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5जी डिवाइस देने वाली चीनी कंपनियों पर जर्मनी में प्रतिबंध

१२ जुलाई २०२४

जर्मनी 5जी नेटवर्क में चीन की टेलिकॉम कंपनी हुआवे और जेडटीई के उपकरणों को आने वाले सालों में धीरे धीरे हटा देगा. सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर खतरे की आशंकाओं की बीच यह फैसला किया गया है.

जर्मनी के ड्यूसेलडॉर्फ में हुआवे का मुख्यालय
जर्मनी में पहले भी 5जी तकनीक में हुआवे को लेकर आशंका जताई जाती रही है, अब सरकार ने उसके उपकरणों पर प्रतिबंध लगा दिया तस्वीर: Rolf Vennenbernd/dpa/picture alliance

चीन पर आर्थिक निर्भरता घटाने के मामले में जर्मन सरकार का यह ताजा कदम है. कुछ लोगों का मानना है कि यह निर्भरता देश को कमजोर बना रही है. यूरोपीय संघ की तरफ से चेतावनियां मिलती रही हैं कि ये कंपनियां संघ के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं.

बर्लिन में गृह मंत्रालय ने साफ कहा है कि हुआवे और जेडटीई के उपकरण 5जी मोबाइल नेटवर्कों में ज्यादा से ज्यादा 2026 के आखिर के बाद बिल्कुल इस्तेमाल नहीं होंगे. 5जी एक्सेस और ट्रांसमिशन के ढांचे में इन टेलिकॉम कंपनियों के सिस्टमों को 2029 के आखिर तक बदल देना होगा.

राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा

जर्मन गृहमंत्री नैंसी फेजर का कहना है, हम "कारोबारी ठिकाने के तौर पर जर्मनी के सेंट्रल नर्वस सिस्टम की रक्षा कर रहे हैं और नागरिकों, कंपनियों और देश के संचार को बचा रहे हैं. हमें निश्चित रूप से सुरक्षा जोखिमों को घटाना होगा, पहले की तरह एकतरफा निर्भरता से बचना होगा."

5जी नेटवर्क में हुआवे के उपकरणों का इस्तेमाल दुनिया भर में हो रहा है, हालांकि कई देश इसे लेकर आशंकाएं जता रहे हैंतस्वीर: Boris Roesller/picture alliance/dpa

फेजर ने यह नहीं बताया कि क्या उन्हें चीन से इस मामले पर जवाबी कार्रवाई का डर है, हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि प्रतिबंधों के बारे में चीन को जानकारी दे दी गई है. उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "गृह मंत्री के तौर पर मेरे लिए, बुनियादी ढांचे के टेलिकम्युनिकेशन नेटवर्कों के लिए नियम तय करना जरूरी है, और मैंने वही किया है."

जर्मन गृह मंत्रालय का कहना है कि 5जी नेटवर्क जर्मनी के "बेहद जरूरी बुनियादी ढांचे" का हिस्सा हैं, और स्वास्थ्य से लेकर परिवहन और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों के कामकाज के लिए जरूरी हैं. इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि टेलिकॉम नेटवर्कों को साइबर हमलों से बचाना बहुत जरूरी है, जो "अस्तित्व पर संकट" बन सकते हैं.

हुआवे और जेडटीई को प्रतिबंधित करने पर अधिकारियों ने जर्मनी के 5जी ऑपरेटरों डॉयचे टेलिकॉम, वोडाफोन और टेलिफोनिका के साथ पहले ही सहमति बना ली है. सरकार से जुड़े सूत्रों ने पिछले साल सितंबर में ही इस बात के संकेत दे दिए थे कि हुआवे के खिलाफ इस तरह के कदमों पर विचार कर रहे हैं. हालांकि पहले जो तारीखें सोची गई थीं उससे आगे की तारीख इसलिए दी गई हैं ताकि कंपनियां नए कदमों के लिए खुद को तैयार कर सकें.

हुआवे का जवाब

यूरोपीय संघ के देशों में यह चिंता बढ़ रही है कि हुआवे और दूसरी गैर ईयू कंपनियां शायद यूरोपीय संघ के डाटा प्रोटेक्शन कानूनों का पालन नहीं करेंगी. प्रतिबंधों के जवाब में हुआवे ने जोर दे कर कहा है, इस बात के "कोई सबूत नहीं हैं," कि कंपनी की तकनीक से "साइबर सुरक्षा को खतरा है." कंपनी के एक प्रवक्ता का कहना है, "जर्मन बाजार में एक लगातार उन्नतशील, सुरक्षित और भरोसेमंद टेलिकॉम उपकरण के सप्लायर के रूप में हुआवे विकसित हुआ है."

चीन की हुआवे कंपनी ने बड़ी तेजी से सफलता की सीढ़ियां चढ़ कर तस्वीर: CFOTO/picture alliance

बर्लिन में चीन के दूतावास ने कहा है कि यह कदम "बेबुनियाद आरोपों" से प्रेरित है. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने दूतावास के हवाले से कहा है, "ऐसे कोई सबूत नहीं है जो यह संकेत देते हों कि कंपनियां किसी देश के लिए खतरा हैं."

प्रतिबंधों का फैसला करते वक्त अधिकारियों ने कई बातों पर नजर डाला है. इनमें यह भी शामिल है कि क्या उपकरणों को बनाने वाली कंपनी का नियंत्रण सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से चीन सरकार के हाथ में था. इसके अलावा यह भी देखा गया कि क्या ये ऐसी गतिविधियों में शामिल रही हैं जो जर्मनी या यूरोपीय संघ के दूसरे सदस्य देशों के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं. 

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चीन पर जर्मनी की निर्भरता

जर्मनी और चीन के बीच लंबे समय से करीबी संबंध रहे हैं. कार से लेकर मशीन टूल्स तक बनाने वाली जर्मनी की प्रमुख कंपनियां दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को लंबे समय से भारी मात्रा में सामान बेचती आई हैं. हालांकि यूक्रेन युद्ध के बाद से यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में निरंकुश सरकारों पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता को लेकर चिंता बढ़ गई है. यही कारण है कि जोखिम घटाने के लिए चीन पर निर्भरता कम की जा रही है.

जर्मन सरकार के नए कठोर व्यवहार के संकेत बढ़ते जा रहे हैं. पिछले हफ्ते जर्मनी ने ऑटोमोबिल कंपनी फोक्सवागेन ग्रुप की एक सब्सिडियरी कंपनी में चीनी कंपनी के निवेश पर रोक लगा दी. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक चीन के हथियार उद्योग से इस कंपनी के करीबी संबंध होने की बात सामने आई थी.  

एनआर/एमजे (एएफपी)

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