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जेंडर समानता में जर्मनी दुनिया में छठे नंबर पर

२१ जून २०२३

औरत और मर्द के बीच बराबरी के मामले में जर्मनी में हालात बेहतर हुए हैं लेकिन औरतें अब भी कम कमा रही हैं.

महिलाओं और पुरुषों का वेतन में बड़ा फर्क
तस्वीर: JOHN MACDOUGALL/AFP/Getty Images

वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम यानी डब्ल्यूईएफ के ताजा इंडेक्स के मुताबिक जर्मनी महिला-पुरुष समानता में दुनिया में छठे नंबर पर है. ये इंडेक्स दुनिया के 146 देशों में जेंडर समानता का आकलन करता है. साल 2022 में जर्मनी 10वें स्थान पर था यानी अपना रिकॉर्ड सुधारते हुए देश ने चार पायदान की छलांग लगाकर बेहतरी के संकेत दिए हैं.

घट रही है भारत में कामकाजी महिलाओं की संख्या

इस सूची में आइसलैंड पहले, नॉर्वे दूसरे और फिनलैंड तीसरे स्थान पर हैं जबकि अफगानिस्तान, चाड, अल्जीरिया और ईरान इस सूची में सबसे निचले पायदानों पर खड़े हैं. डब्ल्यूईएफ के इस इंडेक्स में महिला-पुरुष बराबरी की नजर से दुनिया भर के देशों को चार कसौटियों पर परखा जाता है- आर्थिक अवसर और भागीदारी, शिक्षा, सेहत और राजनैतिक हिस्सेदारी.

जर्मनी की पहली महिला विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉकतस्वीर: Boris Roessler/dpa/picture alliance

मैनेजमेंट में अब भी मुश्किल

जर्मनी की सुधरी रैंकिंग में बड़ी भूमिका निभाई है राजनीति में औरतों की बढ़ती भागीदारी ने. संसद में महिला प्रतिनिधियों की संख्या में इजाफा हुआ है और जर्मनी की सरकार में भी महिलाओं की भागीदारी लगभग 50 फीसदी है. हालांकि रिपोर्ट में जिक्र है कि मैनेजमेंट पदों पर महिलाओं की हिस्सेदारी फिसलकर 2018 के स्तर पर पहुंच गई है. केवल 29 फीसदी महिलाएं इन पदों पर हैं.

मैनेजमेंट में अब भी पुरुषों का ही वर्चस्वतस्वीर: Thomas Trutschel/photothek/picture alliance

आकार ले रही है जर्मनी की नारीवादी विदेश नीति

सेक्टर के लिहाज से देखा जाए तो शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में जेंडर समानता की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है लेकिन आमदनी की नजर से देखा जाए तो अभी रास्ता लंबा है. आर्थिक दृष्टि से औरतों के हालात नहीं बदले हैं. औरतें प्रबंधकीय पदों तक पहुंचने में ही नहीं पिछड़ी हैं बल्कि मर्दों के मुकाबले उन्हें कम तनख्वाह भी मिलती है.

दो नवंबर को मनाया जाता है समान वेतन दिवसतस्वीर: NurPhoto/picture alliance

कब भरेगा फासला

डब्ल्यूईएफ साल 2006 से ये इंडेक्स जारी कर रहा है. औरतों और मर्दों के बीच बराबरी के ताजा हाल को देखते हुए फिलहाल आकलन ये कहता है कि इस अंतर को पाटने के लिए दुनिया को 131 साल और चाहिए. हालांकि रिपोर्ट का एक अनुमान ये भी है कि यूरोपीय देश ये लक्ष्य कहीं पहले हासिल कर सकते हैं. यहां जेंडर समानता 67 सालों में हासिल हो सकती है जबकि पूर्वी एशियाई देशों और प्रशांत क्षेत्र में 189 साल का लंबा वक्त लग सकता है.

एसबी/ओएसजे (डीपीए)

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