हाल ही में जर्मनी में पेश हुए अपराध से जुड़े सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि 2021 में ऐसे अपराधों में बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई जो राजनीति से प्रेरित थे. कोविड से जुड़ी पाबंदियों के कारण कई लोग सरकार से नाराज रहे.
विज्ञापन
जर्मनी के आंतरिक मामलों के मंत्रालय और संघीय अपराध कार्यालय बीकेए ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2021 में बीते साल के मुकाबले राजनीति से प्रेरित अपराध करीब एक चौथाई और बढ़े हैं. 2021 में 55 हजार से अधिक आपराधिक मामलों की कोई ना कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि थी. इनमें से करीब 22 हजार मामलों के तार दक्षिणपंथियों से जुड़े थे, जो कि एक साल पहले की अवधि के मुकाबले सात फीसदी कम हुआ. लगभग 10 हजार मामले वामपंथी विचारधारा वाले लोगों के पाए गए. इसमें भी एक साल पहले की तुलना में आठ फीसदी कमी आई है.
जिस तरह के अपराधों में डेढ़ सौ फीसदी की बढ़ोत्तरी आई है, वे किसी भी एक विचारधारा से जुड़े नहीं हैं. ऐसे 21 हजार से भी ज्यादा मामले हैं, जिनमें से ज्यादातर का संबंध उन लोगों से रहा जो कि सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल हुए. कोविड 19 के संक्रमण पर काबू पाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने जो नियम और पाबंदियां लगाईं, उनसे बहुत से लोग नाखुश थे.
कोविड टीका न लगवाने वालों पर कैसी-कैसी सख्तियां
कोविड-19 वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच विश्व के कई देशों में टीकाकरण को बढ़ावा देने के अलावा टीका ना लगवाने वालों पर कई तरह से कार्रवाई हो रही है.
कनाडा के क्यूबेक प्रांत में कोविड का टीका नहीं लगवाने वालों पर नया स्वास्थ्य कर लगेगा. क्यूबेक के प्रीमियर फ्रांस्वा लगू ने 11 जनवरी को यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि टीका न लगवाने वालों के चलते प्रांतीय अस्पतालों पर बोझ बढ़ रहा है जिससे सभी नागरिकों आर्थिक बोझ बढ़ रहा है. जुर्माने की रकम 100 डॉलर से तो ऊपर ही होगी. वहीं किसी मेडिकल कारण से टीका न लगवाने वालों को इससे छूट मिलेगी.
तस्वीर: Paul Chiasson/The Canadian Press/empics/picture alliance
इंडोनेशिया
फरवरी 2021 में इंडोनेशिया ने कोविड वैक्सीन न लगवाने वालों पर कार्रवाई का एलान किया. राष्ट्रपति द्वारा जारी इस आदेश में दंड तय करने का अधिकार स्थानीय प्रशासन को दिया गया था. इसके बाद राजधानी जर्काता में प्रशासन ने बताया कि टीका न लगवाने वालों को स्थानीय मुद्रा में 50 लाख रुपये तक का जुर्माना देना होगा, या वे सरकार से मिलने वाली वेलफेयर राशि नहीं पा सकेंगे.
तस्वीर: Khalis Surry/picture alliance/AA
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में जनवरी 2016 से 'नो जैब, नो पे' पॉलिसी लागू है. इसके मुताबिक, 19 साल तक के बच्चों को अनिवार्य टीके न लगने पर उनके परिवारों को दी जाने वाली सरकारी सहायता राशि रोक दी जाएगी. साथ ही, उन बच्चों के माता-पिता को टैक्स छूट भी नहीं मिलेगी. वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया स्टेट ने सर्विस सेक्टर में काम करने वालों के लिए टीका अनिवार्य बना दिया. नॉदर्न टैरेटरी में भी यह नियम लागू है.
तस्वीर: Sydney Low/Zuma/picture alliance
ऑस्ट्रिया
15 नवंबर, 2021 से यहां बिना टीका लगवाए गए लोगों पर सार्वजनिक जगहों के इस्तेमाल की पाबंदी लगा दी गई. रेस्तरां, बार, होटल समेत ज्यादातर सार्वजनिक जगहों के लिए यह नियम लागू किया गया, जिसका काफी विरोध भी हुआ. दिसंबर में लॉकडाउन खत्म होने के बाद वहां टीका न लगवाने वालों पर प्रतिबंध जारी रहे. फरवरी 2022 से यहां कोविड वैक्सीन अनिवार्य है.
नवंबर 2021 में ग्रीस ने एलान किया कि अब वहां भी कोविड वैक्सीन न लगाने वालों पर कार्रवाई होगी. इसके मुताबिक, 60 साल से अधिक उम्र के वे लोग, जो कोविड टीका नहीं लगवा रहे हैं, उन पर करीब 100 यूरो का जुर्माना लगाया जाएगा. यह नियम जनवरी 2022 के दूसरे पखवाड़े से लागू होना है.
देश के आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर ने अति-दक्षिणपंथी अपराधों को "लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा अतिवादी खतरा" बताया. रिपोर्ट जारी करने के बाद उन्होंने कहा कि जर्मनी में हिंसक अपराधों के 41 फीसदी पीड़ित किसी ना किसी दक्षिणपंथी अतिवादी के शिकार बने. उन्होंने कहा कि जर्मनी इस समस्या का सामना "सब सुविधाओं से लैस सुरक्षा सेवाओं, अभियोजन पक्ष के अथक प्रयासों और सक्रिय नागरिकों" से करेगा.
ऐसे अपराधों में भी 50 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई जिसमें किसी व्यक्ति को उसकी सेक्शुअल ओरिएंटेशन या पहचान के चलते निशाना बनाया गया हो. एंटी-सेमिटिक यानि यहूदी विरोधी भावना से प्रेरित अपराध भी करीब 29 फीसदी बढ़े और दक्षिणपंथी सोच वाले लोग इसमें आरोपी बनाए गए हैं.
इस तरह के अपराधों के बढ़ने को "देश के लिए शर्मनाक बताते हुए मंत्री फेजर ने होलोकॉस्ट की ऐतिहासिक भूल को हल्के में लेने पर दुख जताया. कोविड पाबंदियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों ने इन दोनों की तुलना कर डाली थी.
मिसाल के तौर पर एक गैस स्टेशन पर 20 साल के आलेक्सांडर की हत्या का मामला, जिसमें हमलावर ने मास्क पहनने से मना कर दिया था और इसी पर गुस्सा होकर वहां काम करने वालों ने युवा पर हमला कर दिया. पिछले साल बीकेए को कोविड के टीके का विरोध करने वालों और कोरोनावायरस को ना मानने वालों को "रेलेवेंट रिस्क" की श्रेणी में रखना पड़ा था.
आरपी/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)
2021 में घरेलू हिंसा के मामले बढ़े
कोविड महामारी के बीच भारत में घरेलू हिंसा की शिकायत करने वाली महिलाओं की संख्या में महत्वपूर्ण इजाफा हुआ है. 2020 के मुकाबले 26 फीसदी अधिक महिलाओं ने शिकायत की.
तस्वीर: Yavuz Sariyildiz/Zoonar/picture alliance
घर में बढ़े अपराध
कोरोना के दूसरे साल में भी भारतीय महिलाओं को घरेलू हिंसा से छुटकारा नहीं मिला. राष्ट्रीय महिला आयोग से घरेलू हिंसा की शिकायत करने वाली महिलाओं की संख्या साल 2020 के मुकाबले 2021 में बढ़ी है.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
साल 2021 में 30,865 शिकायतें
2021 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा करीब 30 फीसदी बढ़ी. साल 2020 में महिला आयोग को 23,722 शिकायतें मिली थीं जबकि 2021 में 30,864 मामले दर्ज किए गए.
तस्वीर: Manira Chaudhary, Sharique Ahmad/DW
महिलाओं के खिलाफ अपराध में यूपी आगे
महिलाओं के खिलाफ हिंसा के सबसे अधिक मामले देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से सामने आए. यह करीब 51 फीसदी है. इसके बाद दिल्ली 10.8 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है.
तस्वीर: Syamantak Ghosh/DW
मदद के लिए रोज 400 कॉल्स
राष्ट्रीय महिला आयोग का कहना है कि महामारी सभी के लिए चुनौती बनकर आई है, खासकर महिलाओं के लिए. आयोग का कहना है कि अधिक से अधिक महिलाएं मदद मांग रही हैं और करीब 400 फोन कॉल्स आयोग की हेल्पलाइन पर आती हैं.
तस्वीर: Tanika Godbole/DW
गरिमा के साथ रहने के अधिकार का हनन
महिला आयोग का कहना है कि साल 2021 में 11,084 शिकायतें गरिमा के साथ रहने के हक के हनन की दर्ज की गईं. इसके बाद घरेलू हिंसा के 6,682 मामले दर्ज किए गए.