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जर्मनी में नहीं आ सकेंगे शरणार्थियों के परिवार

२७ जून २०२५

जर्मन सांसदों ने शरणार्थियों के परिवारों को जर्मनी लाने की प्रक्रिया को निलंबित कर दिया है. चांसलर फ्रीडरिष मैर्त्स की पार्टी, सीडीयू सत्ता में आने पहले ही जर्मनी में आप्रवासन को कठोर बनाने की बात करती रही है.

बर्लिन में सीरिया से आए शरणार्थी
2015 में युद्ध के दौर में सीरिया से बड़ी संख्या में शरणार्थी जर्मनी आएतस्वीर: Markus Schreiber/picture alliance/AP/dpa

शुक्रवार को जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में सांसदों ने एक नए बिल को मंजूरी दी. इसके तहत शरणार्थियों के परिवारों को जर्मनी आने के लिए जिस प्रक्रिया के तहत आवेदन करना होता था, वह प्रक्रिया दो साल के लिए निलंबित रहेगी.

यह वो शरणार्थी हैं जिन्हें आंशिक सुरक्षा मिली है, उनके पास शरणार्थी का पूरा दर्जा नहीं है. इन लोगों को किसी और वजह से जर्मनी में शुरुआती तौर पर रहने की मंजूरी मिली है. इसमें उनके अपने देश में उन पर मौत की सजा या फिर किसी और तरह की प्रताड़ना का खतरा होता है.

क्यों रोका जा रहा है परिवारों को

सरकार का कहना है कि यह निलंबन जरूरी है ताकि जर्मनी की आप्रवासन और समेकन सेवाओं पर जारी दबाव को थोड़ा कम किया जा सके. जर्मनी के गृह मंत्री आलेक्जांडर डोबरिंट ने कहा है कि यह बदलाव आप्रवासन नीति में "मानवता और व्यवस्था" की सरकार की प्राथमिकता को दिखाता है. डोबरिंट का कहना है कि भले ही जर्मनी दुनिया के लिए खुला हुआ है, "हमारे सामाजिक तंत्र के लचीलेपन की अपनी कुछ सीमाएं हैं." डोबरिंट ने यह भी कहा कि शिक्षा, घर और देखभाल की व्यवस्थाएं दबाव झेल रही हैं, "इसलिए जर्मनी में आप्रवासन की भी कुछ सीमा होनी चाहिए." जर्मनी के गृह मंत्री पहले भी सख्त प्रवासन नीति का समर्थन करते रहे हैं. 

जर्मन सरकार का कहना है कि देश की शिक्षा, देखभाल और दूसरी सेवाओं पर शरणार्थियों के कारण दबाव बढ़ रहा हैतस्वीर: dts-Agentur/picture alliance

मौजूदा व्यवस्था में सब्सिडियरी प्रोटेक्शन के तहत आने वाले शरणार्थियों के परिवारों के सदस्यों को हर महीने दिए जाने वाली वीजा की कुल संख्या 1,000 है. डोबरिंट का कहना है कि ऐसे परिवारों को यहां आना रोका जाए तो हर साल 12,000 कम लोग जर्मनी आएंगे.

शरणार्थियों का विरोध प्रदर्शन

सांसदों की दलील है कि यह बदलाव शरणार्थियों को जर्मनी आने से रोकेगा और इसके साथ ही मानव तस्करी जैसी गतिविधियों पर भी लगाम लगेगी. आलोचकों का कहना है कि परिवार से मिलने का अधिकार एक मानवीय सिद्धांत है. जो शरणार्थी अपने परिवारों के साथ रहते हैं, वे समाज में बेहतर तरीके से घुलते मिलते हैं. इस बिल का विरोध करने वालों ने गुरुवार को बुंडेसटाग के बाहर प्रदर्शन भी किया.

आप्रवासन रोकने का प्रस्ताव जर्मन संसद में पारित

विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने वालों में 25 साल के सईद सईद भी हैं जो माग्देबुर्ग में शरणार्थियों के साथ काम करते हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "जब हम अच्छे समेकन की बात करते हैं तो सबसे पहले परिवार आता है." 42 साल के वफा मोहम्मद डेंटिस्ट हैं और सीरिया से आकर सब्सिडियरी प्रोटेक्शन के तहत जर्मनी में रह रहे हैं. उनका कहना है, "हम चाहते हैं कि संघीय सरकार हमारी आवाज सुने, परिवार के सदस्यों के बगैर हम यहां नहीं रह सकते."

संसद से पारित बिल में कुछ विशेष मामलों को अपवाद के तौर पर शामिल किया गया है. मसलन परिवार के सदस्य को तत्काल मेडिकल केयर की जरूरत जैसे मामलों में उन्हें वीजा दिया जाएगा. सरकार का कहना है कि शुरुआती तौर पर यह रोक दो साल के लिए लगाई गई है. दो साल पूरा होने पर इसकी समीक्षा होगी और फिर उसके बाद यह निलंबन रद्द भी हो सकता है.

अब वतन लौटना चाहते हैं सीरिया के लोग

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सरकार का सख्त रवैया

बीते एक दशक में जर्मनी में शरणार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ी है. सीरिया की जंग और यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद खासतौर से बड़ी संख्या में शरणार्थी आए हैं. इसे लेकर कुछ स्थानीय लोगों में असंतोष भी बढ़ा है. इसी का फायदा उठा कर धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी अपना जनाधार तेजी से बढ़ाने में सफल हुई है. अब वह जर्मनी की संसद में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है.

फ्रीडरिष मैर्त्स के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार शरणार्थियों के मामले में अपना रुख सख्त दिखाना चाहती है. एक दिन पहले ही सरकार ने भूमध्यसागर में फंसे आप्रवासियों को बचाने पर होने वाले खर्च का बजट घटाने की घोषणा की. इससे पहले अनियमित शरणार्थियों को सीमा से लौटाने की घोषणा की गई थी. आने वाले महीनों में इस तरह के कुछ और कदम भी उठाए जा सकते हैं जो शरणार्थियों और आप्रवासियों के लिए जर्मनी आने की दिक्कतें बढ़ाएंगे.

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