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हमास की अपील से जर्मनी में भी खतरा, यहूदियों की सुरक्षा बढ़ी

१३ अक्टूबर २०२३

आतंकवादी संगठन हमास की ओर से इस शुक्रवार, दुनियाभर में यहूदी समुदायों के खिलाफ हिंसा की अपील की गई थी. इसके कारण जर्मनी में रह रहे यहूदी समुदाय और यहूदी प्रार्थना स्थलों के लिए भी चिंता बढ़ गई है.

इस्राएल का झंडा पकड़े एक समर्थक
इस्राएल में हमास के हालिया हमले के बाद से ही जर्मनी में कई यहूदी-विरोधी घटनाओं की खबरें आ रही हैं. यहूदी समुदायों और उपासना स्थलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. तस्वीर: राजधानी बर्लिन में एक इस्राएल समर्थक प्रदर्शनकारीतस्वीर: LIESA JOHANNSSEN/REUTERS

जर्मनी में यहूदी समुदाय के संगठन "सेंट्रल काउंसिल ऑफ ज्यूज" ने बताया है कि यहूदी संस्थानों के खिलाफ हिंसा की अपील के मद्देनजर उसने सुरक्षा बंदोबस्त मजबूत किए हैं. इस संबंध में जानकारी देते हुए काउंसिल ने कहा, "सरकार और यहूदी पक्ष, दोनों की ओर से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी मुमकिन प्रयास किए जा रहे हैं."

काउंसिल ने ध्यान दिलाया है कि हालिया घटनाक्रम के कारण जोखिम बढ़ गया है. उसने बताया, "हम सुरक्षा एजेंसियों से लगातार संपर्क में हैं. प्रशासन, जर्मनी में रह रहे यहूदियों की सुरक्षा को बहुत गंभीरता से लेता है." इस्राएल में हमास के हालिया हमले के बाद से ही जर्मनी में कई यहूदी-विरोधी घटनाओं की खबरें आ रही हैं.

काउंसिल ने बताया कि बीते दो दिन से सोशल मीडिया पर ऐसी अपीलें साझा हो रही हैं, जिनमें 13 अक्टूबर को यहूदी संस्थानों को निशाना बनाने की बात कही जा रही है. आतंकवादी संगठन हमास ने दुनियाभर के मुस्लिमों से इस शुक्रवार को "एक्शन" लेने और अपना समर्थन दिखाने की अपील की थी.

हमास द्वारा की गई हिंसा के विरोध और इस्राएल के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए जर्मनी में आयोजित एक रैली तस्वीर: Ina Fassbender/AFP/Getty Images

यहूदी उपासना स्थल पहुंचे राष्ट्रपति

जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने हिंसक अपीलों के संदर्भ में शुक्रवार को यहूदियों के लिए "खौफ का दिन" बताया. वह यहूदियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए वह बर्लिन के एक यहूदी प्रार्थना स्थल पर पहुंचे. बर्लिन का यह फ्राएनकेल्फर सिनेगॉग, शहर का पहला यहूदी उपासना स्थल है, जहां नाजी दौर में हुए यहूदी नरसंहार के बाद 1945 में पहली बार ऑफिशियल सर्विस का आयोजन हुआ था.

यहां श्टाइनमायर ने यहूदी समुदाय को संबोधित करते हुए कहा, "हमास ने पूरी दुनिया में यहूदी समुदायों के खिलाफ हिंसा की अपील की है. यह शुक्रवार, जर्मन यहूदियों के लिए भी खौफ का दिन है. इसीलिए आज मेरी जगह आप सबके बीच है. इस वक्त मैं हमारे समूचे देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं. अपने हमवतन, जर्मनी के सभी यहूदियों के साथ खड़ा हूं."

उधर जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक, एकजुटता दिखाने एक दिन की इस्राएल यात्रा पर गई हैं. रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि बीते दिनों में इस्राएल को बर्बर आतंक का सामना करना पड़ा है और इस्राएल को अपनी रक्षा का पूरा अधिकार है. जर्मनी उसके साथ खड़ा है.

7 अक्टूबर को इस्राएल पर हुए हमले के बाद बर्लिन के नॉयकोल्न इलाके में कई फलीस्तीन-समर्थक प्रदर्शनकारी जमा हुए. प्रदर्शनकारियों ने फलीस्तीन की आजादी के नारे लगाए. यहां तनाव की स्थिति भी बनी, जिसके बाद पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया. तस्वीर: Michael Kuenne/PRESSCOV/ZUMA/picture alliance

यहूदी-विरोधी घटनाएं बढ़ी हैं

यहूदी के खिलाफ बढ़े खतरे के मद्देनजर जलवायु मामलों से जुड़े ऐक्टिविस्ट समूह "लास्ट जेनरेशन" ने 13 अक्टूबर को प्रस्तावित अपना एक विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दिया. समूह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "हम नहीं चाहते कि पुलिस हमारे साथ व्यस्त रहे, जबकि जान बचाने में उनकी जरूरत पड़ सकती है."

7 अक्टूबर को इस्राएल पर हमले की शुरुआत हुई थी. तब से अब तक, प्रशासन ने 30 से ज्यादा वारदातें दर्ज की हैं. इनमें प्रतिबंधित निशानों, पोस्टरों के इस्तेमाल और भड़कीले नारे लगाने, भाषण देने जैसी घटनाएं हैं. 

जर्मनी के कई शहरों में फलीस्तीन-समर्थक प्रदर्शन हुए हैं. यहूदी-विरोधी गतिविधियों के कारण फिलहाल जर्मनी में ऐसे प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई है. राजधानी बर्लिन में पुलिस ने यहूदी-विरोधी नारेबाजियों और हिंसा के महिमामंडन की आशंकाओं के कारण ऐसे प्रदर्शनों पर पाबंदी लगाई है. प्राशासनिक अदालत ने भी इस बैन पर मुहर लगाई है.

प्रतिबंध के बावजूद 11 अक्टूबर की शाम बर्लिन में फलीस्तीन के समर्थन में बड़ा प्रदर्शन हुआ, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए. बड़े जुटान को रोकने के लिए पुलिस को कई बार दखल देना पड़ा. कुछ शहरों में इस्राएली झंडों को जलाने और फाड़ने की भी वारदातें सामने आई हैं. दूसरे देशों के झंडों और प्रतीकों का अपमान करना, जर्मन कानून में अपराध है.

"काउंसिल ऑफ बर्लिन इमाम्स" ने इस्राएल पर हमले के बाद हिंसा के महिमामंडन से जुड़ी प्रतिक्रियाओं की निंदा की है. संगठन ने अपने बयान में कहा, "हत्या, नफरत और हिंसा को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए, इनकी कभी सराहना नहीं करनी चाहिए." संगठन ने कहा, "हमारी धार्मिक परंपराओं और इस्लाम की सीख में ऐसे बर्ताव की मनाही है. इसमें शांति, सहृदयता और करुणा की बात कही गई."

हम हमास का नामोनिशान मिटा देंगे: इस्राएल

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एसएम/एनआर (डीपीए, एपी)

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