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अनिवार्य सैन्य सेवा पर जर्मनी की ऊहापोह

१५ मई २०२४

जर्मनी में सेना को मजबूत करने के साथ ही सैनिकों की संख्या बढ़ाने पर भी बहस हो रही है. जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स का कहना है कि लोगों को सेना में भर्ती होने पर तैयार करने के लिए देश को कोई तरीका ढूंढना होगा.

सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेते जर्मन सैनिक
जर्मनी में अनिवार्य सैनिक सेवा बहाल करने पर बहस तेज हो गई हैतस्वीर: MDR

जर्मनी ने अनिवार्य सैन्य सेवा 12 साल पहले बंद कर दी थी लेकिन अब इसे दोबारा लागू करने पर चर्चा हो रही है. जर्मनी को सामान्य नौकरियों के लिए ही कुशल लोग नहीं मिल रहे हैं तो फिर सेना में भर्ती की तो समस्या और बड़ी है. जर्मनी में पहले अनिवार्य सैन्य सेवा का कानून था जिसके तहत युवाओं को करियर की शुरुआत में कुछ साल सेना में सेवा देनी पड़ती थी. 2011 में यह कानून खत्म कर दिया गया. अब लग रहा है कि इसके जरिए सैनिकों की संख्या बढ़ाई जा सकती है.

स्वीडन की यात्रा पर गए जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स का कहना है, "आखिरकार सवाल यही है कि हम कैसे महिलाओं और पुरुषों को सेना में काम करने के लिए रजामंद कर सकते हैं कि वे सेना में खुद नौकरी खोजें." शॉल्त्स ने देश के रक्षा मंत्रालय को सैन्य सेवा का आदर्श मॉडल ढूंढे की जिम्मेदारी सौंपी है.

ओलाफ शॉल्त्स ने स्वीडेन के मॉडल को अपनाने से इनकार किया हैतस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

जर्मन सेना में बहुत कम है महिलाओं की संख्या

स्वीडेन का मॉडल

रूस ने जब क्रीमिया को यूक्रेन से अलग कर दिया तब स्वीडन ने  2017 में अपने यहां दोबारा अनिवार्य सेना बहाल कर दी. स्वीडन में हर साल 5-6 हजार युवक और युवतियों को अनिवार्य सैन्य सेवा के लिए चुना जाता है. स्वीडन की सरकार यह संख्या बढ़ा कर 10,000 करना चाहती है. इसका मतलब होगा कि हर 10 में से एक युवा को सेना की बेसिक ट्रेनिंग करनी पड़ेगी. स्वीडन युवाओं को ट्रेनिंग तो देता है, लेकिन सबको सेना में भर्ती नहीं किया जाता. सेना की जरूरत के मुताबिक ही लोगों को नौकरी मिलती है.

जर्मन सेना की मुश्किल भर्ती के लिए नहीं मिल रहे लोग

जर्मनी के रक्षा मंत्री सेना में भर्ती बढ़ाने के लिए स्वीडिश सिस्टम को रोल मॉडल बता चुके हैं. हालांकि जर्मन चांसलर को नहीं लगता कि स्वीडन का सिस्टम जर्मनी के लिए ठीक होगा. अनिवार्य सैन्य सेवा के बारे में चांसलर ने कहा, "अब वह काम नहीं करेगा. बहुत सारे सैनिक थे, बहुत सारे बैरक थे, बहुत सारा बुनियादी ढांचा बनाया जाना था. आज इन सब की जरूरत नहीं है, ना ही इस तरह की किसी योजना पर काम हो रहा है."

रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस स्वीडेन के मॉडल को अपनाने की बात कह चुके हैंतस्वीर: Lars Penning/dpa/picture alliance

जर्मन सेना बुंडसवेयर में सैनिकों की संख्या 2031 तक 183,000 से बढ़ा कर 203,000 तक करने की योजना है. जर्मन रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस इसके लिए विकल्प ढूंढ रहे हैं. पिस्टोरियस का कहना है, "प्रस्ताव आ रहे हैं, लेकिन जर्मनी में जो हमारे पास पहले था उससे उनकी तुलना नहीं की जा सकती. इसलिए यही अच्छा है कि जब तक कोई संतुलित विचार नहीं आ जाता हम इंतजार करें."

सेना में सुधार

जर्मनी में सेना की लंबे समय तक अनदेखी होती रही है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद हालात बदल गए हैं. इस हमले के बाद एक तरफ जर्मनी ने यूक्रेन की मदद के लिए हाथ बढ़ाए तो दूसरी तरफ अपनी सेना को आधुनिक हथियारो से लैस करने पर काम करना शुरू किया. इसके लिए तत्काल 100 अरब यूरो का फंड निकाला गया. अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, मिसाइल, ड्रोन, एयर डिफेंस सिस्टम के साथ ही ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिल कर टैंकों के लिए विकास कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं.

नाटो की सुरक्षा के लिए युद्ध की तैयारी में जुटा जर्मनी

हथियारों को उन्नत बनाना एक बात है लेकिन सैनिकों की भर्ती एक बड़ा मसला है, जिससे जर्मनी को जूझना पड़ेगा. जर्मनी ने यूरोप और उसके बाहर भी कई जगहों पर अपने सैनिकों को तैनात किया है. आने वाले समय में इसकी जरूरत और बढ़ सकती है. फिलहाल फिलहाल जर्मनी में महिलाओं समेत करीब 265,000 लोग सेना में काम कर रहे हैं, इनमें 184,000 सैनिक और बाकी आम नागरिक हैं. इनमें महिलाओं की हिस्सेदारी करीब 13 फीसदी है.

जिस समय जर्मनी अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ऐतिहासिक अभियान चला रहा है उसी समय सैनिकों की संख्या सिमटती जा रही है. जर्मनी के मुख्य विपक्षी दल क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन यानी सीडीयू ने अगले साल चुनाव जीतने पर अनिवार्य सैनिक सेवा लागू करने का वादा किया है. 2011 में जब अनिवार्य सैनिक सेवा बंद की गई थी तब देश में सीडीयू की ही सरकार थी.

एनआर/एसबी (डीपीए, रॉयटर्स)

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