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जर्मनी के हनाउ में मिले इंसानी खून से बने कई स्वास्तिक चिह्न

६ नवम्बर २०२५

जर्मनी की पुलिस ने गुरुवार को बताया कि वे हनाउ शहर में दर्जनों कारों, कुछ लेटरबॉक्स और इमारतों की दीवारों पर इंसानी खून से स्वास्तिक चिह्न बनाने की जांच कर रही है.

जर्मनी का हनाउ शहर
यह समस्या केवल हनाउ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे जर्मनी में, खासकर पूर्वी इलाकों में यह एक चलन सा बनता जा रहा हैतस्वीर: Patrick Scheiber/IMAGO

हनाउ के पुलिस प्रवक्ता थोमास लायपोल्ड ने बताया कि बुधवार रात एक व्यक्ति ने सूचना दी कि उसने एक खड़ी कार के बोनट पर लाल रंग के तरल पदार्थ से बना स्वास्तिक देखा. विशेष परीक्षण से जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि वह लाल तरहल इंसानी खून था. पुलिस के अनुसार, कुल मिलाकर लगभग 50 कारों को इसी तरह नुकसान पहुंचाया गया है.

लायपोल्ड ने बताया, "इस घटना की पृष्ठभूमि पूरी तरह अस्पष्ट है." उन्होंने बताया कि जांच अधिकारी अब तक यह नहीं समझ पाए हैं कि क्या कुछ खास कारों, लेटरबॉक्स और इमारतों को निशाना बनाया गया था या बिना किसी योजना के स्वास्तिक बनाए गए.

बहुत से सवाल अनुत्तरित

पुलिस प्रवक्ता ने यह भी बताया कि कारों और इमारतों पर कुछ दूसरी लिखावटें भी मिली हैं, जिन्हें फिलहाल पहचाना नहीं जा सका है. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इसके पीछे कौन है और खून कहां से आया.

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लायपोल्ड ने यह भी कहा कि इन घटनाओं में किसी शख्स को चोट पहुंचने की जानकारी अधिकारियों को नहीं है. पुलिस फिलहाल संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और असंवैधानिक संगठनों के प्रतीकों के इस्तेमाल के मामलों की जांच कर रही है.

जर्मनी में स्वास्तिक चिह्न प्रतिबंधित है 

जर्मनी में नाजी प्रतीकों का प्रदर्शन गैरकानूनी है, जिनमें स्वास्तिक भी शामिल है. स्वास्तिक को नफरत का प्रतीक माना जाता है, जो होलोकॉस्ट और नाजी शासन की भयावहता की याद दिलाता है. नस्लीय श्रेष्ठता में विश्वास रखने वाले, नव-नाजी गुट और कई उपद्रवी दूसरे विश्व युद्ध के बाद भी इस प्रतीक का इस्तेमाल डर और नफरत फैलाने के लिए करते रहे हैं.

यह चिह्न भारत के हिन्दू धर्म में प्रचलित स्वास्तिक प्रतीक से मिलता जुलता दिखता है, लेकिन इनमें काफी अंतर भी है. जहां हिन्दू प्रतीक की रेखाएं उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम दिशा की ओर दिखाती हैं, वहीं नाजी चिह्न अक्ष से थोड़ा घूमा हुआ होता है.

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सिर्फ हनाउ तक सीमित नहीं 

पांच साल पहले जर्मनी का यही हनाउ शहर उस समय सुर्खियों में आया था जब एक जर्मन हमलावर ने एक हुक्का बार में गोलीबारी कर नौ प्रवासी मूल के लोगों की हत्या कर दी थी. यह घटना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे गंभीर घरेलू आतंकवादी हमलों में से एक मानी जाती है.

यह समस्या केवल हनाउ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे जर्मनी में, खासकर पूर्वी इलाकों में यह एक चलन सा बनता जा रहा है. जर्मनी के पूर्वी राज्य सैक्सनी-अनहाल्ट के दस्सो शहर में दक्षिणपंथी कट्टरतपंथ और नस्लभेद बहुत तेजी से फैल रहा है. शहर की सड़कों पर बने निशानों के रूप में अब यह कट्टरता साफ देखी जा सकती हैं. नाजी प्रतीक (स्वास्तिक), हिटलर के समर्थन में बनाए गए चित्र और नफरत भरे नारे दीवारों पर आम हो रहे हैं.

मई में जर्मनी की फेडरल क्रिमिनल पुलिस के प्रमुख होल्गर म्यूनिख ने चेतावनी दी कि काफी कम उम्र के बच्चे भी अब दक्षिणपंथीऔर हिंसक विचारों की ओर जा रहे हैं और कुछ तो अपराध करने के लिए ग्रुप भी बना रहे हैं.

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