पश्चिमी देश रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत की आलोचना करते आये हैं. लेकिन ताजा आंकड़े दिखा रहे हैं कि भारत उसी रूसी तेल को प्रोसेस कर जो पेट्रोलियम उत्पाद बना रहा है, उन्हें जर्मनी भारी मात्रा में खरीद रहा है.
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जर्मनी की राष्ट्रीय सांख्यिकी एजेंसी डेस्टाटिस के ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी से जुलाई के बीच जर्मनी ने करीब 40 अरब रुपये मूल्य के भारतीय पेट्रोलियम उत्पादखरीदे हैं. मुमकिन है कि उनमें से अधिकांश उत्पाद ऐसे कच्चे तेल से बने हों जो भारत ने रूस से खरीदा.
एजेंसी के मुताबिक 2022 में जर्मनी ने इसी अवधि में 3.29 अरब रुपये मूल्य के पेट्रोलियम उत्पाद खरीदे थे, यानी एक साल में जर्मनी की खरीद में 1,100 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई.
भारत का रुख
एजेंसी ने यह कहा कि यह उत्पाद कच्चे तेल से बने थे और संयुक्त राष्ट्र के कॉमट्रेड डेटाबेस के मुताबिक, युद्ध की शुरुआत के समय से ही "भारत बड़ी मात्रा में रूस से कच्चा तेल आयात कर रहा है."
कौन खरीद रहा है रूस का कच्चा तेल
ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका रूस के तेल पर प्रतिबंध लगा चुके हैं. लेकिन कई देश रूस का तेल लगातार खरीद रहे हैं. देखिए, अभी भी कौन खरीद रहा है रूस का कच्चा तेल...
तस्वीर: Indranil Aditya/NurPhoto/picture alliance
हंगरी
हंगरी की तेल कंपनी एमओएल क्रोएशिया, हंगरी और स्लोवायिका में तेल शोधन के तीन कारखाने चला रही है और उसे रूस से ही तेल मिल रहा है. हंगरी ने रूस पर गैस और तेल क्षेत्र के प्रतिबंधों का विरोध किया था.
तस्वीर: Marton Monus/REUTERS
पोलैंड
पोलैंड की सबसे बड़ी तेल कंपनी पीकेएन ओरलेन अपने पोलैंड, लिथुआनिया और चेक रिपब्लिक स्थित कारखानों के लिए रूस से तेल खरीद रही है.
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जर्मनी
जर्मनी की सबसे बड़ी रिफाइनरी मीरो में 24 प्रतिशत हिस्सा रूसी कंपनी रोसनेफ्ट का है. कंपनी का 14 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से आ रहा है. इसके अलावा जर्मनी की पीसीके श्वेट में रोसनेफ्ट की 54 फीसदी हिस्सेदारी है और यह भी रूसी कच्चे तेल का इस्तेमाल कर रही है. एक अन्य जर्मन रिफाइनरी लेऊना भी रूसी कच्चे तेल पर ही चल रही है.
तस्वीर: picture-alliance/ZB
ग्रीस
ग्रीस का सबसे बड़ा तेल शोधक कारखाना हेलेनिक पेट्रोलियम अपनी जरूरत का 15 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से खरीद रहा है. कंपनी ने सऊदी अरब से भी हाल ही में काफी तेल खरीदा है.
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बुल्गारिया
बुल्गारिया की नेफ्टोचिम बर्जस नामक रिफाइनरी का मालिकाना हक रूस की लूक ऑयल के पास है. इसका 60 प्रतिशत ईंधन रूस से आता है.
तस्वीर: Alexandar Detev/DW
इटली
इटली की सबसे बड़ी रिफाइनरी आईएसएबी पर लूकऑयल का कब्जा है और वहां भी कुछ कच्चा तेल रूस से आ रहा है.
तस्वीर: Valeria Ferraro/imago images
नीदरलैंड्स
डच कंपनी जीलैंड रिफाइनरी में लूक ऑयल की 45 फीसदी हिस्सेदारी है. जब समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने उनसे पूछा कि वे रूस से तेल खरीद रहे हैं या नहीं, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. एक अन्य डच कंपनी एक्सॉन मोबिल ने भी इस बारे में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
भारत की दो बड़ी तेल कंपनियां हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल ने हाल ही में रूस से कुल मिलाकर कम से कम 50 लाख बैरल तेल खरीदा है. भारत की निजी तेल कंपनी नायारा एनर्जी में रूस की रोसनेफ्ट की हिस्सेदारी है और उसने भी 18 लाख बैरल तेल खरीदा है.
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युद्ध शुरू होने के बाद से ही पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे. यूरोपीय संघ ने रूस से समुद्र के रास्ते तेल खरीदने पर एम्बार्गो भी लगाया था. इस दौरान भारत रूस से लगातार कच्चा तेल खरीदता रहा है, और वो भी सस्ते दामों पर.
पश्चिमी देशों ने इसे लेकर कई बार भारत की आलोचना भी की लेकिन भारत अपने रुख पर अड़ा रहा. भारत सरकार का कहना रहा है कि भारतीय नागरिकों के हित में जो भी कदम उसे उठाने पड़ेंगे, वो उठाएगा.
लेकिन इसे कच्चे तेल को रिफाइन कर भारत जो पेट्रोलियम उत्पाद बनाता है उसे यूरोपीय देश भी खरीद रहे हैं, तेल के बाजार के इस पहलू पर कम ही चर्चा होती है.
पीछे के दरवाजे से आता रूसी तेल
इस तरह की खरीद पूरी तरह से वैध है, लेकिन आलोचकों का कहना है यह एक तरह से पीछे के दरवाजे से रूसी तेल को यूरोप में पहुंचाने के बराबर है, जो रूस पर लगे अंतरराष्ट्रीय और यूरोपीय प्रतिबंधों के असर को खोखला करता है.
कैसे बनता है कच्चा तेल
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मई, 2023 में यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने ब्लॉगपोस्ट में इस "दुविधा" को माना था. उन्होंने लिखा था, "यूरोपीय संघ में हमलोग रूसी तेल नहीं खरीदते हैं, लेकिन हम वो डीजल खरीदते हैं जो इस रूसी तेल को कहीं और रिफाइन करने के बाद प्राप्त होता है. इससे हमारे प्रतिबंध नाकाम होते हैं...इससे नैतिक मुद्दे भी जन्म लेते हैं."
उन्होंने माना था कि संघ को मालूम है कि भारतीय रिफाइनरी कंपनियां भारी मात्रा में रूस से कच्चा तेल खरीद रही हैं और फिर इसे प्रोसेस कर यूरोप को बेच रही हैं, जिस पर संघ को कड़ा कदम उठाने की जरूरत है. हालांकि इस पर कोई कदम उठाया नहीं गया. (एएफपी से जानकारी के साथ)
सबसे ज्यादा तेल इस्तेमाल कौन करता है
तेल आज भी दुनिया में सबसे बड़ा ऊर्जा स्रोत है. जानिए 2022 में दुनिया के दस सबसे ज्यादा तेल प्रयोग करने वाले देश कौन से थे.
तस्वीर: Marcello Casal Jr/Agência Brasil
अमेरिका सबसे ऊपर
2022 में अमेरिका ने रोजाना 19,140 बैरल तेल इस्तेमाल किया. 2012 के मुकाबले यह 8.9 फीसदी ज्यादा था.
तस्वीर: Robyn Beck/AFP
चीन सबसे तेज
चीन में तेल की खपत दस साल में 42.1 प्रतिशत बढ़ी है. पिछले साल उसने रोजाना 14,295 बैरल तेल जलाया है.
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भारत भी पीछे नहीं
भारत में भी पिछले दस साल में तेल का प्रयोग 41.1 फीसदी बढ़ा है और 2022 में उसकी रोजाना की खपत 5,185 बैरल रही.
तस्वीर: Subrata Goswami/DW
सऊदी अरब
सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से एक सऊदी अरब ने रोज 3,876 बैरल तेल खर्चा है जो 2012 से 11.8 फीसदी ज्यादा है.
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रूस
यूक्रेन युद्ध में उलझे रूस की 2022 में रोजाना की खपत 3,570 बैरल रही जो दस साल पहले के मुकाबले 11.8 फीसदी ज्यादा है.
तस्वीर: Yuri Bereznyuk/TASS/dpa/picture alliance
जापान
सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक जापान की तेल की रोजाना की खपत रही 3,337 बैरल. दस साल में उसकी खपत 28.6 फीसदी घटी है.
तस्वीर: Str/dpa/picture alliance
दक्षिण कोरिया
2022 में दक्षिण कोरिया ने दस साल पहले के मुकाबले 15.9 फीसदी ज्यादा तेल जलाया है. पिछले साल उसकी रोजाना की खपत रही 2,858 बैरल.
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ब्राजील
ब्राजील की तेल की खपत भी पिछले दस साल में घटी है. 2022 में उसने रोजाना 2.6 फीसदी कम यानी 2,512 बैरल तेल जलाया.