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अपने पेंशन सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए जूझता जर्मनी

हेलेन व्हीटल
२२ मार्च २०२४

जर्मनी की बूढ़ी होती आबादी की वजह से देश के पेंशन सिस्टम पर दबाव है. उसे टिकाऊ बनाने के लिए नई योजनाएं बनाई जा रही हैं लेकिन आलोचक कहते हैं कि वे कारगर नहीं.

केवल सरकारी पेंशन पर जर्मनी में जीना मुश्किल होता जा रहा है
केवल सरकारी पेंशन पर जर्मनी में जीना मुश्किल होता जा रहा हैतस्वीर: DW/B. Christofaro

जर्मनी में 'बेबी बूमर्स' की पीढ़ी रिटायर हो रही है. 1955 से 1969 के दरमियान, जब जन्म दर ऑलटाइम हाई यानी अपने उच्चतम स्तर पर थी. उस दौरान पैदा हुए लोगों के जीने की मियाद भी बढ़ रही है. लेकिन वर्कफोर्स में उस दर से वृद्धि नहीं देखी जा रही. इसलिए चिंता है कि बूढ़ों की पेंशनों का भुगतान कौन करेगा.

जर्मनी का 1889 में स्थापित पेंशन सिस्टम सार्वजनिक सेवानिवृत्ति बीमा योजना पर आधारित है. इसके तहत मौजूदा रिटायर लोगों की पेंशन, रोजगार में शामिल मौजूदा लोगों के बीमा योगदानों से दी जाती है. इस व्यवस्था को "इंटरजेनरेशनल कॉन्ट्रेक्ट" कहा जाता है.

1960 के दशक की शुरुआत में, प्रत्येक पेंशनर के लिए छह बीमायुक्त कर्मचारी रोजगार में सक्रिय थे. अब वो अनुपात 2:1 का हो गया है और आगे और सिकुड़ता जा रहा है.

संघीय बजट का एक अच्छा-खासा हिस्सा पेंशन व्यवस्था को दुरुस्त रखने में चला जाता है. 2024 में 127 अरब यूरो (138 अरब डॉलर) रिटायरमेंट फंड में चले जाएंगे, यानी सरकारी खर्च की एक तिहाई राशि. 2050 तक ये रकम कमोबेश दोगुनी हो जाने का अनुमान है. रक्षा जैसे दूसरे क्षेत्रों में बढ़ते खर्च के दौर में ये स्थिति अच्छी नहीं है.

वहीं एक सच ये भी है कि पेंशनभोगी आबादी इस समय एक बढ़ता हुआ और उल्लेखनीय वोट आधार भी है. पेंशन व्यवस्था को सुचारू बनाए रखना अब तीखी बहस का मुद्दा बन चुका है, और कार्रवाई का भी.

जर्मनी में सत्तारूढ़ तीन दलों की गठबंधन सरकार पेंशनों में कटौती नहीं करना चाहती, न ही वो पेंशन योगदानों को कम करना चाहती है और ना ही 2029 तक रिटायरमेंट की उम्र 67 से आगे बढ़ाने की इच्छुक है.

नयी 'जेनरेशन कैपिटल' योजना 

समस्या के हल के लिए जर्मनी के वित्त मंत्री और नवउदारवादी फ्री डेमोक्रेट पार्टी (एफडीपी) के नेता क्रिस्टियान लिंडनर ने एक योजना प्रस्तावित की है जिसके तहत संघीय सरकार शुरुआती 12 अरब यूरो का कर्ज लेकर उसे स्टॉक मार्केट में लगाएगी. 

विशिष्ट रूप से, एक फंड बनाया जाना है जिसका काम एक स्वतंत्र सार्वजनिक फाउंडेशन देखेगी. ये फंड कथित "जेनरेशन कैपिटल" यानी पीढ़ी की पूंजी कहलाएगा. इसे "लाभ केंद्रित और वैश्विक रूप से विविधतापूर्ण" आधार पर शेयरों में लगाया जाएगा. इससे होने वाले मुनाफे को पहले सरकारी धन में पुनर्निवेश किया जाएगा.

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वित्त मंत्री लिंडनर ने X (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, "सदी से भी अधिक समय से पूंजी बाजार के दिए अवसर यूं ही खाली पड़े थे. अब हम इस समाज के भविष्य में निवेश रहे हैं."

आने वाले वर्षों में 12 अरब यूरो की रकम को सालाना 3%  बढ़ाया जाएगा. पेंशन स्कीम में मदद के लिए, 2030 के मध्य तक, स्टॉक की राशि का आकार कम से कम 200 अरब यूरो का हो जाएगा.

मुख्य विपक्षी पार्टी, मध्य-दक्षिण क्रिश्चन डेमोक्रेट्स (सीडीयू) ने योजना की आलोचना करते हुए उसे बेअसर बताया. जर्मन संसद, बुंडेस्टाग में श्रम और सामाजिक मामलों की कमेटी के डिप्टी चेयरपर्सन आक्सल नोएरिष ने इपन मीडिया को बताया कि कथित पेंशन पैकेज- दो (रेंटनपाकेट II) किसी भी तरह लंबी अवधि की पेंशन सुरक्षा की गारंटी नहीं देता है. ये भविष्य में योगदानों में वृद्धि की ओर ले जाएगा, इसीलिए कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त बोझ बनेगा."

ब्याज के जरिए अतिरिक्त आय पैदा करने के लिए पूंजी बाजार में निवेश के विचार की वैसे तो सीडीयू बुनियादी रूप से विरोधी नहीं है लेकिन नोएरिष के मुताबिक मौजूदा प्लान से "अतिरिक्त कर्ज के बोझ की भरपाई के लिए कोई महत्त्वपूर्ण रिटर्न नहीं मिलता."

स्टॉक मार्केट में निवेश जोखिम से अछूता भी नहीं लेकिन जर्मन वित्त मंत्रालय के मुताबिक फाउंडेशन की संपत्तियों की हिफाजत के लिए एक "सुरक्षा बफर" तैयार किया जाएगा.

जर्मन इक्विटीज इंस्टिट्यूट के मुताबिक व्यापक क्षेत्रों में इक्विटी निवेश हर साल औसतन 6 से 8 प्रतिशत रिटर्न देता है. वित्त मंत्री लिंडनर कहते हैं कि उन्हें 3 या 4 प्रतिशत से ज्यादा के रिटर्न की उम्मीद है.

जर्मनी का आधिकारिक पेंशन सिस्टम

जर्मनी में सार्वजनिक पेंशन योजना को अधिकृत पेंशन बीमा भी कहा जाता है. ये सिर्फ कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है. स्व-रोजगार वाले लोग राज्य सिस्टम में भुगतान कर सकते हैं या पूरी तरह से निजी बीमा योजनाओं पर निर्भर रह सकते हैं. सरकारी कर्मचारियों की अपनी पेंशन व्यवस्था है. इन दो समूहों से 12 प्रतिशत वर्किंग आबादी बनती है.

वाम रुझान वाले बहुत से राजनीतिज्ञ सरकारी व्यवस्था को बचाने का एकमात्र जरिया यही देखते हैं कि अच्छा-आकर्षक वेतन पाने वाले इन समूहों के सभी सदस्य या कर्मचारी, राज्य सेवानिवृत्ति कोष में पैसा दें.

एक कर्मचारी के सकल मासिक वेतन का 18.16 प्रतिशत हिस्सा इस कोष में जमा हो जाता है. इसमें नियोक्ता और कर्मचारी आधा आधा हिस्सा देते हैं. मासिक योगदान 1404.30 यूरो से ज्यादा नहीं हो सकता.

सरकार चाहती है कि 2028 से योगदान की दर 20 फीसदी बढ़े और 2035 में बढ़कर 22.3 हो जाए जिसके बाद उसी दर पर वो 2045 तक बनी रह सकती है.

मौजूदा "पेंशन लेवल"— हर महीने रिटायर कर्मियों को मिलने वाली रकम — जर्मनी में औसत मासिक वेतन का 48 फीसदी हिस्सा है. "लेवल प्रोटेक्शन क्लॉज" के जरिए संघीय सरकार 2040 तक इस 48 प्रतिशत की कानूनन गारंटी देना चाहती है.

राज्य पेंशन नाकाफी हो तो क्या होगा?

जर्मन पेंशन बीमा के ताजा आंकड़े दिखाते हैं कि 61 फीसदी पेंशनभोगियों को हर महीने अपने अधिकृत राज्य पेंशन से 1,200 यूरो नेट से कम राशि मिली थी. तीन में से एक पेंशनभोगी को 750 यूरो नेट रकम प्राप्त हुई.

जर्मनी में बहुत सी महिलाओं को और भी कम पेंशन मिलती है, या बिल्कुल भी नहीं मिलती. ऐसा इसलिए क्योंकि वे कम तनख्वाह वाली नौकरियों में काम करती हैं और बहुत से साल स्टे-एट-होम पत्नी के रूप में घर पर बिताती हैं. वे बच्चे पैदा होने के बाद ज्यादा लंबे समय तक काम करने के लिए अक्सर नहीं लौटतीं.

कई साल के अंतराल के बाद श्रम बाजार में दोबारा दाखिल होना आसान नहीं और कई लोगों के लिए पेंशन से घर चलाना काफी नहीं. अपनी किंचित पेंशन के अलावा भी और कमाई के लिए या तो वे काम करते हैं या राज्य की कल्याण योजनाओं के लाभ हासिल करते हैं.

इस साल अपनी पॉप्युलिस्ट पार्टी, बीएसडब्ल्यू का गठन करने वाली वाम दल की पूर्व नेता साहरा वागननेष्ट ने ऐलान किया है कि आने वाले चुनावों में वो पेंशन सुरक्षा के मुद्दे पर अपना अभियान चलाएंगी.

मार्च में ऑग्सबर्जर आल्गेमाइने त्साइटुंग अखबार को उन्होंने बताया कि उनका गठबंधन "जर्मन पेंशनभोगियों की आवाज" बनेगा. वागननेष्ट कहती हैं कि "पेंशन हमारे समय की शायद सबसे बड़ी सामाजिक समस्या है." उनका कहना है कि पेंशन फंड में दशकों के योगदान के बावजूद बहुत से लोगों को कम पेंशन मिल रही है, तो इसका मतलब ये एक "सामाजिक-आर्थिक घोटाला" है.

सरकार की पेंशन बीमा व्यवस्था के अतिरिक्त, निजी व्यक्तिगत रिटायरमेंट निवेश के लिए निजी कंपनियों की योजनाएं और बहुत सारे विकल्प हैं. इसके अलावा कंट्रीब्युटरी रोजगार में अंतराल, बच्चों की परवरिश में लगने वाला समय, शिक्षा, बेरोजगारी या बीमारी में भी पेंशन मिलती है.  

जर्मनी में 60 महीने से ज्यादा काम करने वाले और पेंशन फंड में योगदान देने वाले विदेशियों को भी पेंशन पाने की उम्र में पहुंचने के बाद जर्मन पेंशन पाने का हक है.

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