पर्यावरण के लिए जर्मनी ने शुरू किया 49 यूरो टिकट
१ मई २०२३सोमवार एक मई से जर्मनी ने सार्वजनिक परिवहन के लिए 49 यूरो का टिकट शुरू कर दिया है. इस टिकट के साथ एक महीने तक पूरे देश में यात्रा की जा सकती है. सरकार इसके जरिये निजी गाड़ियों का इस्तेमाल घटाना चाहती है. हालांकि इसके असर को लेकर संदेह बना हुआ है.
महंगाई से राहत
मासिक पास को "क्रांतिकारी" मान रहे नेताओं को उम्मीद है कि महंगाई के नीचे दबे आम लोगों को इससे थोड़ी राहत मिलेगी. इसके साथ ही लोग पर्यावरण के नाम पर सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करेंगे. इस टिकट के सहारे लोग जर्मनी में बस, मेट्रो, स्थानीय और क्षेत्रीय ट्रेनों में जितनी बार चाहें यात्रा कर सकते हैं. केवल लंबी दूरी की ट्रेनों को इसमें शामिल नहीं किया गया है.
जर्मनी में 9 यूरो टिकट कितना सफल हुआ
परिवहन मंत्री फोल्कर मिसिंग ने इस कदम को, "जर्मन इतिहास में सार्वजनिक परिवहन के लिए सबसे बड़ा सुधार" करार दिया है. हालांकि इसकी सफलता के बारे में निश्चित तौर पर कुछ कहना मुश्किल है.
कहां से आयेगा पैसा
जर्मन ट्रांसपोर्ट कंपनियों के एसोसिएशन, वीडीवी को उम्मीद है कि देश की 8.4 करोड़ आबादी में से 1.6 करोड़ लोग ये टिकट खरीदेंगे. करीब 7,50,000 टिकट पहले ही खरीदे जा चुके हैं. इनमें वो लोग शामिल नहीं हैं जो अपना पिछला पास छोड़ कर नया पास ले रहे हैं.
इस योजना के लिए पैसा कहां से आयेगा इस पर लंबी बहस चली और इसके कारण इसे शुरू करने में काफी देर भी हुई. संघीय सरकार और जर्मन राज्यों के बीच आखिर इसके लिए समझौता हुआ. अब दोनों सरकारें 1.5 अरब यूरो की रकम टिकट के लिए देने पर रजामंद हुई हैं ताकि राष्ट्रीय रेल कंपनी के कर्ज का बोझ और ना बढ़े.
विपक्षी दल इस खर्च को लेकर सरकार की आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस रकम का इस्तेमाल रेल सुविधाओं को बेहतर बनाने में किया जा सकता था. जर्मन में रेल नेटवर्क की स्थिति फिलहाल बहुत अच्छी नहीं है. आधिकारिक आकलनों के मुताबिक अगले 10 साल में जर्मन रेल नेटवर्क को कम से कम 8.6 अरब यूरो के निवेश की जरूरत है.
दबाव में रेल सेवा
रेल सेवाओं पर भारी दबाव है और नियमित रूप से तकनीकी समस्याओं के कारण 2022 में लंबी दूरी की केवल 65.2 फीसदी ट्रेनें ही समय पर पहुंच सकीं. इसका सबसे बढ़िया उदाहरण पिछले साल गर्मियों में देखने को मिला जब 9 यूरो का टिकट पेश किया गया. उस टिकट में भी वही खूबियां थीं जो 49 यूरो के टिकट में है. तकरीबन 5.2 करोड़ लोगों ने ये टिकट खरीदे और यात्रा की. इसके नतीजे में जर्मन रेल कंपनी बुरी तरह हांफने लगी. हालत ये हो गयी थी कि रेल कंपनी को भीड़ संभालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी उसके बावजूद लोगों को काफी दिक्कतें हुईं.
बर्लिन की टेक्निकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और रेल विशेषज्ञ क्रिश्चियन बोएटगर का कहना है, "समाधान निश्चित रूप से टिकट की कीमत घटाना नहीं है."
परिवहन मंत्री ने भी इस बात से इनकार नहीं किया है कि भविष्य में नये मॉडल टिकट की कीमतें बढ़ाई जा सकती हैं ताकि यह आर्थिक रूप से व्यावहारिक बना रह सके. इसके साथ ही लोगों को अपनी कार छोड़ कर पब्लिक ट्रांसपोर्ट में आने के लिए तैयार करना भी उतना आसान नहीं जितना समझा जाता है. बोएटगर का कहना है कि बहुत से लोग सिटी सेंटर से दूर रहते हैं और "वहां ऐसी रेल सुविधाएं नहीं हैं जो कार की जगह ले सकें."
कितना फायदेमंद है सस्ता टिकट
संघीय सांख्यिकी एजेंसी डेस्टेटिस के मुताबिक 9 यूरो टिकट की वजह से सड़क मार्ग से यातायात 2019 के मुकाबले "स्थिर" रहा, बढ़ा नहीं. इसी तरह संघीय पर्यावरण एजेंसी के मुताबिक 2022 में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन एक साल पहले की तुलना में 8 लाख टन ज्यादा था.
49 यूरो का टिकट बुनियादी रूप से शहरी लोगों को फायदा देगा जो पहले ज्यादा महंगे मासिक टिकट का इस्तेमाल कर रहे थे. जर्मनी अकेला देश नहीं है जो परिवहन से उत्सर्जन घटाने के लिए रेल यात्रा को बढ़ावा दे रहा है. बीते साल सितंबर में स्पेन में स्थानीय और क्षेत्रीय ट्रेनों के लिए मुफ्त पास जारी किये गये. इसके तहत 2023 की पहली तिमाही में 21 लाख टिकट दिये गये.
ऑस्ट्रिया में "क्लाइमेट टिकट" खरीदने वाले एक हजार यूरो से थोड़ी ज्यादा रकम दे कर साल भर लगभग पूरे देश के सार्वजनिक परिवहन में यात्रा कर सकते हैं, इसमें लंबी दूरी की ट्रेनें भी शामिल हैं. इस टिकट की सफलता ने देश में रेल यात्राओं की संख्या काफी ज्यादा बढ़ा दी है.
हालांकि फिर भी बहुत से लोग नहीं मानते कि यह कोई बढ़िया समाधान है. फ्रांस के परिवहन मंत्री क्लेमेंट बूने ने संसद में कहा, "यह बहुत महंगा पड़ता है और बहुत कम ही लोग कार छोड़ कर ट्रेन में सफर करने आते हैं."
एनआर/एए (एएफपी)