दूसरे विश्वयुद्ध के सात दशक बाद जर्मनी एक बार फिर यूरोप की सबसे प्रभावशाली सेना तैयार करना चाहता है. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सबसे बड़ा खतरा भी करार दिया है.
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को नाटो के लिए "सबसे बड़ा खतरा" बताते हुए जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा कि यूरोप को इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा. राजधानी बर्लिन में आर्मी कांग्रेस को संबोधित करते हुए शॉल्त्स ने कहा, "हम स्पष्ट तौर पर यह जता रहे हैं कि जर्मनी अपने महाद्वीप की सुरक्षा के लिए नेतृत्व की भूमिका लेने को तैयार है."
दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहला मौका है जब किसी जर्मन चांसलर ने सैन्य शक्ति को लेकर ऐसी बात कही है. दूसरे महायुद्ध में हार के बाद से जर्मनी शक्तिशाली सेना के बजाए आर्थिक सहयोग को तरजीह देता रहा है. लेकिन अब यह सोच बदलती दिख रही है. सैन्य अधिकारियों के सम्मेलन के दौरान चांसलर ने कहा, "सबसे ज्यादा आबादी वाला देश और बड़ी आर्थिक शक्ति होने व महाद्वीप के मध्य में होने के कारण, हमारी सेना को यूरोप की पारंपरिक सुरक्षा का अहम स्तंभ बनना होगा, यूरोप की बेस्ट इक्विप्ड फोर्स."
फरवरी 2022 के आखिरी में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो कई हफ्ते तक जर्मनी समझ ही नहीं सका कि कैसे रिएक्ट किया जाए. उसके सामने सामरिक और आर्थिक सहयोगी थे और रूस से मिलने वाली सस्ती गैस भी. इस असमंजस भरे रुख के कारण साझेदार देशों ने जर्मनी की तीखी आलोचना भी की. इसके बाद शॉल्त्स ने जर्मन सेना के बजट में ऐतिहासिक इजाफा कर दिया. शुरुआत में यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने में जर्मनी ने काफी संयम बरता लेकिन अब बर्लिन यूक्रेन को खुलकर घातक हथियार दे रहा है. यूक्रेन को ऐसे हथियार भी दिए जा रहे हैं जो खुद जर्मन सेना के पास नहीं हैं.
असल में रूसी राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले जर्मनी और फ्रांस के शीर्ष नेताओं से यह कहते रहे कि उनकी सेना यूक्रेन में नहीं घुसेगी. यह वादा टूटा. जंग शुरू होने के बाद भी जर्मनी और फ्रांस ने कूटनीतिक रूप से युद्ध को ठंडा करने की बड़ी कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी. कुछ महीने पहले जब रूस ने जर्मनी समेत पूरे यूरोप की गैस सप्लाई काटी, तो बर्लिन का सब्र टूट पड़ा. इसके बाद से ही जर्मनी के चांसलर ने लगातार रूस के खिलाफ कड़े फैसले लेने शुरू किए. यूक्रेन को अत्याधुनिक हथियारों की सप्लाई शुरू कर दी गई और अब दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जर्मन सेना के मशीनी आधुनिकीकरण का भी एलान कर दिया गया है.
शॉल्त्स के मुताबिक जर्मन सेना ने सामान्य ड्रिल और मानवीय राहत कार्यों में बहुत समय लगा दिया, "लेकिन यह हमारा कोर मिशन नहीं है. जर्मन सेना की मुख्य जिम्मेदारी यूरोप की आजादी की रक्षा करना है."
शीत युद्ध और जर्मन एकीकरण के समय जर्मनी की सेना में पांच लाख फौजी थे. आज यह संख्या दो लाख है. सुरक्षा विशेषज्ञ लंबे समय से हथियारों और औजारों की कमी पूरी करने की मांग करते आ रहे थे. बार बार फाइटर प्लेन, हेलिकॉप्टर, टैंक और युद्धपोतों की मांग करने के बावजूद सरकारों ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. लेकिन यूक्रेन युद्ध ने जर्मनी को अपना रुख पूरी तरह बदलने पर मजबूर कर दिया.
ओएसजे/ एनआर (एएफपी)
जर्मन सेना अलग से मिले 100 अरब की रकम से क्या खरीदेगी
कई दशकों से पुराने हथियार और साजो सामान से काम चलाने वाली जर्मन सेना को आधुनिक बनाने के लिए जर्मनी 100 अरब यूरो की रकम अलग से खर्च करने जा रहा है. आखिर इतनी बड़ी रकम से सेना के लिए क्या क्या खरीदा जाएगा.
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सबसे बड़ा हिस्सा वायु सेना को
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक 100 अरब में से तकरीबन 40 अरब रकम से ज्यादा की रकम वायु सेना पर खर्च होगी. जर्मन नौसेना के लिए 19.3 और थल सेना के लिए 16.6 अरब यूरो की रकम खर्च की जाएगी. बाकी रकम संयुक्त रूप से सेना के लिये नई तकनीकों के विकास पर खर्च होगी.
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लड़ाकू विमान
जर्मन वायु सेना के पास फिलहाल टोरनाडो लड़ाकू विमान है जो बहुत पुराना हो चुका है और कई विमान तो अब उड़ने के काबिल भी नहीं रहे. जर्मन सरकार अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने की इच्छा रखती है. इतना ही नहीं वायु सेना में नया यूरोफाइटर और टोरनाडो की जगह लेने के लिए एक और विमान बेड़ा भी तैयार होगा.
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एयर डिफेंस सिस्टम
जर्मनी इस्राएल से एक नया एयर डिफेंस सिस्टम एरो खरीदने की तैयारी में है. जर्मनी के पास पहले से पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम है लेकिन यह कम ऊंचाई और दूरी की मिसाइलों के लिए है. एरो पृथ्वी से बहुत ज्यादा ऊंचाई पर और लंबी दूरी तय कर के आने वाली मिसाइलों को रोकता है.
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अर्ली वार्निंग सिस्टम
जर्मनी एक अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित करने की भी तैयारी में है. यह वार्निंग सिस्टम अंतरिक्ष में रहते हुए काम करेगा और मिसाइलों से हमले की जानकारी मुहैया करायेगा जिससे कि समय रहते एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से हमलावर मिसाइल को बेकार किया जा सके. एक ड्रोन डिफेंस सिस्टम भी विकसित करने की बात हो रही है.
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हथियारबंद ड्रोन
जर्मनी की संसद ने हेरॉन टीपी ड्रोन के लिए 140 मिसाइल खरीदने की मंजूरी दे दी है. इसके लिए करीब 15.26 करोड़ यूरो का करार होगा. हाल के महीनों तक जर्मन सेना को हथियारबंद ड्रोन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी लेकिन अब मिल गयी है.
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कमांड और कंट्रोल सिस्टम
सेना के कमांड और कंट्रोल सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए जर्मन सेना 20.7 अरब यूरो की रकम खर्च कर रही है. इसमें एनक्रिप्टेड रेडियो, बैटल मैनेजमेंट सिस्टम और कई दूसरी चीजें शामिल हैं. इससे पहले माली जैसे देशों में जर्मन सेना उधार के एनक्रिप्टेड रेडियो का इस्तेमाल करती थी ताकि संयुक्त अभियानों में समस्या ना हो.
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लड़ाकू जलपोत और पनडुब्बी
नौसेना के लिए जंगी जहाज, मिसाइल और पनडुब्बी भी जर्मन सेना की खरीदारी की लिस्ट में शामिल है. जर्मनी के-130 टाइप के पांच और लड़ाकू जलपोत खरीदेगा. ये जलपोत इसी तरह के पुराने जहाजों की जगह लेंगे. इसके साथ ही एफ-126 टाइप के दो और फ्रिगेट भी खरीदने के विकल्प पर भी विचार हो रहा है.
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समुद्री गश्ती विमान
जर्मन सेना को बोइंग के बनाये पी8ए विमान भी मिलेंगे जो समुद्र में गश्त के लिए इस्तेमाल होते हैं. इसके अलावा भारी हथियारों से लैस लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर भी सेना में शामिल होंगे. फिलहाल सेना एच145एम इस्तेमाल कर रही है जिन्हें भारी हथियारों से लैस करने के बाद इनमें भी हमलावर हेलीकॉप्टर की क्षमता आ जायेगी.
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वर्दी और हेलमेट
सरकार जर्मन सैनिकों के यूनिफॉर्म, हेलमेट और नाइट विजन जैसे उपकरणों पर करीब 2 अरब यूरो की रकम खर्च करेगी.
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मार्डर टैंक बदला जायेगा
थल सेना के लिए खरीदारी में मार्डर टैंक के दस्ते को बदलना भी शामिल है. इसके लिए नये टैंकों के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है.