जर्मनी में जल्दी ही मिस्कैरिज के लिए भी मातृत्व अवकाश देने का कानून बन सकता है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस बिल पर सभी पार्टियों में सहमति बन गई है.
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चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की अल्पमत सरकार और विपक्षी सांसदों में सहमति बनने के बाद जनवरी में ही इस बारे में बिल पास होने के आसार बन गए हैं. स्थानीय मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, सत्ताधारी गठबंधन में शामिल सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) और ग्रीन पार्टी के साथ ही विपक्षी क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) और फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी (एफडीपी) ने भी इस बिल का समर्थन किया है.
मातृत्व अवकाश से बाहर है मिसकैरिज
एसपीडी सांसद लेनी ब्रेमायर ने हाल ही में जर्मन पत्रिका 'डेयर श्पीगल' को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग में यह बिल अगले चुनाव से पहले जनवरी में ही पेश किया जा सकता है. जर्मनी में फिलहाल अल्पमत की केयरटेकर सरकार है और 23 फरवरी को चुनाव होने हैं.
वर्तमान में वेतन सहित मातृत्व अवकाश के नियम में मिसकैरिज शामिल नहीं है. मिसकैरिज का मतलब है 24 हफ्ते से पहले गर्भपात होना. नये नियम में मातृत्व अवकाश के लिए और पहले से ही गर्भपात को इसमें शामिल किया जाएगा. पारिवारिक मामलों की मंत्री लीसा पाउस ने मातृत्व सुरक्षा को गर्भ के 15वें हफ्ते से लागू करने की बात कही है. हालांकि रुढ़िवादी सीडीयू इस नियम को 13वें हफ्ते से लागू करने की दलील दे रही है.
बच्चे और नौकरी दोनों चलेगी साथ
नए मातृत्व अवकाश कानून के बाद भारत में विश्व में लंबे सवैतनिक अवकाश देने वाले देशों में कनाडा और नॉर्वे के बाद तीसरे स्थान पर होगा. देखिए दुनिया भर की सरकारें और कंपनियां नौकरीपेशा मांओं के लिए क्या कुछ कर रही हैं.
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मातृत्व लाभ (संशोधित) एक्ट, 2016
भारतीय मातृत्व लाभ एक्ट 1961 के अनुसार पहले महिला को 12 हफ्तों का अवकाश मिलता था और इसका आधा यानी 6 हफ्ते वह बच्चे के जन्म से पहले ले सकती थी. अब नये संशोधित कानून के मुताबिक किसी महिला को कुल 26 हफ्ते का अवकाश मिल सकेगा, जिसमें से 8 हफ्ते वह पहले ले सकेगी.
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दत्तक, सरोगेट मांएं भी शामिल
इस लाभ के दायरे में तीन महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेने वाली महिलाओं या सेरोगेट मांओं को भी शामिल किया गया है. नये कानून के अनुसार इन्हें 12 हफ्ते की छुट्टी मिल सकती है. गोद लेने के मामले में बच्चे को घर लाने के समय से यह 12 हफ्ते गिने जाएंगे.
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कई कामकाजी मांएं अब भी सुविधा घेरे से बाहर
भारत में इस कानून से संगठित क्षेत्रों में काम करने वाली करीब 18 लाख महिलाओं को लाभ होने का अनुमान है. लेकिन असंगठित क्षेत्रों में काम कर महिलाओं के लिये इसमें कुछ भी नहीं है. कई नौकरीपेशा महिलाओं को बच्चे के जन्म और शुरुआती सालों में उनके पालन पोषण के लिए नौकरी छोड़नी पड़ती है. इस तरह महिलाएं वर्कफोर्स से बाहर हो जाती हैं और दोबारा लौटने का रास्ता मुश्किल हो जाता है.
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पिताओं के योगदान पर जोर नहीं
स्वीडन में करीब चालीस साल पहले ही पितृत्व अवकाश का कॉन्सेप्ट आया था. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार आज 167 में से 78 देशों में पिता बनने वाले पुरुषों को कानूनी अवकाश मिलता है. भारत में लैंगिक असमानता के बने रहने के पीछे बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारियां दोनों में ना बंटना भी एक बड़ा कारण है.
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कॉर्पोरेट जगत में महिला प्रमुखों की अहम भूमिका
इंटरनेट कंपनी याहू की सीईओ मारिसा मायर ने पहली बार खुद मां बनने पर तो केवल दो हफ्ते की छुट्टी ली लेकिन अपनी कंपनी में 16 हफ्तों के मातृत्व अवकाश की नीति को मंजूरी दी.
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सभी तरह के माता, पिता और अभिभावक शामिल
1 जनवरी 2016 से अमेरिकी इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट कंपनी पेपाल ने अपनी सवैतनिक मातृत्व अवकाश नीति में बदलाव लाते हुए मांओं को पहले 8 हफ्तों के लिए पूरे वेतन पर छुट्टी देने का नियम बनाया है. उसके बाद माता, पिता या समलैंगिक पार्टनर भी 8 से लेकर 16 हफ्तों तक का अवकाश लेकर बच्चे के साथ घुलने मिलने में समय बिता सकते हैं.
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गोद लेने को भी बढ़ावा
ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनी ईबे ने भी हाल ही में मातृत्व अवकाश के दौरान मिलने वाले वेतन में भारी बढ़ोत्तरी के साथ नए पिताओं को भी 12 हफ्ते तक पूरे वेतन के साथ छुट्टी देने की नीति बनाई है. गोद लिए बच्चों के मामले में भी बराबर सुविधा मिलेगी और बच्चे के खर्च के लिए एक बार बोनस राशि भी.
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फेसबुक प्रमुख ने पेश की मिसाल
सोशल नेटवर्किंग कंपनी फेसबुक में भी नए बदलाव हुए हैं. इसमें नए पिताओं और समलैंगिक पार्टनरों के लिए चार महीने तक पूरे वेतन के साथ छुट्टी लेने की व्यवस्था है.
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कैसा है जर्मनी में नौकरीपेशा मां होना
जर्मनी में मातृत्व एवं पितृत्व अवकाश की नीतियां पूरे विश्व की सबसे उदार नीतियों में गिनी जाती हैं. जर्मनी में बच्चे के जन्म से तीन साल तक छुट्टी मिल सकती है. इनमें से केवल पहले 26 हफ्ते ही पूरे वेतन के साथ जबकि बाद के 26 हफ्ते कम वेतन के साथ मिलती है. बाद के दो साल कोई वेतन नहीं मिलता लेकिन नौकरी बनी रहती है.
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पाउस ने टागेसश्पीगल अखबार से कहा है, "मैं सभी पार्टियों के बीच समझौते का स्वागत करती हूं, मिसकैरिज के मामले में मातृत्व सुरक्षा उभर रही है." पाउस ने ध्यान दिलाया कि मिसकैरिज एक बेहद कष्टदायी अनुभव हो सकता है और मातृत्व सुरक्षा प्रभावित महिला को संभलने और सेहत की संभावित परेशानियों से बचा सकती हैं.
परिवार को बढ़ावा और सहयोग देने के लिए जर्मनी ने कई कानून बनाए हैं.जर्मनी में सभी कामकाजी महिलाओं को मां बनने की स्थिति में मातृत्व अवकाश मिलता है. यह अवकाश 14 हफ्तों का है. जो बच्चे के जन्म से 6 हफ्ते पहले और जन्म के आठ हफ्ते बाद तक लिया जा सकता है. समय से पहले बच्चा पैदा होने, ऑपरेशन, जुड़वा बच्चे जैसी कुछ विशेष परिस्थितियों में यह अवकाश 12 हफ्ते तक और बढ़ाया जा सकता है. महिलाएं चाहें तो बच्चे के जन्म से ठीक पहले तक भी काम कर सकती हैं और उसके बाद अवकाश शुरू कर सकती हैं. इस अवकाश के दौरान उनकी नौकरी सुरक्षित रहती है और पूरा वेतन मिलता है.
सरोगेसी पैसे कमाने का जरिया नहीं है
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इसके अतिरिक्त बच्चा पालने के लिए जर्मनी में अवकाश दिया जाता है. यह अवकाश प्रति बच्चा अधिकतम 3 साल के लिए होता है, जो मां-बाप दोनों में से कोई एक ले सकता है. इसे बच्चे के 8 साल की उम्र का होने तक कभी भी लिया जा सकता है. इस दौरान पूरा वेतन नहीं मिलता लेकिन सरकार की तरफ से अधिकतम 1,800 यूरो प्रति माह का मानदेय मिल सकता है. इस पूरे अवकाश के दौरान भी नौकरी सुरक्षित रहती है. इसके पीछे प्रमुख कारण मां-बाप को बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताने के लिए छुट्टी देना है.
यह अवकाश बच्चा गोद लेने वालों को भी मिलता है. बच्चे के मां-बाप के पास पहुंचते ही अवकाश के लिए योग्यता बन जाती है. कुछ मामलों में गोद लेने की प्रक्रिया के दौरान भी छुट्टी ली जा सकती है.