वैक्सीन पेटेंट: भारत को अमेरिका का साथ, जर्मनी से झटका
७ मई २०२१
जर्मनी ने भारत की उस मांग का समर्थन करने से इनकार कर दिया है कि कोविड वैक्सीन को अस्थायी तौर पर पेटेंट से मुक्त कर दिया जाए ताकि सभी देश अपनी जरूरतों के हिसाब से इसे बना सकें.
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अमेरिका के भारत की कोविड वैक्सीन को पेटेंट से मुक्त करने की मांग के समर्थन के एक दिन बाद जर्मनी ने कहा है कि बौद्धिक संपदा अधिकार नई खोजों के प्रेरणा स्रोत हैं और इन्हें भविष्य में भी ऐसा ही बना रहना चाहिए. गुरुवार को जर्मन सरकार की एक प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा, "अमेरिका के कोविड-19 वैक्सीन को पेटेंट मुक्त करने के सुझाव के वैक्सीन के उत्पादन पर गंभीर असर हो सकते हैं. बौद्धिक संपदा अधिकार नई खोजों के प्रेरणा स्रोत हैं और इन्हें भविष्य में भी ऐसा ही बना रहना चाहिए." जर्मन सरकार का रुख है कि उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता पर नियंत्रण वैक्सीन की पहुंच बढ़ाने में मुख्य बाधाएं हैं न कि बौद्धिक संपदा अधिकार.
अमेरिका समर्थन में
बुधवार को अमेरिका ने भारत की इस मांग पर अपना रुख बदला और मांग का समर्थन किया. अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन टाई ने कहा कि व्यापारों के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार जरूरी हैं लेकिन अमेरिका कोविड वैक्सीन पर से वे अधिकार हटाने का समर्थन करता है ताकि महामारी को खत्म किया जा सके. एक बयान में टाई ने कहा, "यह एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट है और कोविड-19 महामारी के असाधारण हालात में असाधारण कदम उठाने की जरूरत है." अमीर देशों पर कोविड वैक्सीन की जमाखोरी के आरोपों के बीच अमेरिका पर इस मांग का समर्थन करने का भारी दबाव था.
जर्मनी कोवैक्स (कोविड-19 वैक्सीन्स ग्लोबल एक्सेस) नाम की पहल का समर्थक है जिसका मकसद दुनिया के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वैक्सीन पहुंचाना है. हालांकि जर्मनी ने कहा है कि विश्व व्यापार संगठन में इस मुद्दे पर विचार-विमर्श जारी है.
दवा कंपनियां विरोध में
कई दवा कंपनियों ने भी कोविड-19 वैक्सीन को पेटेंट से मुक्त करने के सुझाव का विरोध किया है. दवा कंपनी फाइजर के सीईओ ऐल्बर्ट बोरला ने कहा है कि उनकी कंपनी इसके पक्ष में बिल्कुल नहीं है. जबकि यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा है कि वह इस विषय पर विमर्श के लिए तैयार हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में यह मामला पिछले साल अक्टूबर से जारी है जब भारत और दक्षिण अफ्रीका ने कोविड-19 वैक्सीन, इलाज की दवाओं और अन्य मेडिकल साजो सामान को पेटेंट मुक्त करने की मांग उठाई थी. अप्रैल में डबल्यूटीओ ने कहा था कि दुनियाभर में लगाए गए 70 करोड़ टीकों में से सिर्फ 0.2 प्रतिशत गरीब देशों में लगाए गए हैं. इस असंतुलन के नतीजे फिलहाल दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत में नजर आ रहे हैं.
विश्व व्यापार संगठन इस विषय पर खुले दिमाग से विचार करने का पक्षधर है. संस्था के महानिदेशक प्रमुख न्गोजी ओकोंज-इवेला ने कहा, "हमें फौरी तौर पर कोविड-19 का जवाब देने की जरूरत है क्योंकि दुनिया देख रही है और लोग मर रहे हैं."
वीके/एए (एएफपी, रॉयटर्स)
महामारी के असली हीरो
अस्पतालों का सारा स्टाफ कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे की पंक्ति में हैं. जर्मन फोटोग्राफर क्लॉडिया पॉल ने न्यू यॉर्क के माउंट सिनाई अस्पताल में महामारी के खिलाफ लड़ रहे वहां के कर्मचारियों की तस्वीरें ली हैं.
तस्वीर: Claudia Paul | Mount Sinai
अगली पंक्ति में
न्यू यॉर्क के माउंट सिनाई अस्पताल ने महामारी के बीच में फोटोग्राफर क्लॉडिया पॉल को कोविड-19 मरीजों की जान बचाने में व्यस्त उनके कर्मचारियों की तस्वीरें लेने को कहा. आपाधापी के बीच, पॉल ने कुछ भावुक लम्हों को कैमरे में उतारा है. इस तस्वीर में एक युवा डॉक्टर काम पर जाने के लिए तैयार हो रही है.
तस्वीर: Claudia Paul
'ऐतिहासिक समय में महत्वपूर्ण काम'
पॉल ने "द लूप" वेबसाइट को बताया कि वो "क्लिनिक जाने से घबरा रही थीं क्योंकि यह एक ऐसा समय था जब यह अदृश्य खतरा हर जगह फैला हुआ था." लेकिन उन्हें मालूम था कि क्लिनिक में हो रहे ऐतिहासिक काम की तस्वीरें लेना जरूरी काम था. इस तस्वीर में नर्सें एक कोविड आईसीयू में भर्ती एक मरीज की हालत पर चर्चा कर रही हैं.
तस्वीर: Claudia Paul | Mount Sinai
भावुक पल
18 सालों से अमेरिका में रह रही पॉल कहती हैं, "ऐसे कई भावुक लम्हे आए जिन्हें मैं कभी नहीं भूलूंगी. यह अक्सर मुश्किल होता है, लेकिन वहां कभी ना हारने और मिल कर काम करने की एक अद्भुत भावना भी थी. सब एक दूसरे का ख्याल रखते थे. मैंने वहां यह ठीक से समझा कि स्वास्थ्य कितना जरूरी है." इस तस्वीर में नर्स सिमोन प्रार्थना करती हुई नजर आ रही हैं.
तस्वीर: Claudia Paul | Mount Sinai
विनम्र स्वास्थ्यकर्मी
पॉल ने कहा,"मैं इस बात पर बहुत आश्चर्यचकित थी कि अस्पताल के कर्मचारी कितने विनम्र हैं. हमने उनकी तस्वीरें लीं और उनकी कहानियों के बारे में पूछा ले यह देख कर उन्हें बहुत अच्छा लगा." पॉल ने आगे कहा, "वो खुद को हीरो के रूप में नहीं देखते हैं. वो बस वो करते हैं जो उन्हें करना है. इस कर्मचारी की रात की शिफ्ट बस खत्म ही हुई है.
तस्वीर: Claudia Paul | Mount Sinai
उम्मीद के लिए रुकना
यह नर्स भी कोविड-19 आईसीयू में अपने मरीजों के लिए प्रार्थना कर रही हैं. यह तस्वीरें इस समय जर्मनी के ट्यूबिंगेन में लगी प्रदर्शनी "कोविड-19/रेजिलिएंस के चेहरे" का हिस्सा हैं. इनमें जिनकी तस्वीरें हैं उनके अपने अनुभवों पर बयान भी हैं.
तस्वीर: Claudia Paul | Mount Sinai
त्रिश, इमर्जेंसी सेवाएं
इस तस्वीर पर लिखा है, " इस उथल-पुथल के बीच, एक ऐसा लम्हा आया जब मुझे अहसास हुआ कि मैं इसीलिए तो नर्स बनी थी." 2020 में न्यू यॉर्क में महामारी जब चरम पर थी तब कुछ ही दिनों में शहर में हजारों लोगों की मौत हो गई थी.
तस्वीर: Claudia Paul
स्टीवन, इंजीनियरिंग
अस्पताल के इंजीनियर स्टीवन कहते हैं, "मेरा सबसे यादगार लम्हा वो था जब मैंने लोगों को यह समझते हुए देखा कि कोविड-19 कोई आम वायरस नहीं है."
तस्वीर: Claudia Paul
जेनिफर, फार्मेसी
न्यू यॉर्क शहर में संकट जब चरम पर था तब सभी स्वास्थ्यकर्मी बहुत दबाव में थे. जेनिफर कहती हैं, "हम सब साथ आ गए और बहुत ज्यादा थके होने के बावजूद पहले से ज्यादा शक्तिशाली हो गए."
तस्वीर: Claudia Paul
मौरिस, सूचना प्रौद्योगिकी
यह प्रदर्शनी ट्यूबिंगन के जर्मन-अमेरिकी संस्थान में 18 सितंबर, 2021 तक लगी रहेगी. इसका वर्चुअल टूर वेबसाइट www.dai-tuebingen.de/covid पर भी देखा जा सकता है. - फिलिप जेडिक