जर्मनी: युद्ध की स्थिति में कितने लोगों के लिए बंकर हैं?
८ जून २०२५
साल 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के समय से ही यूरोपीय देशों के लिए सुरक्षा एक बड़ी चिंता बन गई है. जर्मनी समेत कई विकसित यूरोपीय देशों के लिए भी दशकों तक सैन्य ढांचे का विकास वरीयता क्रम में काफी पीछे रहा. यूक्रेन युद्ध ने रातोंरात हालात बदल दिए.
अब ना केवल ये देश रक्षा खर्च बढ़ा रहे हैं, बल्कि भविष्य में संभावित रूसी हमले के लिए खुद को तैयार करना व्यावहारिक जरूरत समझी जा रही है. इसी क्रम में अब जर्मनी में मिलिट्री प्रोक्योरमेंट की प्रमुख अनेट लेनिग-एमडन ने कहा है कि अगर रूस ने नाटो के भूभाग पर हमला किया, तो इस संभावित आक्रमण की तैयारी के लिए जर्मन सेना के पास केवल तीन साल हैं.
यह विभाग बुंडेसवेयर, यानी जर्मनी की सशस्त्र सेना के लिए जरूरी उपकरण खरीदता है. इसकी प्रमुख लेनिग-एमडन ने 'टागस्श्पीगल' अखबार से बातचीत में कहा, "देश की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार होने के लिए जरूरी हर चीज 2028 तक हासिल कर ली जानी चाहिए."
जर्मनी के सेना प्रमुख, जनरल कास्टन ब्रॉयर ने भी बीते दिनों चेतावनी दी कि रूस साल 2029 तक "नाटो भूभाग के विरुद्ध बड़े स्तर पर हमला करने की" स्थिति में होगा. उन्होंने आगाह किया कि नाटो के बाल्टिक सदस्यों पर संभावित हमले के लिए रूस गोला-बारूद और टैंक जमा कर रहा है.
कालिनिनग्राद: बाल्टिक में रूस का एक्सक्लेव
एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया नाटो के बाल्टिक सदस्य हैं. बाल्टिक सागर के पास बसे ये देश बिल्कुल रूस के बगल में हैं. इनकी सीमा रूस और बेलारूस से मिलती है. रूस के मुख्य भूभाग से दूर, बाल्टिक सागर में बसा रूस का एक बंदरगाह शहर 'कालिनिनग्राद' भी यहीं पोलैंड और लिथुआनिया के बीच पड़ता है.
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पोलैंड भी नाटो का सदस्य है. कालिनिनग्राद, रूसी सैन्य क्षमताओं से लैस एक अभेद्य किला माना जाता है. कई रक्षा विशेषज्ञ आशंका जताते हैं कि नाटो के साथ संघर्ष की स्थिति में कालिनिनग्राद की भूमिका बहुत अहम होगी.
जोर पकड़ती इन आशंकाओं के बीच रक्षा ढांचे को मजबूत करना जर्मन सरकार की प्राथमिकताओं में है. जर्मनी के चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स ने सशस्त्रीकरण को अपनी गठबंधन सरकार की प्राथमिकताओं में रखा है, ताकि "जर्मन सेना को यूरोप की सबसे ताकतवर पारंपरिक सेना" बनाया जा सके.
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लेनिग-एमडन ने यह भी बताया कि चांसलर मैर्त्स की सरकार सेना को आधुनिक उपकरण दिलाने के लिए बड़ा बजट दे रही है. आधुनिकीकरण के तहत फिलहाल भारी उपकरणों को प्राथमिकता दी जाएगी. जैसे कि स्काईरेंजर एंटी-एयरक्राफ्ट टैंक.
सैनिकों की संख्या बढ़ाना बड़ी चुनौती
रक्षा ढांचे में सुधार के प्रयास पूर्व चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के कार्यकाल में ही शुरू हो गए थे. जैसे-जैसे अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की संभावना बनती गई, यूरोप में रक्षा आत्मनिर्भरता की जरूरत ज्यादा बलवती होती गई. पिछले कार्यकाल में ट्रंप जोर दे रहे थे कि सदस्य देश अपने जीडीपी का न्यूनतम दो फीसदी रक्षा पर खर्च करें. अब वह इस खर्च को दो फीसदी से बढ़ाकर पांच प्रतिशत करने के लिए कह रहे हैं.
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ट्रंप के अनिश्चित रुख के कारण यूरोपीय देशों में यह भावना भी घर कर रही है कि उन्हें अपनी रक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भरता कम करनी होगी. ऐसे में जर्मनी अपने सैनिक बढ़ाने की भी कोशिश कर रहा है. इसी हफ्ते रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने कहा कि आने वाले सालों में 50 से 60 हजार नए सैनिकों को भर्ती करने की आवश्यकता है. साल 2024 में जर्मन सेना ने 2031 तक सैनिकों की संख्या बढ़ाकर 203,000 करने का लक्ष्य रखा था.
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विश्व युद्ध और शीत युद्ध के दौर के बंकरों का क्या हुआ?
शेल्टरों की संख्या बढ़ाना भी रक्षा क्षमता को सुदृढ़ करने की रणनीति का हिस्सा है. नागरिक रक्षा विभाग के अध्यक्ष राल्फ टिस्लर ने कहा कि जर्मनी शेल्टर बनाने की प्रक्रिया तेज करना चाहता है, ताकि संघर्ष की स्थिति में लोग वहां शरण ले सकें. द्वितीय विश्व युद्ध और शीत युद्ध के दौर में शेल्टर व बंकर शहरी ढांचे का अहम हिस्सा थे. साल 1996 तक जर्मनी में कोई अपने घर में शेल्टर बनवाता, तो उसे सरकार से सब्सिडी मिलती थी.
इनके अलावा सार्वजनिक शेल्टर भी हुआ करते थे. जैसे कि भूमिगत बंकर और सुरंग जो खासतौर पर हवाई हमले की स्थिति में सुरक्षा के लिए थे. बीएमडी, एक जर्मन रियल एस्टेट कंपनी है जो शेल्टरों और बंकरों का कामकाज करती है. इसके मुताबिक, 2009 में जब शेल्टर निर्माण कार्यक्रम बंद किया गया तब जर्मनी में करीब 9,000 घर ऐसे थे, जिनमें शेल्टर बना था. इसके अलावा भूतपूर्व पश्चिमी जर्मनी में सार्वजनिक शेल्टरों की संख्या करीब 2,000 थी.
उस समय के कई शेल्टर अब भी हैं, लेकिन अधिकतर की हालत अच्छी नहीं है. उन्हें या तो मरम्मत करना होगा, या रेनोवेट करना होगा. सरकार के अनुसार, इनमें से केवल 579 बंकरों ही पब्लिक शेल्टर की श्रेणी में हैं. इनमें कुल मिलाकर केवल 478,000 लोगों के लिए जगह है. मगर एक भी शेल्टर ना इस्तेमाल में है, ना ही इस्तेमाल के लिए तैयार है. 'जर्मन एसोसिएशन्स ऑफ टाउन्स एंड म्यूनिसिपैलिटीज' ने पिछले साल केंद्र सरकार से अपील की थी कि वह इन बंकरों को फिर से इस्तेमाल में लाने लायक बनाने के लिए बड़ी राशि खर्च करे.
जनता के लिए और ज्यादा बंकर बनाएगा जर्मनी
नवंबर 2024 में जर्मन गृह मंत्रालय ने बताया था कि आम लोगों को आपातकालीन शरण उपलब्ध कराने के लिए देशभर में मौजूद बंकरों की सूची बनाई जा रही है. यह एक किस्म की डिजिटल डायरेक्टरी होगी. इसके अलावा लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे अपने घर के बेसमेंट या गराज में फेरबदल करके उसे शेल्टर बनाएं. हालांकि, कई विशेषज्ञ सवाल उठाते हैं कि आधुनिक हथियारों के आगे ये सामान्य बंकर कितनी सुरक्षा दे सकेंगे. रूस के पास ऐसी हायपरसॉनिक मिसाइल हैं, जो दो से पांच मिनट के भीतर कालिनिनग्राद से तकरीबन हर एक यूरोपीय शहर पहुंच सकती हैं.