करीब छह हफ्ते घर में बिताने के बाद जर्मनी में अब धीरे धीरे बच्चे स्कूल जाना शुरू करेंगे. स्कूल में संक्रमण ना हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए राज्यों ने मिल कर एक योजना तैयार की है.
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भारत की ही तरह जर्मनी में भी स्कूल बंद हैं. हालांकि बारहवीं कक्षा के छात्रों को पिछले एक हफ्ते से स्कूल जा कर परीक्षा की तैयारी करने की अनुमति दी गई है. इस बीच देश के सभी 16 राज्यों के मंत्री यह विचार करने में लगे रहे हैं कि कोरोना के खतरे के बीच बच्चों की स्कूल में वापसी कैसे हो. सभी राज्यों ने मिल कर एक योजना तैयार की है जिसे अब वे जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के सामने पेश करेंगे. समाचार एजेंसी डीपीए को प्राप्त इस ड्राफ्ट के अनुसार जून के अंत में शुरू होने वाली गर्मियों की छुट्टियों से पहले सभी बच्चों को स्कूल भेजने की योजना बनाई गई है. लेकिन स्कूल का रूप अब बदला हुआ होगा. क्लासरूम पहले जैसे नहीं दिखेंगे.
शिक्षा मंत्री आन्या कार्लीचेक ने एक स्थानीय अखबार को बयान दिया, "हम नए प्रकार के स्कूलों का अनुभव करने जा रहे हैं.. अगले कई महीनों तक स्कूलों में सभी बच्चों वाली सामान्य क्लास नहीं हो सकेगी." उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ साथ माता पिता, अध्यापकों और नेताओं को भी जिम्मेदारी लेनी होगी क्योंकि सभी को इस अनोखी स्थिति के साथ "बहुत लंबे वक्त तक ना है."
इस योजना के अनुसार बच्चों को अलग अलग ग्रुप में बांटा जाएगा ताकि सभी को एक साथ क्लास में मौजूद ना रहना पड़े. क्लास के अंदर भी बच्चों को एक दूसरे से दूरी बना कर रहना होगा. पूरे स्कूल का लंच ब्रेक भी एक साथ नहीं हुआ करेगा. परीक्षाओं को रद्द नहीं किया जाएगा, बल्कि उन्हें बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया जाएगा. हर स्कूल को एक "हाइजीन प्लान" बनाना होगा जिसमें बच्चों को हाथ धोने, डेढ़ मीटर की दूरी बनाने और खांसने और छींकने के सही तरीकों के बारे में बताया जाएगा. स्कूलों को टॉयलेट और भीड़ वाली अन्य जगहों में सफाई का खास ध्यान रखना होगा. लेकिन जिन बच्चों या अध्यापकों को पहले से स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ दिक्कतें हों, उन्हें स्कूल आने पर मजबूर नहीं किया जाएगा. साथ ही बच्चों को सार्वजनिक परिवहन से बचने और पैदल या फिर साइकिल चला कर स्कूल आने के लिए कहा जाएगा.
घर में बने मास्क की कैसे करें देखरेख?
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है. जो लोग खरीद नहीं सकते हैं वह घर में बना मास्क इस्तेमाल कर सकते हैं. यहां जानिए उसके रख रखाव के बारे में.
तस्वीर: Courtesy of O2 Today
मास्क जरूरी है
कई देशों ने आम जनता के लिए चेहरे को ढंकने के लिए घर पर बने फेस कवर के फायदों का दावा किया है. इस तरह से घर पर बने फेस कवर व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए एक अच्छा तरीका है.
तस्वीर: Courtesy of O2 Today
संक्रमण से बचाव
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने मास्क को लेकर एडवाइजरी भी जारी की है. सरकार ने इस एडवाइजरी में कहा है कि लोग घर में तैयार मास्क भी पहन सकते हैं.
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सूती कपड़े का मास्क
घर पर ही सूती कपड़े का इस्तेमाल करके मास्क तैयार किया जा सकता है. एक शख्स के लिए दो मास्क होने चाहिए क्योंकि एक इस्तेमाल होने के बाद दूसरा उपयोग में आ सकता है. सूती कपड़े का मास्क धोने के बाद दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है.
तस्वीर: Reuters/P. Ravikumar
सावधानी जरूरी
फेस कवर मास्क को इस्तेमाल करते वक्त हाथ साफ होना चाहिए और इसे पहनने और उतारने के बाद हाथ को अच्छी तरह से साबुन से धो लेना चाहिए. फेस कवर को कहीं भी नहीं फेकना चाहिए, बल्कि इसे सुरक्षित ढंग से रखना चाहिए. इसे साबुन और गर्म पानी के साथ धोना चाहिए और पांच घंटे तक धूप में सुखाना चाहिए.
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कैसे बनेगा फेस कवर मास्क
घर में मौजूद साफ कपड़े से फेस कवर मास्क तैयार किया जा सकता है. फेस कवर मास्क को बनाने या सिलने के पहले उसे अच्छी तरह से साफ करना या धोना चाहिए.
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साझा नहीं करें
आप जिस फेस कवर का इस्तेमाल कर रहे हैं उसको किसी और शख्स के साथ साझा नहीं करना चाहिए. इसलिए कई सदस्यों वाले परिवार में हर एक सदस्य के लिए दो-दो फेस कवर बनाए जाने चाहिए.
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मास्क की अहमियत
एक विश्लेषण के मुताबिक अगर 50 फीसदी आबादी नियमित रूप से मास्क पहनती है, तो सिर्फ 50 फीसदी ही वायरस से संक्रमित होगी. अगर 80 फीसदी जनसंख्या मास्क पहनती है, तो यह प्रकोप पूरी तरह से रोका जा सकता है.
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हाथ धोना भी जरूरी
मास्क हटाने के बाद भी पानी और साबुन से हाथ धोना बहुत जरूरी है. इससे वायरस आपके मुंह और नाक के जरिए शरीर तक नहीं पहुंच पाएगा.
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बच्चों के डॉक्टर भी उन्हें जल्द से जल्द स्कूल भेजने की पैरवी कर रहे हैं. बच्चों के डॉक्टरों के संगठन बीवीकेजे के डॉक्टर याकोब मास्के का कहना है कि बच्चों के लिए स्कूल से दूर रहना "बेहद बुरा" है. जर्मन टीवी चैनल आरटीएल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "सिर्फ दोस्तों के साथ ही नहीं, अध्यापकों के साथ संपर्क भी अहम है. ये बहुत करीबी रिश्ते होते हैं जो वहां बनते हैं." डॉक्टर मास्के के अनुसार अगर साफ सफाई का ठीक तरह से ध्यान रखा जाए तो स्कूल जाने में कोई खतरा नहीं है. यहां तक कि अस्थमा जैसी सांस की दिक्कत होने पर भी वे स्कूल जाने की हिदायत दे रहे हैं, "अगर अस्थमा काबू में है और बच्चा डॉक्टर की दी दवा नियमित रूप से ले रहा है, तो उस पर कोई खतरा नहीं है और हम कहेंगे कि उसे स्कूल जाना चाहिए."
जर्मनी में बच्चों का स्कूल जाना अनिवार्य है. ऐसे में बच्चे को स्कूल भेजना है या नहीं, यह फैसला माता पिता नहीं कर सकते. ना ही वे अपनी मर्जी से बच्चे की स्कूल से छुट्टी करा सकते हैं. स्कूल से एक-दो दिन की छुट्टी भी सिर्फ उसी हाल में मुमकिन होती है, अगर डॉक्टर लिख कर दे कि बच्चा स्कूल जाने की हालत में नहीं है. इसीलिए स्कूलों को ले कर नए नियमों का माता पिता बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. जहां एक तरफ कामकाजी माता पिता के लिए यह राहत की खबर है, वहीं कई लोग बच्चों के स्वास्थ्य को ले कर चिंतित भी हैं. एक हालिया शोध में आंकड़े लगभग आधे आधे बंटे हुए दिखे.
नई योजना के अनुसार स्कूलों को भविष्य में भी डिजिटल सुविधाओं का सहारा लेना होगा और उन्हें रोजमर्रा का हिस्सा बनाना होगा. बच्चों में दूरी बनाए रखने के लिए यह जरूरी होगा. लेकिन स्कूलों में मास्क को अनिवार्य बनाने की कोई योजना नहीं है. जहां सार्वजनिक परिवहन, दुकानों और दफ्तरों में अब मास्क लगाना अनिवार्य हो रहा है, वहीं स्कूलों में बच्चे बिना मास्क के ही जा सकेंगे. टीचरों को भी मास्क के बिना पढ़ाने की इजाजत होगी.
लॉकडाउन से बाहर आने के पहले धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियां तेज हो रही हैं. पड़ोस की दुकानें भी खुल रही हैं. लेकिन शॉपिंग के लिए जाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ताकि वायरस से बचा जा सके.
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जरूरी सावधानी
कोरोनावायरस संक्रमण अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और ना ही उसके लिए टीका या दवा बन पाई है. ऐसे में अब भी स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बताए गए दिशा-निर्देश का पालन करना चाहिए. भले ही हम लॉकडाउन में रह रहे हों लेकिन दिन बीतने के साथ वायरस कमजोर पड़ा है या नहीं यह कहना मुश्किल है इसलिए सावधानी जरूरी है.
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दुकान में रखा सामान सुरक्षित?
छोटे स्टोर और दुकानें खुल रही हैं और वहां सामान भी रखा है. ऐसे में सवाल उठता है कि स्टोर में रखा पैकेज्ड सामान सुरक्षित है? अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के मुताबिक कोरोना वायरस का अस्तित्व सतह पर खत्म हो जाता है. कोरोना का वायरस आपके शरीर में तभी पहुंच सकता है जब यह आपके आंख, नाक या मुंह में पहुंचे. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के संक्रमण की प्रमुख वजह खांसना या छींकना ही है.
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शॉपिंग कैसे करें?
कोरोना काल में घर की शॉपिंग भी एक चुनौती है. आप मॉल या बाजार नहीं जा सकते हैं और पड़ोस की दुकानों से ही सामान खरीदना पड़ता है. ऐसे में वहां स्थानीय लोगों की भीड़ भी होती है. इन सब चीजों से बचने के लिए आपको अपनी जरूरतों के हिसाब से लिस्ट बना लेनी चाहिए. हो सके तो पहले से फोन कर दुकानदार को ऑर्डर कर दें. अगर मुमकिन हो तो दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले शॉपिंग बैग को अच्छे से धो लें.
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सामान बाहर छोड़ दें?
राशन के उन सामानों को अलग से रख देना चाहिए जिन्हें फ्रिज में रखने की जरूरत नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि पैकेट पर किसी अन्य स्रोत से आए कंटैमिनेशन को कम करने में मदद मिलेगी.
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सोशल डिस्टेंसिंग
अगर पड़ोस की दुकान में आप सामान खरीदने गए हैं तो वहां भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, कम से कम एक मीटर की दूरी बनाए रखें और मास्क और हैंड सैनेटाइजर का इस्तेमाल करें. शॉपिंग के समय कर्मचारी से उचित दूरी बनाए रखें.
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घर लौटने पर हाथ धोएं
बाजार से शॉपिंग करने के बाद जब घर लौटें तो कम से कम 20 सेकेंड तक हाथ साबुन से धोएं और फिर सामान को रखें और उसके बाद दोबारा हाथ को धो लें.
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किचन रखें साफ
यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने अपने दिशा-निर्देशों में किचन काउंटर्स को डिसइंफेक्टेंट का इस्तेमाल करते हुए साफ रखने को कहा है. खाने के सामान को साफ करने के लिए डिसइंफेक्टेंट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.