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जर्मनी बंद कर रहा है तीन परमाणु रिएक्टरों को

३१ दिसम्बर २०२१

पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल के टाइम टेबल के अनुसार ही जर्मनी अपने तीन परमाणु संयंत्रों को बंद करने जा रहा है. लेकिन इस समय जर्मनी समेत पूरा यूरोप अपने सबसे बुरे ऊर्जा संकट से गुजर रहा है.

Deutschland Kernkraftwerk Biblis
तस्वीर: Boris Roessler/dpa/picture alliance

बंद होने वाले संयंत्र ब्रोकडॉर्फ, ग्रोंडे और गुंडरेमिंगन में हैं. बिजली के दाम पहले से ही बढ़ रहे हैं. ऊपर से यूरोप और मुख्य गैस सप्लायर रूस के बीच तनाव भी इतना बढ़ा हुआ है जितना पहले कभी नहीं था.

अब इन संयंत्रों को बंद करने से जर्मनी की बाकी बची परमाणु क्षमता आधी हो जाएगी और ऊर्जा का उत्पादन करीब चार गीगावाट गिर जाएगा. यह 1,000 हवा की टरबाइनों द्वारा बनाई गई ऊर्जा के बराबर है.

बिजली के बढ़ते दाम

2011 में जापान के फुकुशिमा हादसे के बाद होने वाले विरोध प्रदर्शनों की वजह से मैर्केल ने परमाणु ऊर्जा को अलविदा कहने की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी थी. अब जर्मनी की योजना 2022 के अंत तक नाभिकीय ऊर्जा को पूरी तरह से बंद कर देने की है.

ब्रोकडॉर्फ संयंत्र के खिलाफ 1981 में हुए प्रदर्शन की तस्वीरतस्वीर: Klaus Rose/imago images

समयसीमा के अंत तक नेकरवेसथाइम, एस्सेनबाक और एम्सलैंड में बचे आखिरी संयंत्रों को भी बंद कर दिया जाएगा. लेकिन पूरे यूरोप में बिजली के दाम आसमान छू रहे हैं और ऐसे में इस योजना का पूरा होना कठिनाइयों को बढ़ा देगा.

यूरोप में साल की शुरुआत में गैस के जो दाम थे अब वो 10 गुना ज्यादा बढ़ गए हैं. बिजली के दाम भी बढ़ रहे हैं. डार्मस्टाट  एप्लाइड साइंसेज विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति के प्रोफेसर सेबास्टियन हेरोल्ड कहते हैं कि जर्मनी में परमाणु ऊर्जा के बंद हो जाने से संभव है कि दाम और बढ़ जाएंगे.

उन्होंने यह कहा, "लंबी अवधि में उम्मीद यह है कि अक्षय ऊर्जा में बढ़ोतरी से एक संतुलन आ जाएगा, लेकिन ऐसा अल्पावधि में नहीं होगा." जब तक जर्मनी अक्षय ऊर्जा को वाकई बढ़ा नहीं लेता तब तक वो परमाणु बंद होने से पैदा हुई कमी को भरने के लिए जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर रहेगा.

अक्षय ऊर्जा की जरूरत

हेरोल्ड ने बताया, "इस से जर्मनी कम से कम अल्पावधि में प्राकृतिक गैस पर और ज्यादा निर्भर हो जाएगा और इस वजह से रूस पर भी उसकी निर्भरता बढ़ जाएगी." अक्षय ऊर्जा तक की यात्रा में भी अनुमान से ज्यादा समय लग सकता है क्योंकि हाल के सालों में ऊर्जा की परियोजनाओं के खिलाफ बड़ा विरोध हुआ है.

गुंडरेमिंगन को आज भी अपने परमाणु संयंत्र पर गर्व हैतस्वीर: LENNART PREISS/AFP/Getty Images

आशंका है कि 1997 के बाद पहली बार अक्षय ऊर्जा से बानी बिजली का अनुपात 2021 में गिर कर 42 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा. 2020 में यह 45.3 प्रतिशत था. परमाणु संयंत्रों के बंद होने से जर्मनी के महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों पर भी असर पड़ेगा.

फ्रांस समेत यूरोपीय संघ के दूसरे देश अभी भी परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल पर जोर दे रहे हैं और उसे निवेश के योग्य सस्टेनेबल ऊर्जा स्रोतों की संघ की सूची में शामिल किए जाने के लिए अभियान चला रहे हैं.

जर्मनी में परमाणु के प्रति लोगों का मत नर्म हो रहा है. हाल ही में वेल्ट ऐम सोनटाग अखबार के लिए यूगव द्वारा कराए गए एक सर्वे में सामने आया कि करीब 50 प्रतिशत जर्मन लोगों का कहना है कि वो बिजली के बढ़ते दामों की वजह से परमाणु ऊर्जा को बंद करने की योजना को पलटने के पक्ष में हैं. लेकिन जर्मनी की नई सरकार भी इसी योजना पर आगे बढ़ रही है.

सीके/एए (एएफपी)

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