कहा कि इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि जिस व्यक्ति ने गोली चलाई वह वादिम करासिकोव है. यूक्रेन के अधिकारियों ने करासिकोव की पहचान से जुड़े कई सबूत उपलब्ध करवाए थे जिनमें यूक्रेन की एक महिला से उसकी शादी की तस्वीरें भी थीं. मुकदमा दर्ज करते वक्त जर्मन अधिकारियों ने दावा किया था कि करासिकोव एफएसबी की स्पेशल यूनिट का कमांडर है.
बर्लिन में हत्या करने से पहले करासिकोव एक पर्यटक के तौर पर यूरोप में घूमा था. पहले वह पेरिस गया और उसके बाद पोलैंड गया. जज ने करासिकोव को उम्रकैद सुनाते हुए कहा, "चार बच्चों ने अपना पिता खो दिया. दो लोगों ने अपना भाई खो दिया.” करासिकोव के वकील ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की बात कही है.
वीके/एए (एपी, डीपीए)
नर्व एजेंट की एबीसी
2018 में रूस के पूर्व जासूस सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी पर नर्व एजेंट से हमला किया गया था. नर्व एजेंट आखिर होता क्या है और कैसे शरीर पर असर करता है?
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क्या होता है नर्व एजेंट?
नर्व एजेंट ऐसे जहरीले रसायन हैं जो सीधे नर्वस सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र पर असर करते हैं. ये दिमाग तक जाने वाले संकेतों को रोक देते हैं, जिससे शरीर ठीक तरह से काम करना बंद कर देता है. इसका असर सबसे पहले मांसपेशियों पर लकवे के रूप में देखने को मिलता है.
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कैसा दिखता है?
यह पाउडर के रूप में भी होते हैं और गैस के भी, लेकिन ज्यादातर द्रव का इस्तेमाल किया जाता है, जो भाप बन कर उड़ जाता है. अक्सर यह गंधहीन और रंगहीन होता है, इसलिए किसी तरह का शक भी नहीं होता.
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कैसे दिया जाता है?
यह भाप अगर सांसों के साथ शरीर के अंदर पहुंचे, तो कुछ सेकंडों में ही अपना असर दिखा सकती है. कई बार द्रव को त्वचा के जरिये शरीर में भेजा जाता है. ऐसे में असर शुरू होने में कुछ मिनट लग जाते हैं.
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कैसा होता है असर?
नर्व एजेंट के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को फौरन ही सांस लेने में दिक्कत आने लगती है. आंखों की पुतलियां सफेद हो जाती हैं, हाथ-पैर चलना बंद कर देते हैं और व्यक्ति कोमा में पहुंच जाता है. ज्यादातर मामलों में कुछ मिनटों में ही व्यक्ति की मौत हो जाती है.
जहर देने के तरीके
कई बार इन्हें खाने में या किसी ड्रिंक में मिला कर दिया जाता है. लेकिन ऐसे में असर देर से शुरू होता है. ऐसे भी मामले देखे गए हैं जब इन्हें सीधे व्यक्ति पर स्प्रे कर दिया गया हो. इससे वे सीधे त्वचा के अंदर पहुंच जाते हैं.
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क्या है इलाज?
जहर को जहर काटता है. इसके असर को कम करने के लिए एक एंटीडोट दिया जा सकता है लेकिन जरूरी है यह जल्द से जल्द दिया जाए. एंटीडोट देने से पहले यह पता लगाना भी जरूरी है कि किस प्रकार का नर्व एजेंट दिया गया है.
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किस प्रकार के होते हैं?
नर्व एजेंट को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. जी-एजेंट, वी-एजेंट और नोविचोक. शुरुआत 1930 के दशक में हुई जब सस्ते कीटनाशक बनाने के चक्कर में एक घातक जहर का फॉर्मूला तैयार हो गया और यह जर्मन सेना के हाथ लग गया.
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क्या है जी-एजेंट?
'जी' इसलिए क्योंकि यह जर्मनी में बना. 1936 में सबसे पहला जी-एजेंट जीए बना. उसके बाद जीबी, जीडी और जीएफ तैयार किए गए. जीबी को ही सारीन के नाम से भी जाना जाता है. अमेरिका युद्ध की स्थिति में रासायनिक हथियार के रूप में इसका इस्तेमाल कर चुका है.
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क्या है वी-एजेंट?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूस, अमेरिका और ब्रिटेन ने भी नर्व एजेंट बनाना शुरू किया. ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने 1950 के दशक में वीएक्स तैयार किया. वीएक्स के अलावा वीई, वीजी, वीएम और वीआर भी हैं लेकिन वीएक्स सबसे घातक है.
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क्या है नोविचोक?
रूसी भाषा में नोविचोक का मतलब है नया. इन्हें 70 और 80 के दशक में सोवियत संघ में बनाया गया था. इनमें से एक ए-230, वीएक्स की तुलना में पांच से आठ गुना ज्यादा जहरीला होता है और मिनटों में जान ले सकता है.
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कैसे ट्रांसपोर्ट होते हैं?
यह इतने जहरीले होते हैं कि इन्हें ले जाने वाले पर भी खतरा बना रहता है. जरा सा संपर्क भी जानलेवा साबित हो सकता है. इसलिए इनके लिए खास तरह की शीशी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे कस कर बंद किया जाता है. साथ ही ट्रासंपोर्ट करने वाला खास तरह के कपड़े भी पहनता है.
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कहां से आया?
नर्व एजेंट कोई आम जहर नहीं है जिसे घर पर बना लिया जाए. यह सैन्य प्रयोगशालाओं में बनाया जाता है और हर एक फॉर्मूले में थोड़ा बहुत फर्क होता है. इसलिए हमले के मामले में पता किया जाता है कि फॉर्मूला कौन से देश का है. इसके अलावा जिस शीशी या कंटेनर में जहर लाया गया, उसकी बनावट से भी पता किया जाता है.
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कितना असरदार?
नर्व एजेंट के हमले के बाद बचने की संभावना बहुत ही कम होती है. हालांकि खतरा कितना ज्यादा है, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि जहर किस मात्रा में दिया गया है.