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70 साल से नाजी अत्याचारों का मुआवजा दिला रहा है यह संगठन

१६ सितम्बर २०२२

नाजी सत्ता के दौर में हुए अत्याचारों के लिये 70 साल से एक संगठन मुआवजा दिला रहा है. इस हफ्ते जर्मन सरकार 2023 में होलोकॉस्ट के पीड़ितों को 1.2 अरब यूरो का मुआवजा देने के लिये तैयार हुई.

नाजी शासन के अत्याचारों के लिये 70 साल से मुआवजा दिला रहा है यह संगठन
10 सितंबर 1952 को लग्जमबर्ग एग्रीमेंट्स पर दस्तखत किये गयेतस्वीर: dpa/picture-alliance

नाजी शासन के दौरान हुए अत्याचारों के लिये अब तक दिया गया कुल मुआवजा 80 अरब यूरो तक जा पहुंचा है. साल 2023 के लिये मुआवजे का एलान लग्जमबर्ग एग्रीमेंट्स की 70वीं वर्षगांठ के मौके पर किया गया. ठीक 70 साल पहले 15 सितंबर को ही इस संधि पर दस्तखत किये गये थे जिसने दूसरे विश्वयुद्ध में नाजी जर्मनी के यहूदियों पर किये अत्याचारों के लिये मुआवजे को संभव बनाया.

नाजी शासन के अत्याचारों की जिम्मेदारी

नाजी जर्मनी के शासन में 60 लाख से ज्यादा यूरोपीय यहूदियों को मारा गया. न्यू यॉर्क के 'कांफ्रेंस ऑन ज्यूइश मटीरियल क्लेम्स अगेंस्ट जर्मनी' को 'क्लेम्स कांफ्रेंस' भी कहा जाता है. इस संगठन के प्रमुग गिडेयॉन टेलर का कहना है, "नाजियों के हाथों यहूदियों के विनाश ने ना सिर्फ दुनिया भर के यहूदियों पर बल्कि वैश्विक मानवता के लिए एक डरावनी खाई पैदा कर दी." इसके साथ ही टेलर ने यह भी कहा, "इन संधियों ने अपना सब कुछ खो दने वाले पीड़ितों के लिये मुआवजे और पुनर्वास की जमीन तैयार की और आज भी दुनिया भर में रह रहे 280,000 से ज्यादा होलोकॉस्ट पीड़ितों की तरफ से फाउंडेशन की भूमिका निभा रहा है."

चांसल ओलाफ शॉल्त्स ने अगले साल के लिये मुआवजे का एलान कियातस्वीर: Carsten Koall/dpa/picture alliance

70वीं वर्षगांठ के मौके पर जर्मन सरकार ने बर्लिन के ज्यूइश म्यूजियम में सैकड़ों मेहमानों को एक समारोह में आमंत्रित किया था. इस दौरान सरकार ने उस जिम्मेदारी को रेखांकित किया जिसका वह पहले से निर्वहन करती आई है, आज कर रही है और भविष्य में करती रहेगी.

मुआवजे का इस्रायल में विरोध

समारोह में जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा, "लग्जमबर्ग एग्रीमेंट्स बिल्कुल बुनियादी थे और उन्होंने 80 अरब यूरो से ज्यादा के आर्थिक मुआवजे दिलवाये जिनका भुगतान 2021 के आखिर तक किया जा चुका है. इसके साथ ही यह भी सब लोग जानते हैं कि यह संधि उस भारी गलती के बोझ से कभी मुक्त नहीं हो सकता जो जर्मनों ने अपने कंधे पर लिया है. दरअसल लग्जमबर्ग एग्रीमेंट्स एक कोशिश है नैतिकता में नाकाम रहने की जिम्मेदारी लेने की, एक कोशिश यह तय करने की कि आखिरी चीज अमानवीय नहीं बल्कि मानवता रहे."

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1952 में इस संधि पर दस्तखत ने नाजी अत्याचारों के लिये मुआवजे का आधार तैयार किया. उस वक्त इस पर हुई बातचीत ना सिर्फ विवादित थी बल्कि इसे लेकर इस्राएल में हिंसक प्रदर्शन भी हुए. इस्राएल में बहुत से लोगों का मानना था कि पैसा लेना एक तरह से नाजियों को उनके अपराधों के लिये माफ करना होगा. बहुत से आलोचक इसे ब्लड मनी भी कहते हैं.

गरीब और जरूरतमंद पीड़ित

हालांकि इस समझौते के कारण पहली बार किसी पराजित ताकत ने जंग के दौरान हुए आमलोगों के नुकसान के लिये मुआवजा दिया. क्लेम्स कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष ग्रेग श्नाइडर का कहना है, "असल वार्ताकारों में जिस तरह की दूरदृष्टि थी उससे वो यह कल्पना नहीं कर सकते थे कि होलोकॉस्ट का पीड़ितों पर लंबे समय में क्या असर होगा." श्नाइडर ने कहा, "शायद किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि 70 साल बाद भी बुजुर्ग होलोकॉस्ट पीड़ित होंगे जो बेहद गरीब और जरूरतमंद होंगे और जो अब भी पीड़ा और कठोर नतीजे भुगत रहे होंगे."

श्नाइडर के मुताबिक यही वजह है किअगले साल की फंडिंग में 13 करोड़ यूरो की रकम बढ़ाई गई है जो घरेलू देखभाल पर खर्च होगी.

अगले साल के लिए जर्मनी जो रकम देने पर रजामंद हुआ है उसमें 1.2 करोड़ यूरो आपातकालीन मानवीय सहायता के रूप में भी है जो 8,500 यूक्रेनी होलोकॉस्ट पीड़ितों के लिये होगी. इसके अलावा 17 करोड़ यूरो हार्डशिप फंड के लिये है जो दुनिया भर में 143,000 होलोकॉस्ट सर्वाइवरों को मिलेगा.

जर्मनी पहली बार होलोकॉस्ट एजुकेशन के लिये भी धन दे रहा है. इसमें 2022 के लिए एक करोड़ यूरो, 2023 के लिये 2.5 करोड़, 2024 के लिए 3.5 करोड़ और 2025 के लिए 3.5 करोड़ यूरो की रकम दी जायेगी.

समय बीतने के साथ जीवित होलोकॉस्ट सर्वाइवरों की संख्या घट रही है और नरसंहार की स्मृतियां धुंधली पड़ रही हैं. ऐसे में विद्वान और पढ़ाने वाले चाहते हैं कि भविष्य की पीढ़ियों को यहूदी लोगों पर हुए नाजी अत्याचारों के बारे में जानकारी मिलती रहे.

एनआर/आरपी (एपी)

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