जर्मन नागरिकता लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगीः रिपोर्ट
२५ नवम्बर २०२२
जर्मनी में आप्रवासियों के लिए नागरिकता लेने को आसान बनाए जाने की तैयारी हो रही है. जर्मन मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि सरकार प्रक्रिया छोटा और आसान बनाना चाहती है.
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जर्मनी के एक अखबार बिल्ड ने खबर दी है कि देश की केंद्र सरकार आप्रवासियों के लिए नागरिकता लेने को आसान बनाने पर विचार कर रही है. शुक्रवार को बिल्ड में छपी खबर के मुताबिक गृह मंत्रालय एक प्रस्ताव का मसौदा तैयार कर रहा है जिसमें आप्रवासियों को पांच साल देश में रहने पर ही नागरिकता के योग्य मान लिए जाने का प्रावधान है. अभी यह समयसीमा आठ साल है.
रिपोर्ट में कहा है गया है कि जर्मन समाज में घुलने-मिलने के लिए अगर आप्रवासी विशेष उपाय करेंगे तो उन्हें तीन साल में भी नागरिकता के लिए आवेदन करने का अधिकार मिल सकता है. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि अभी कुछ तय नहीं हुआ है और फिलहाल मसौदे पर चर्चा हो रही है.
आप्रवासन व्यवस्था में सुधार
बिल्ड लिखता है कि इमिग्रेशन सिस्टम में सुधार की जो बात हो रही है, उसके तहत देश में जन्मे उन बच्चों को जर्मन नागरिकता मिल जाएगी, जिनके माता या पिता में से कोई एक कानूनन देश में पांच साल बिता चुके हैं. ये बदलाव उस मांग की प्रतिक्रिया में हो रहे हैं जिसमें देश के 16 राज्यों के ने विदेशियों के जर्मनी में जन्मे बच्चों की नागरिकता की प्रक्रिया तेज करने का आग्रह किया था.
कौन से देश विदेशियों को करते हैं अपनी सेना में शामिल
क्या कोई देश किसी दूसरे देश के नागरिकों को अपनी सेना में भर्ती कर सकता है? जर्मनी इस बारे में विचार कर रहा है, लेकिन वास्तव में अमेरिका और रूस समेत कई देश सेना में विदेशी लोगों को भर्ती करते हैं.
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कनाडा
2022 के नवंबर की शुरुआत में कनाडा के सशस्त्र बलों (सीएएफ) ने घोषणा की कि स्थायी निवासियों को अब सेवाओं में भर्ती दी जाएगी, क्योंकि सेना में इन दिनों सैनिकों की कमी है. सीएएफ के इस कदम से कनाडा निवासी भारतीयों को फायदा मिलेगा. 2021 में करीब एक लाख भारतीय कनाडा के स्थायी निवासी बने थे.
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अमेरिका
अमेरिका की सेना में स्थाई निवासी और ग्रीन कार्ड रखने वाले ही शामिल हो सकते हैं. हालांकि उन्हें सेना में कमीशन नहीं मिलता. 2002 में तब के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने गैर-अमेरिकी सैनिकों की नागरिकता को आसान और तेज बनाने के आदेश दिए. हर साल यहां सेना में 8,000 विदेशी नागरिक भर्ती होते हैं. इनमें ज्यादातर मेक्सिको और फ्रांस के लोग हैं. माइक्रोनेशिया और पलाउ के लोग भी सेना में आ सकते हैं.
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रूस
सेना में शामिल होने के नियमों को 2010 में रूस ने आसान किया. इसे पुराने सोवियत संघ के देशों में रह रहे रूसी लोगों को बुलाने का जरिया माना गया. हालांकि रूस ने विदेशियों के लिए कई दूसरे कदम भी उठाए हैं. रूसी भाषा बोलने वाले गैर-रूसी लोग 5 साल के करार पर सेना में जा सकते हैं. 3 साल बाद नागरिकता के भी कई विकल्प मिलते हैं.
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ब्रिटेन
ब्रिटेन ने 2018 में कॉमनवेल्थ देशों के नागरिकों के सेना में भर्ती होने के लिए चली आ रही 5 साल ब्रिटेन में रहने की शर्त को खत्म कर दिया है. अन्य देशों के नागरिक यहां की सेना में नहीं जा सकते यहां तक कि यूरोपीय संघ के भी नहीं.
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फ्रांस
फ्रांस का फॉरेन लीजन अनोखा है. यह सबसे पुरानी सिर्फ विदेशी सैनिकों की शाखा है जो अब भी सक्रिय है. यह 1831 में बनी और इसे अब भी फ्रेंच सेना के अधिकारियों से आदेश मिलता है. इसमें शामिल लोग 3 साल की नौकरी के बाद ही फ्रांस की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.
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स्पेन
स्पेन ने 2002 से विदेशियों की सेना में भर्ती शुरू की. पहले स्पेन के पुराने उपनिवेशों के नागरिकों को मौका दिया गया. बाद में इसमें मोरक्को भी शामिल हुआ. मोरक्को का उत्तरी हिस्सा कभी स्पेन का उपनिवेश रहा था. सेना में कई ऐसे लोग भी हैं जो स्पेनवासी नहीं हैं. विदेशियों का कोटा 2 फीसदी से बढ़ कर अब 9 फीसदी हो गया.
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बेल्जियम
2004 से बेल्जियम की सेना में 18-34 साल के यूरोपीय नागरिकों की सैनिक के रूप में भर्ती शुरू की गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/V. Lefour
आयरलैंड
आयरलैंड यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र यानी यूरोपीय संघ समेत आइसलैंड, लिश्टेनश्टाइन और नॉर्वे के लोगों को सेना में शामिल करता है. दूसरे देश के नागरिक अगर 3 साल से ज्यादा समय से आयरलैंड में रह रहे हों, तो वे भी सेना में भर्ती हो सकते हैं.
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लग्जमबर्ग
लग्जमबर्ग भी यूरोपीय नागरिकों को अपनी सेना में जगह देता है. बशर्ते वो देश में 3 साल से ज्यादा वक्त से रह रहे हों और उनकी उम्र 18 से 24 साल के बीच हो.
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डेनमार्क
डेनमार्क की सेना में भर्ती होने के लिए डेनमार्क में रहने वाले विदेशी लोग आवेदन दे सकते हैं. डेनमार्क में रहने के अलावा उम्मीदवार का डैनिश भाषा बोलना भी जरूरी है.
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प्रस्तावित सुधारों के मुताबिक 67 साल से ऊपर के लोगों को नागरिकता के लिए लिखित जर्मन परीक्षा नहीं देनी होगी और मौखिक रूप से संवाद के योग्य होना ही काफी होगा. पिछले हफ्ते ही एक स्थानीय अखबार ‘द लोकल‘ ने खबर दी थी कि जर्मनी की सरकार आप्रवासियों को दोहरी नागरिकता रखने की इजाजत देने पर विचार कर रही है. फिलहाल यह अधिकार यूरोपीय संघ के कुछ देशों और स्विट्जरलैंड के नागरिकों को ही है.
सुधारों पर चिंता भी
जर्मन नागरिकता और आप्रवासन व्यवस्था में प्रस्तावित सुधारों को लेकर गठबंधन सरकार के दलों में समझौता हुआ था. सरकार बनाने के लिए चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की सोशल डेमोक्रैट्स पार्टी (एसपीडी), ग्रीन पार्टी और फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी (एफडीपी) के बीच जो समझौता हुआ था, उसमें एक धारा नागरिकता सुधारों को लेकर भी थी.
तीनों दलों के गठबंधन ने वादा किया था कि आप्रवासियों को दोहरी नागरिकता रखने की इजाजत दी जाएगी. उन्होंने शरणार्थी और वीजा प्रक्रिया की गति बढ़ाने का भी वादा किया था.
2022 में सबसे ताकतवर पासपोर्ट
हेनली इंडेक्स के मुताबिक जापान और सिंगापुर दुनिया के सबसे ताकतवर पासपोर्ट हैं. अफगानिस्तान का पासपोर्ट सबसे नीचे है. सूची में और कौन-कौन से देश टॉप में हैं, देखिए...
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जापान, सिंगापुर सबसे ताकतवर
एशियाई देशों जापान और सिंगापुर के पासपोर्ट धारक 192 देशों की यात्रा बिना पहले से वीजा लिए कर सकते हैं, जो इन्हें दुनिया का सबसे ताकतवर पासपोर्ट बनाता है.
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नंबर 2
जर्मनी और दक्षिण कोरिया नंबर दो पर हैं. इनके पासपोर्ट धारक 190 देशों की बिना पहले वीजा लिए यात्रा कर सकते हैं.
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नंबर 3
चार यूरोपीय देश फिनलैंड, इटली, लग्जमबर्ग और स्पेन के पासपोर्ट 188 देशों की यात्रा के अधिकार के साथ तीसरे नंबर पर हैं.
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नंबर 4
चौथे नंबर पर भी यूरोपीय देशों का कब्जा है. ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, फ्रांस, नीदरलैंड्स और स्वीडन के पासपोर्ट पर 188 देशों की वीजा-फ्री यात्रा की जा सकती है.
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नंबर 5
आयरलैंड और पुर्तगाल के पासपोर्ट 187 देशों की वीजा फ्री यात्रा का अधिकार देते हैं.
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नंबर 6
बेल्जियम, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, युनाइटेड किंग्डम और अमेरिका के पासपोर्ट नंबर 6 पर हैं. ये लोग 186 देशों में बिना पहले से वीजा लिए जा सकते हैं.
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नंबर 7
ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चेक रिपब्लिक, ग्रीस और माल्टा के पासपोर्ट पर 185 देशों की यात्रा वीजा फ्री की जा सकती है.
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नंबर 8
183 देशों की वीजा फ्री यात्रा के अधिकार के साथ हंगरी और पोलैंड के पासपोर्ट नंबर 8 पर हैं.
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नंबर 9
लिथुआनिया और स्लोवाकिया के पासपोर्ट हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में नंबर 9 पर हैं. इन्हें 182 देशों की वीजा फ्री यात्रा का अधिकार है.
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नंबर 10
एस्टोनिया, लातविया और स्लोवेनिया के पासपोर्ट धारक 181 देशों की यात्रा बिना पहले से वीजा लिए कर सकते हैं.
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भारत की रैंकिंग सुधरी
इस सूची में भारत अब 90 से उछलकर 83वें नंबर पर आ गया है. भारत के पासपोर्ट पर 60 देशों की वीजा फ्री यात्रा का अधिकार है, जो पिछले साल के 58 देशों से ज्यादा है.
तस्वीर: Avishek das/ZUMA Press/Imago Images
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विपक्षी दल क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन इस प्रस्ताव को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं. पार्टी के सांसद थॉर्स्टन फ्राई ने बिल्ड से कहा, "जर्मन पासपोर्ट को कूड़ा नहीं बनाया जाना चाहिए." सीडीयू की बावेरियाई सहयोगी दल क्रिश्चियन सोशल यूनियन की आंड्रिया लिंडहोत्ज ने कहा कि अगर यह प्रस्ताव पारित होता है तो "जर्मनी में रहने वाले विदेशियों के लिए देश में घुलने-मिलने का कोई फायदा ही नहीं रह जाएगा."
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जर्मनी में विदेशी नागरिकता
एक अनुमान के मुताबिक जर्मनी में 1.18 करोड़ विदेशी रहते हैं. इसी साल जून में आई एक रिपोर्ट में बताया गया कि 2021 में लगभग 1,31,600 विदेशियों ने जर्मनी की नागरिकता ली थी. केंद्रीय सांख्यिकी विभाग के मुताबिक 2020 के मुकाबले 2021 में देश की नागरिकता लेने वालों में करीब 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ था.
8,000 अमीर लोग भारत छोड़ने की तैयारी में
हेनली ग्लोबल सिटिजंस रिपोर्ट कहती है कि भारत उन टॉप 10 देशों में शामिल है जहां के सबसे ज्यादा अमीर लोग 2022 में देश छोड़ विदेशों में बसने की तैयारी कर रहे हैं.
तस्वीर: Francis Mascarenhas/REUTERS
भारत छोड़ने की तैयारी
अमीरों को विदेशों का वीजा दिलाने में मदद करने वाली कंपनी हेनली ऐंड पार्टनर्स की रिपोर्ट कहती है कि इस साल आठ हजार से ज्यादा धनी लोग भारत छोड़ विदेशों में बस जाएंगे.
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टॉप 10 में भारत
जिन देशों के सबसे ज्यादा धनी लोग विदेशों में बसने की तैयारी कर रहे हैं वे हैं रूस, चीन, हांगकांग, भारत, यूक्रेन, ब्राजील, ब्रिटेन, मेक्सिको, सऊदी अरब और इंडोनेशिया.
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कहां जाएंगे ये अमीर
रिपोर्ट के मुताबिक इन धनी लोगों के सबसे पसंदीदा ठिकाने हैः यूएई, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, इस्राएल, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, पुर्तगाल, ग्रीस, कनाडा और न्यूजीलैंड.
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तीन एम का जलवा
रिपोर्ट के मुताबिक तीन देश ऐसे हैं जिनमें अमीरों ने विशेष दिलचस्पी दिखाई है. वे हैं माल्टा, मॉरिशस और मोनैको.
तस्वीर: Peter Schickert/imagebroker/IMAGO
ब्रिटेन और अमेरिका नहीं
रिपोर्ट कहती है कि अमीरों के पारंपरिक ठिकाने रहे ब्रिटेन और अमेरिका अब पसंदीदा देशों की सूची से बाहर हो चुके हैं. यहां के अमीर लोग भी पलायन कर रहे हैं. 2022 में 1,500 ब्रिटिश अमीरों के देश छोड़ जाने की संभावना है.
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चीन से सर्वाधिक पलायन
रिपोर्ट के मुताबिक चीन से लगभग दस हजार अति-धनी लोग इस साल पलायन कर जाएंगे, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है. देश के बाकी दुनिया से खराब होते रिश्ते और धन बढ़ने में लगातार कमी को इसकी मुख्य वजह बताया गया है.
तस्वीर: Ng Han Guan/AP Photo/picture alliance
भारत में अमीर बढ़ेंगे
रिपोर्ट ने अनुमान लगाया है कि जितने अमीर भारत छोड़ेंगे, उनसे ज्यादा वहां सूची में जुड़ जाएंगे. 2031 तक देश में अमीरों की वृद्धि दर 80 प्रतिशत रहेगी.
तस्वीर: Francis Mascarenhas/REUTERS
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पिछले साल जर्मन नागरिकता लेने वालों में 173 देशों के लोग थे. इनमें से एक चौथाई ही यूरोपीय संघ के लोग थे. सबसे बड़ी संख्या सीरिया से आए लोगों की थी. 19,100 सीरियाई मूल के लोगों ने जर्मन नागरिकता ग्रहण की. उसके बाद तुर्की (12,200), रोमानिया (6,900) और पोलैंड (5,500) का नंबर था.
2022 में जर्मनी में सीरियाई मूल के लगभग साढ़े चार लाख लोग हैं जो कम से कम छह साल से जर्मनी में रह रहे हैं. यह एक रिकॉर्ड है. अब तक जर्मन नागरिकता के लिए कम से कम आठ साल का निवास जरूरी होता है लेकिन प्रस्तावित सुधार पारित होते हैं तो ये सभी सीरियाई नागरिक फौरन नागरिकता पाने के योग्य हो जाएंगे.