1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
कानून और न्यायजर्मनी

जर्मनी ने सख्त किए बाल पोर्नोग्राफी के कानून

२२ अक्टूबर २०२०

जर्मनी में बच्चों के साथ होने वाले यौन दुराचार और पोर्नोग्राफी के मामलों पर सख्ती अपनाते हुए अब ऐसे अपराधों की सजा को और कड़ा करने का फैसला लिया गया है.

प्रतीकात्मक फोटो: बाल पोर्नोग्राफीतस्वीर: Imago Images/C. Ohde

जर्मन कैबिनेट ने बच्चों के साथ यौन दुर्व्यहार करने वालों और बाल पोर्नोग्राफी की सामग्री रखने वालों को सख्त सजा दिए जाने का फैसला लिया है. हाल के सालों में जर्मनी में बाल यौन दुराचार के कई बड़े मामले सामने आए हैं, जिनके मद्देनजर इसकी मांग उठ रही थी.

कानूनी भाषा में अब तक जिसे "यौन दुर्व्यवहार'' कहा जाता था, उसे "बच्चों के खिलाफ यौन अपराध'' कहा जाएगा. भाषा में कड़ाई लाने के साथ साथ ऐसे अपराधों के लिए सुनाई जाने वाली सजा को भी और सख्त बनाया गया है. अब बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के दोषी पाए जाने पर एक साल से लेकर 15 साल तक की जेल की सजा सुनाई जा सकती है. अब तक इसकी न्यूनतम सजा केवल छह महीने और अधिकतम 10 साल होती है.

चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी सामग्री को फैलाने का अपराध करने वालों को एक से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा. फिलहाल ऐसे मामलों में तीन महीने से लेकर पांच साल की सजा का ही प्रावधान है. केवल कुछ अपवाद मामलों में ही 15 साल की अधिकतम सजा हो सकती है. चाइल्ड पोर्नोग्राफी की सामग्री खरीदने और उसे अपने पास रखने के अपराध में किसी दोषी को एक से पांच साल की जेल हो सकती है. फिलहाल इसके लिए अधिकतम तीन साल की ही सजा का प्रावधान है.

भविष्य में बच्चों जैसी सेक्स डॉल बनाने और उसके वितरण के लिए जुर्माना या फिर पांच साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है. वहीं ऐसी सेक्स डॉल को खरीदने और अपने पास रखने के जुर्म में दोषी को तीन साल तक जेल की सजा काटनी पड़ सकती है.

बच्चों के साथ होने वाले यौन दुर्व्यवहार के मामलों की सुनवाई के लिए ऐसे जजों की व्यवस्था करने की बात कही गई है, जिनके पास ऐसे मामलों से जुड़ी कोई विशेष योग्यता हो. जर्मनी की न्याय मंत्री क्रिस्टीने लाम्ब्रेष्ट ने इस बारे में जारी बयान में कहा है, "अपराधियों को पकड़े जाने से ज्यादा डर किसी और बात का नहीं होता. इसलिए हमें भी उनका पता लगाने के लिए दबाव बढ़ाना होगा. ऐसे घृणित अपराधों की सजा भी उतनी ही गंभीर होनी चाहिए.'' अभी इस कानून को संसद की मंजूरी मिलना बाकी है.

आरपी/एके (डीपीए)

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें