डॉयचे बान ने पांच महीने के लिए बंद किया मुख्य रेल मार्ग
१७ जुलाई २०२४
फ्रैंकफर्ट और मानहाइम के बीच डॉयचे बान का यातायात दिसंबर के मध्य तक रोक दिया गया है, क्योंकि जर्मन रेल ऑपरेटर आधुनिकीकरण परियोजना पर काम कर रहा है. अनुमान है कि हर दिन 75,000 से अधिक लोग इससे प्रभावित होंगे.
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जर्मनी में रेलवे ऑपरेटर डॉयचे बान (डीबी) ने 15 जुलाई से फ्रैंकफर्ट और मानहाइम के बीच 70 किलोमीटर के हिस्से में रेल यातायात रोक दिया है, जो 14 दिसंबर तक जारी रहेगा. जर्मनी की सबसे व्यस्त रेलवे लाइनों में से एक पर नवीनीकरण का काम यूरो कप 2024 फुटबॉल चैंपियनशिप के बाद शुरू करने की योजना बनाई गई थी.
टूर्नामेंट के दौरान ट्रेनों के देरी से आने और रद्द होने के कारण डीबी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. रेल ऑपरेटर ने 12 जुलाई को कहा कि टूर्नामेंट के दौरान उसकी समय की पाबंदी "मिली-जुली" रही. साथ ही, उसने कहा कि उसने "रेलवे सिस्टम का अधिकतम लाभ लिया, लेकिन पुराने और ओवरलोडेड बुनियादी ढांचे के कारण उसके पास सीमित संभावनाएं थीं."
फ्रैंकफर्ट और मानहाइम के बीच ट्रेनें क्यों नहीं चल रही हैं?
जर्मन परिवहन मंत्री फोल्कर विसिंग ने कहा कि यूरो कप 2024 से पहले नवीनीकरण परियोजना शुरू की जाती तो यातायात में और भी अधिक समस्याएं होतीं. डीबी ने कहा कि वह "आने वाले वर्षों की सभी नियोजित निर्माण परियोजनाओं को नवीनीकरण कार्य के एक चरण में समेट रहा है." उसने कहा कि पांच महीने के अंदर काम "रिकॉर्ड गति से किया जाएगा."
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जर्मन रेल ऑपरेटर ने कहा, "केवल पांच महीनों में फ्रैंकफर्ट और मानहाइम के बीच लाइन पर सुपर स्ट्रक्चर, शोर अवरोधक और सिग्नलिंग टेक्नोलॉजी का नवीनीकरण किया जाएगा और 20 स्टेशनों का आधुनिकीकरण किया जाएगा. पहली बार नियोजित नवीनीकरण के दौरान नेटवर्क और स्टेशनों दोनों पर ध्यान दिया जाएगा."
डीबी ने कहा कि 140 किलोमीटर लंबी ओवरहेड लाइनें बिछाई जाएंगी और अन्य सुधारों के अलावा लाइन पर स्थित लगभग 20 स्टेशनों का नवीनीकरण किया जाएगा. इस नवीनीकरण की लागत 1.3 अरब यूरो होगी. यह 2031 तक 41 व्यस्त रेल मार्गों के आधुनिकीकरण की एक बड़ी परियोजना का पहला खंड है.
सागर के नीचे एक और सुरंग में चलेंगी रेल और कारें
यूरोप में सागर के नीचे से रेल और सड़क मार्ग बनाने की एक और परियोजना शुरू हुई है. इंग्लिश चैनल में बनी सुरंग के जरिये इस तरह से इंग्लैंड और फ्रांस को पहले जोड़ा जा चुका है. इस बार जर्मनी और डेनमार्क को जोड़ा जा रहा है.
तस्वीर: Fermern A/S
ऊपर सागर नीचे रेल और कारें
सागरों और नदियों पर पुल तो दुनिया में बहुत जगह हैं लेकिन सागर के नीचे सुरंग बहुत कम हैं. फेमार्नबेल्ट की सुरंग दुनिया की उन गिनी चुनी परियोजनाओं में हैं जिनमें सागर के नीचे से रेलगाड़ी और कारें गुजरेंगी.
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18 किलोमीटर लंबी सुरंग
जर्मनी और डेनमार्क के द्वीपों को जोड़ने वाली फेमार्नबेल्ट टनल स्कैंडिनेविया और मध्य यूरोप के बीच की दूरी घटायेगी. सागर के नीचे बनने वाली यह 18 किलोमीटर लंबी सुरंग वर्तमान में बुनियादी ढांचे की यूरोप में सबसे बड़ी परियोजना है.
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पुटगार्डेन से रोबीहान
सुरंग बन कर तैयार होने के बाद जर्मनी के पुटगार्डेन से स्वीडन के रोबीहान का सफर ट्रेन से 7 मिनट और कार से 10 मिनट में पूरा होगा. फिलहाल इस दूरी को पार करने में कार से एक घंटा 45 मिनट लगता है.
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तेज रेलमार्ग
यह सुरंग जर्मनी और स्वीडन के बीच रेल यात्रा को आसान, कम खर्चीली और पर्यावरण के अनुकूल बनायेगी. कोपेनहेगन से हैंबर्ग की यात्रा जो फिलहाल 5 घंटे में पूरी होती है वह इस रास्ते से इलेक्ट्रिक ट्रेन के जरिये सिर्फ ढाई घंटे में हो जायेगी. सुरंग में रेल की दो ट्रैक बनाई जा रही है जिन पर 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चलेगी.
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आसान सफर
यात्रियों के पास कार से जाने का भी विकल्प होगा इसके लिये दोनों दिशाओं से दो दो लेन की सड़क होगी. कार के लिये अधिकतम गति 110 किलोमीटर प्रति घंटे होगी. साल के बारह महीने रात दिन खुली रहने वाली सड़क चालू हो जाने के बाद फेरी की जरूरत भी नहीं रहेगी.
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18 किलोमीटर लंबी सुरंग
डेनमार्क और जर्मनी के बीच करीब 18 किलोमीटर लंबी सुरंग की जगह सागर खोद कर बनाई जा रही है. इसके बाद हिस्सों में बनने वाली सुरंग को यहां पहुंचाया जायेगा और फिर उन्हें एक दूसरे से जोड़ा जायेगा. इनके बाहर की तरफ पत्थर की सुरक्षात्मक परत होगी. सुरंग के लिये खुदाई का काम 2021 में शुरू हुआ.
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89 हिस्सों से बनेगी सुरंग
सुरंग 79 बड़े और 10 छोटे हिस्सों से मिल कर बनाई जायेगी. इन्हें फैक्ट्री में तैयार किया जा रहा है. बनने के बाद इन्हें सागर के नीचे एक दूसरे के साथ रखा और जोड़ा जायेगा.
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तकनीकी काम
सुरंग के टुकड़े लगाने के बाद उन्हें तकनीकी चीजों से लैस किया जायेगा. इनमें वेंटिलेशन के साथ ही संचार और डाटा ट्रांसमिशन के लिये उपकरण, रोशनी, साइनबोर्ड, रेलट्रैक और सड़क बनाने का काम शामिल है. सुरंग का पहला टुकड़ा लगाने के साथ ही बाकी चीजों पर भी काम शुरू हो जायेगा.
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कंक्रीट और सरिया
सुरंग के निर्माण में 380,000 टन सरिया और 32 लाख टन कंक्रीट लगेगा. इसके अलावा 22 लाख टन ग्रेनाइट भी सुरंग में इस्तेमाल होगा. सुरंग बनाने के लिये सागर तल से करीब 15 लाख क्यूबिक मीटर रेत और मिट्टी बाहर निकाली जायेगी. इससे 300 हेक्टेयर जमीन को भरा जा सकता है.
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समंदर के रास्ते पहुंचता है सामान
दोनों तरफ के पोर्टल और सुरंग के निर्माण के लिए जरूरी सामान समंदर के रास्ते ही यहां पहुंचाया जा रहा है जिससे कि स्थानीय सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव ना बढ़े. दोनों तरफ जो वर्किंग टर्मनिल बनाये गये हैं उनमें रोबीहान का टर्मिनल ज्यादा बड़ा है. यहां से सुरंग के टुकड़े तैयार होने के बाद सागर के रास्ते उन्हें निर्माण वाली जगह पहुंचाया जाता है.
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सुरंग का प्रवेश मार्ग
रोबीहान के निर्माण केंद्र के पश्चिम में पोर्ट की विशाल इमारत बनेगी. भविष्य में यहीं से कारें और रेलगाड़ियां सुरंग में प्रवेश करेंगी. जर्मनी की तरफ भी टनेल पोर्टल पर काम शुरू हो गया है. खुदाई वाली जगह सील कर दी गई है और इलाके से पानी को निकाला जा रहा है. सुरंग के लिये खुदाई का काम बहुत तेजी से चल रहा है और लगभग आधी खुदाई पूरी हो गई है.
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निर्माण का केंद्र
फेमार्नबेल्ट सुरंग के लिये निर्माण का केंद्र लोलैंड के रोबीहान के पास है. विशाल फैक्टरी में सुरंग के लिये 89 हिस्से बनाये जा रहे हैं. यह फैक्ट्री 150 हेक्टेयर में फैली है. सुरंग के हिस्से बनाने के बाद उन्हें फैक्ट्री के सामने मौजूद डेनमार्क के पोर्ट के जरिये सागर के नीचे ले जाया जाता है.
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निर्माण में जुटे लोगों के लिये आवास
सुरंग के निर्माण के दौरान हजारों लोग यहां काम करेंगे. जब निर्माण अपने चरम पर होगा तब 1300 लोग इसी जगह रहेंगे भी. इनके लिये सुरंग के प्रवेश मार्ग और फैक्टरी के बीच रहने की जगह बनाई गई है.
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कितना खर्चा होगा
इस परियोजना पर कुल 52.6 अरब यूरो की रकम खर्च होगी जिसमें 7 अरब यूरो रिजर्व के लिये है. यूरोपीय आयोग ने इस परियोजना की डिजायन और निर्माण में सहायता के लिए 6 अरब यूरो दिये हैं. निर्माण का काम 2029 तक पूरा होगा.
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निर्माण का परीक्षण
सुरंग के रास्ते यात्रा शुरू होने के पहले इसके हर हिस्से की कई चरणों में जांच की जायेगी. सुरक्षा व्यवस्था और आपात स्थिति में लोगों को बाहर निकालने के इंतजाम से पुरी तरह संतुष्ट होने और संबंधित विभागों से इसकी पुष्टि और मंजूरी मिलने के बाद सुरंग का इस्तेमाल शुरू होगा.
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बंद होने से कौन प्रभावित होगा?
फ्रैंकफर्ट और मानहाइम के बीच की लाइन मुख्य उत्तर-दक्षिण मार्ग का हिस्सा है जो हैम्बर्ग और कोलोन को स्विट्जरलैंड के श्टुटगार्ट और बेसल से जोड़ता है. वहां होने वाली देरी का असर अकसर नेटवर्क के अन्य हिस्सों पर भी पड़ता है. रेल यातायात ठप होने से हर दिन 75,000 से अधिक यात्रियों के प्रभावित होने का अनुमान है, क्योंकि इस मार्ग पर प्रतिदिन 300 से अधिक क्षेत्रीय, लंबी दूरी की और माल गाड़ियां चलती हैं.
बंद के दौरान सभी क्षेत्रीय ट्रेनों के स्थान पर बसें चलाई जाएंगी और लंबी दूरी की ट्रेनों को धीमी गति वाले मार्गों पर चलाया जाएगा. मालगाड़ी कारोबारियों के एक संघ 'दी ग्युटरबानेन' ने डीबी प्रोजेक्ट और उसके असर पर नजर रखने के लिए एक लाइव टिकर चलाना शुरु किया है.
हालिया सालों में डॉयचे बान, यूरोप के कई अन्य देशों के रेल नेटवर्कों की तुलना में पीछे हो गई है. बीते कई दशकों से कम निवेश के कारण डीबी में कई दिक्कतें पेश आ रही हैं. जानकार ध्यान दिलाते हैं कि डीबी का मौजूदा रेल नेटवर्क "पुराना और कमजोर" है. ऐसे में रेल यात्रा करने वालों की संख्या बढ़ने और मालढुलाई में आई तेजी के साथ रफ़्तार बिठाने में समस्या आ रही है.
इस ट्रेन में जरूरत के हिसाब से बदल जाता है अंदर लगा सामान