क्या गर्मियों की छुट्टियों के लिए भी बंद रहेगा यूरोप?
२९ अप्रैल २०२०
जर्मनी 3 मई तक लगे ट्रैवल बैन को 14 जून तक बढ़ा रहा है. तो यूरोप के कुछ देश होटल खोलने की तैयारियां कर रहे हैं. इस सबके बीच आने वाले महीनों में भी शायद एक देश से दूसरे देश जाना मुमकिन ना हो.
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बेहद लंबी सर्दियों के बाद जब गर्मियों का मौसम शुरू होता है तो यूरोप खिल उठता है. सिर्फ यहां रहने वालों को ही नहीं, दुनिया भर के लोगों को इस समय का इंतजार होता है. भारत से भी हर साल लाखों की तादाद में सैलानी यूरोप घूमने आते हैं. लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो सकेगा. कोरोना संकट के बीच यूरोप के अधिकतर देश पिछले एक महीने से लॉकडाउन का सामना कर रहे हैं. ज्यादातर देशों में इन दिनों लॉकडाउन हटाने पर विचार हो रहा है. जर्मनी और फ्रांस इस दिशा में पहले कदम उठा भी चुके हैं. लेकिन जहां एक तरफ धीरे धीरे देशों को खोलने की चर्चा हो रही है, वहीं दूसरी ओर लोगों को छुट्टियों पर जाने से रोकने पर भी काम चल रहा है, खास कर जर्मनी में.
जर्मन लोगों को खूब घूमने फिरने के लिए जाना जाता है. छुट्टियों को ये इतनी संजीदगी से लेते हैं कि साल भर पहले ही बुकिंग करना शुरू कर देते हैं. अप्रैल और मई के महीनों में छुट्टियां शुरू हो जाती हैं. अप्रैल में ईस्टर की छुट्टियों के दौरान अधिकतर लोग घूमने के लिए कहीं बाहर जाना पसंद करते हैं. इसी तरह मई में भी अलग अलग राज्यों में अलग अलग छुट्टियां होती हैं. कोरोना के चलते जर्मनी ने मध्य मार्च में यात्राओं पर रोक लगाई थी. पहले इसे 3 मई तक के लिए तय किया गया था लेकिन अब यह प्रतिबंध 14 जून तक बढ़ाया जा रहा है. हालांकि अभी यह कहना संभव नहीं है कि क्या इसके बाद भी यह रोक खत्म हो सकेगी.
जर्मनी की समाचार पत्रिका डेय श्पीगेल के अनुसार आधिकारिक घोषणा होने के बाद लोगों से अपनी बुकिंग रद्द करने को कहा जाएगा. बवेरिया राज्य में रहने वाले लोगों पर इस फैसले का ज्यादा असर होगा क्योंकि वहां इस दौरान लंबी छुट्टियां होती है. साथ ही बवेरिया कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य भी है. अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि जून के अंत में शुरू होने वाली गर्मियों की छुट्टियों का क्या होगा. लगभग छह हफ्ते तक चलने वाली यह छुट्टियां अगस्त तक चलती हैं और इस दौरान स्कूल और कॉलेज बंद रहते हैं. माना जा रहा है कि लोगों में असमंजस की स्थिति ना बने, इस कारण जून का फैसला अभी से नहीं लिया जा रहा है. हालांकि अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी के थोमास बाराइस ने बवेरिया के एक रेडियो चैनल से बातचीत में कहा, "यह तय है कि भविष्य में काफी वक्त तक दूर के देशों में यात्राएं संभव नहीं होंगी."
अभूतपूर्व चुनौतियां का सामना करती एयरलाइंस
दुनियाभर में विमान सेवाएं ठप्प हैं. कोरोना वायरस महामारी के कारण विमानन क्षेत्र अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रहा है. विमान जितनी देर खड़े रहेंगे कंपनियों को उतना नुकसान होगा. एक नजर डालते हैं इस क्षेत्र की चुनौतियों पर.
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विशाल चुनौती
विमानन क्षेत्र एक ऐसे संकट से गुजर रहा है जिससे उबर पाना उसके लिए फिलहाल नामुमकिन है. देशों में लॉकडाउन के कारण हवा में उड़ने वाले विमान जमीन पर खड़े हैं. अंतरराष्ट्रीय एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के मुताबिक एयरलाइंस को वैश्विक स्तर पर 113 अरब डॉलर का नुकसान कोरोना वायरस महामारी के कारण हो सकता है.
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नौकरी पर खतरा
ब्रिटिश कारोबारी रिचर्ड ब्रैनसन ने चेतावनी दी है कि अगर कोरोनो वायरस संकट का सामना करने के लिए ब्रिटेन सरकार से वित्तीय सहायता नहीं मिलती है तो उनकी कंपनी वर्जिन अटलांटिक बंद हो जाएगी. वर्जिन अटलांटिक में हजारों लोग काम करते हैं. भारत में भी बजट एयरलाइंस अपने कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज चुकी है. गो एयर ने 90 फीसदी कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज दिया है.
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भविष्य की चिंता
अंतरराष्ट्रीय एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) के 290 एयरलाइंस सदस्य हैं. आईएटीए का कहना है कि गुजरते दिनों के साथ "उद्योग की संभावना और अधिक खराब नजर आ रही है." आईएटीए की मांग है कि सरकारें विमान कंपनियों को आर्थिक सहायता दें नहीं तो कंपनियां इस संकट को पार नहीं कर पाएंगी.
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उड़ानें ठप्प
आईएटीए के मुताबिक 2019 की तुलना में अप्रैल 2020 में 80 फीसदी उड़ानें दुनियाभर में रद्द हुईं. जनवरी के अंत में विमानन क्षेत्र के लिए संकट शुरू हुआ जब कंपनियों ने कोविड-19 के कारण चीन जाने वाली उड़ानें बंद करनी शुरू कर दी.
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पर्यटन-विमानन पर गहरा असर
जानकारों का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण नौकरियां पतझड़ की तरह जा सकती हैं. कई विमान कंपनियां लीज पर विमान लेती हैं और उन्हें उसके बदले पैसे चुकाने होते हैं. विमानों के नहीं उड़ने से कंपनियां टिकट नहीं बेच पाएंगी और लीज का पैसा नहीं चुका पाएंगी.
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भारतीय विमानन क्षेत्र का दर्द
भारत में विमानन कंपनियां पहले से ही बहुत अच्छी हालत में नहीं है और अगर कोरोना वायरस का संकट और चलता है तो भारत में सबसे ज्यादा नौकरियां जाने का खतरा है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो कंपनियों को मजबूरी में लोगों को नौकरी से निकालना होगा.
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विमान खड़े हैं तो भी खर्च
अगर विमान खड़े हैं तो भी खर्च होते हैं. विमान की देखरेख के लिए इंजीनियर होते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 16,000 यात्री विमान खड़े हैं. 2020 में इन खड़े विमानों की देखरेख भी बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. जब विमान खड़े होते हैं तो उन्हें पक्षियों से भी बचाना होता है क्योंकि वे उन में घोंसला बना सकते हैं.
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पार्किंग फीस
विमान को एयरपोर्ट पर खड़ा रखने का भी शुल्क लगता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अगर कोई विमान खड़ता करता है तो उसे एक दिन के लिए एक हजार डॉलर देने पड़ते हैं.
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ऐसे में ये अटकलें भी लग रही हैं कि धीरे धीरे जो छूट मिलेगी उसमें लोगों को अपने घर के आसपास के इलाकों को ही छुट्टी बिताने के लिए चुनने को कहा जाएगा. लेकिन इस तरह का नियम अगर बनता है, तो उसे किस तरह से अमल में लाया जा सकेगा, यह भी एक सवाल है. लोग उम्मीद कर रहे हैं कि कम से कम यूरोप के देशों में ट्रैवल बैन खत्म हो सके. वहीं थोमास बाराइस का कहना है, "मुझे लगता है कि इस साल अपने ही देश में छुट्टी बितानी होगी."
जहां जर्मनी में होटल बंद पड़े हैं, वहीं पड़ोसी देश ऑस्ट्रिया में मई के अंत से इन्हें खोलने की तैयारी चल रही है. ऑस्ट्रिया जर्मन राज्य बवेरिया से सटा हुआ है. ऐसे में जर्मनी और ऑस्ट्रिया के बीच सीमा खोलना पर्यटन उद्योग के लिए अहम है. ऑस्ट्रिया की सरकार इस बारे में जर्मनी और यूरोपीय संघ के साथ चर्चा करना चाहती है.
यूरोप के भीतर जर्मन लोग सबसे ज्यादा स्पेन, इटली, तुर्की, ग्रीस और ऑस्ट्रिया जाना पसंद करते हैं. 2019 के आंकड़ों के अनुसार 8.3 करोड़ की आबादी वाले जर्मनी में 7 करोड़ से ज्यादा यात्राएं दर्ज की गई और इनमें से 74 प्रतिशत यात्राएं विदेशों में हुई. विदेश मंत्री हाइको मास ने साफ शब्दों में कहा है, "इन गर्मियों में भीड़ से भरे हुए बीच और पहाड़ों वाली सामान्य छुट्टियां मुमकिन नहीं हैं."
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इसके विपरीत पोलैंड 4 मई से ही सभी होटल और मॉल खोल रहा है. 6 मई से वहां बच्चे दोबारा स्कूलों और डेकेयर में भी जा सकेंगे. पोलैंड यूरोप के उन देशों में से है जहां कोरोना का संक्रमण बहुत ज्यादा नहीं फैला है. अब तक वहां करीब छह सौ लोगों की जान गई है. लेकिन वहां भी स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेताया है कि संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और ऐसे में इतनी जल्दी देश को खोलना खतरे से खाली नहीं होगा. सरकार के प्रवक्ता प्योत्र मुलर ने कहा है कि गर्मियों की छुट्टियों के लिए होटल खुले रहेंगे.
इसी तरह फ्रांस में 11 मई से जीवन सामान्य की दिशा में लौटेगा लेकिन सभी रेस्तरां, कैफे और सिनेमाघर बंद रहेंगे. दक्षिणी फ्रांस में नीस और कान जैसे कई खूबसूरत बीच हैं. इन्हें फिलहाल 1 जून तक बंद रखा गया है. इसके बाद इन्हें खोलना है या नहीं, यह फैसला आने वाले दिनों में लिया जाएगा.
कोरोना संकट के बीच अटकलें चल रही थीं लेकिन अब इस पर मुहर लग गई है. इस साल जर्मनी का मशहूर अक्टूबर फेस्ट नहीं होगा. अक्टूबर फेस्ट के चाहने वाले निराश हैं लेकिन और कोई चारा भी नहीं है.
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मायूस म्यूनिख
सितंबर के अंत से अक्टूबर के मध्य तक चलने वाले अक्टूबर फेस्ट में हर साल 60 लाख लोग हिस्सा लेते हैं. 2019 में यहां 45 देशों के लोग पहुंचे थे. लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो सकेगा.
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मुश्किल फैसला
बवेरिया राज्य के मुख्यमंत्री मार्कुस जोएडर ने यह फैसला सुनाते हुए भारी मन से कहा कि वह जानते हैं कि अक्टूबर फेस्ट बवेरिया की जनता के लिए एक अहम आयोजन रहा है. उन्होंने उम्मीद जताई कि 2021 में लोग फिर से मिल कर इसका जश्न मना सकेंगे.
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लाखों लीटर बियर
2019 में इस फेस्टिवल के दौरान 73 लाख लीटर की खपत हुई. अक्टूबर फेस्ट में बीयर जिस ग्लास में पी जाती है उसे मास कहते हैं. एक मास में एक लीटर बीयर आती है.
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खूब महंगा
जर्मनी में बियर काफी सस्ती मिलती है. एक लीटर के लिए करीब एक यूरो ही देना पड़ता है. लेकिन अक्टूबर फेस्ट के दौरान एक लीटर के लिए दस यूरो तक देने पड़ते हैं. और दिन भर में लोग कई लीटर पी जाते हैं.
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करोड़ों का नुकसान
इस भव्य आयोजन के रद्द होने का असर कई लोगों पर पड़ेगा. सिर्फ बियर बनाने वाले ही नहीं, होटल, टैक्सी, रेस्तरां मालिक और किसानों पर भी इसका बुरा असर दिखेगा.
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पहली बार नहीं
1810 से अक्टूबर फेस्ट का आयोजन होता रहा है. 1854 और 1873 में हैजे के कारण आयोजन को रद्द करना पड़ा था. दूसरे विश्व युद्ध के कारण भी अक्टूबर फेस्ट के आयोजन को रद्द किया गया था.
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"हम समझते हैं"
अक्टूबर फेस्ट के आयोजकों ने कहा कि वे फैसले से निराश जरूर हैं लेकिन इस मुश्किल घड़ी को समझते हैं. प्रवक्ता पेटर वीजनविर्ट ने कहा, "लोगों का स्वास्थ्य हमारे लिए सबसे जरूरी है."
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आगे का सोचें
2019 में 19 सितंबर से 4 अक्टूबर तक फेस्टिवल का आयोजन होना था. अब अगले साल की तारीख का इंतजार है. उम्मीद है कि एक साल के ब्रेक के बाद और भी ज्यादा भीड़ जमा होगी.