जर्मनी में बच्चों के साथ होने वाले यौन दुराचार और पोर्नोग्राफी के मामलों पर सख्ती अपनाते हुए अब ऐसे अपराधों की सजा को और कड़ा करने का फैसला लिया गया है.
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जर्मन कैबिनेट ने बच्चों के साथ यौन दुर्व्यहार करने वालों और बाल पोर्नोग्राफी की सामग्री रखने वालों को सख्त सजा दिए जाने का फैसला लिया है. हाल के सालों में जर्मनी में बाल यौन दुराचार के कई बड़े मामले सामने आए हैं, जिनके मद्देनजर इसकी मांग उठ रही थी.
कानूनी भाषा में अब तक जिसे "यौन दुर्व्यवहार'' कहा जाता था, उसे "बच्चों के खिलाफ यौन अपराध'' कहा जाएगा. भाषा में कड़ाई लाने के साथ साथ ऐसे अपराधों के लिए सुनाई जाने वाली सजा को भी और सख्त बनाया गया है. अब बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के दोषी पाए जाने पर एक साल से लेकर 15 साल तक की जेल की सजा सुनाई जा सकती है. अब तक इसकी न्यूनतम सजा केवल छह महीने और अधिकतम 10 साल होती है.
चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी सामग्री को फैलाने का अपराध करने वालों को एक से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा. फिलहाल ऐसे मामलों में तीन महीने से लेकर पांच साल की सजा का ही प्रावधान है. केवल कुछ अपवाद मामलों में ही 15 साल की अधिकतम सजा हो सकती है. चाइल्ड पोर्नोग्राफी की सामग्री खरीदने और उसे अपने पास रखने के अपराध में किसी दोषी को एक से पांच साल की जेल हो सकती है. फिलहाल इसके लिए अधिकतम तीन साल की ही सजा का प्रावधान है.
भविष्य में बच्चों जैसी सेक्स डॉल बनाने और उसके वितरण के लिए जुर्माना या फिर पांच साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है. वहीं ऐसी सेक्स डॉल को खरीदने और अपने पास रखने के जुर्म में दोषी को तीन साल तक जेल की सजा काटनी पड़ सकती है.
बच्चों के साथ होने वाले यौन दुर्व्यवहार के मामलों की सुनवाई के लिए ऐसे जजों की व्यवस्था करने की बात कही गई है, जिनके पास ऐसे मामलों से जुड़ी कोई विशेष योग्यता हो. जर्मनी की न्याय मंत्री क्रिस्टीने लाम्ब्रेष्ट ने इस बारे में जारी बयान में कहा है, "अपराधियों को पकड़े जाने से ज्यादा डर किसी और बात का नहीं होता. इसलिए हमें भी उनका पता लगाने के लिए दबाव बढ़ाना होगा. ऐसे घृणित अपराधों की सजा भी उतनी ही गंभीर होनी चाहिए.'' अभी इस कानून को संसद की मंजूरी मिलना बाकी है.
आरपी/एके (डीपीए)
बच्चों को यौन दुर्व्यवहार से बचाएं
बाल दिवस यानि 14 नवंबर 2012 को भारत में लागू हुए पॉक्सो (POCSO) कानून में बच्चों से यौन अपराधों के मामले में कड़ी सजा का प्रावधान है. बच्चों को पहले से सिखाएं कुछ ऐसी बातें जिनसे वे खुद समझ पाएं कि उनके साथ कुछ गलत हुआ.
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सबसे ज्यादा शिकार बच्चे
भारत में हुए कई सर्वे में पाया गया कि देश के आधे से भी अधिक बच्चे कभी ना कभी यौन दुर्व्यवहार का शिकार हुए हैं. इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि इनमें से केवल 3 फीसदी मामलों में ही शिकायत दर्ज की जाती है.
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बच्चों को समझाएं
बच्चों को समझाना चाहिए कि उनका शरीर केवल उनका है. कोई भी उन्हें या उनके किसी प्राइवेट हिस्से को बिना उनकी मर्जी के नहीं छू सकता. उन्हें बताएं कि अगर किसी पारिवारिक दोस्त या रिश्तेदार का चूमना या छूना उन्हें अजीब लगे तो वे फौरन ना बोलें.
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बच्चों से बात करें
बच्चों को नहलाते समय या कपड़े पहनाते समय अगर वे उत्सुकतावश बड़ों से शरीर के अंगों और जननांगों के बारे में सवाल करें तो उन्हें सीधे सीधे बताएं. अंगों के सही नाम बताएं और ये भी कि वे उनके प्राइवेट पार्ट हैं.
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क्या सही, क्या गलत
ना तो बच्चों को और लोगों के सामने नंगा करें और ना ही खुद उनके सामने निर्वस्त्र हों. बच्चों को नहलाते या शौच करवाते समय हल्की फुल्की बातचीत के दौरान ही ऐसी कई बातें सिखाई जा सकती हैं जो उन्हें जानना जरूरी है.
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बात करें
बच्चों के साथ बातचीत के रास्ते हमेशा खुले रखें. उन्हें भरोसा दिलाएं कि वे आपसे कुछ भी कह सकते हैं और उनकी कही बातों को आप गंभीरता से ही लेंगे. मां बाप से संकोच हो तो बच्चे अपनी उलझन किसी से नहीं कह पाएंगे.
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चुप्पी में छिपा है राज
बच्चों का काफी समय परिवार से दूर स्कूलों में बीतता है. बच्चों से स्कूल की सारी बातें सुनें. अगर बच्चा बेवजह गुमसुम रहने लगा हो, या पढ़ाई से अचानक मन उचट गया हो, तो एक बार इस संभावना की ओर भी ध्यान दें कि कहीं उसे ऐसी कोई बात अंदर ही अंदर सता तो नहीं रही है.
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सही गलत की सीख दें
बच्चों को बताएं कि ना तो उन्हें अपने प्राइवेट पार्ट्स किसी को दिखाने चाहिए और ना ही किसी और को उनके साथ ऐसा करने का हक है. अगर कोई बड़ा उनके सामने नग्नता या किसी और तरह की अश्लीलता करता है तो बच्चे माता पिता को बताएं.