राष्ट्र के नाम संबोधन में जर्मन राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस के रोकने के प्रयासों को "मानवता की परीक्षा" बताया है. यह पहला मौका है जब किसी जर्मन राष्ट्रपति ने क्रिसमस के अलावा अन्य मौके पर भी राष्ट्र को संबोधित किया है.
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राष्ट्रपति श्टाइनमायर ने जर्मनी के लोगों से कहा है कि वे कोरोना वायरस की महामारी से लड़ने के लिए धैर्य, अनुशासन और एकजुटता दिखाएं. उनका यह संबोधन शनिवार को टीवी पर प्रसारित हुआ. उन्होंने कहा, "अभी आप जो एकजुटता हर दिन दिखा रहे हैं, हमें भविष्य में उसकी और ज्यादा जरूरत है."
श्टाइनमायर ने लोगों से कहा कि वायरस को फैलने से रोकने के लिए जो भी उपाय बताए गए हैं, उन पर अमल करते रहें. उन्होंने कहा, "आगे हालात कैसे होंगे और कब और कैसे पाबंदियों में ढील दी जाएंगी, इसका फैसला सिर्फ राजनेता और विशेषज्ञ नहीं करेंगे." उन्होंने कहा कि इस संकट ने लोगों की "सबसे अच्छी और सबसे बुरी बातों" को सामने ला दिया है.
कोरोना वायरस को रोकने की कोशिशों की तुलना युद्ध से करने पर उन्होंने कहा कि ये कोशिशें "मानवता की परीक्षा" हैं. उनके मुताबिक, "नहीं. यह महामारी युद्ध नहीं है. राष्ट्र एक दूसरे से नहीं लड़ रहे हैं, सैनिक दूसरे सैनिकों से नहीं लड़ रहे हैं. यह तो मानवता की परीक्षा है."
श्टाइनमायर मानते हैं कि यह संकट समाज में नाटकीय बदलाव लाएगा. उन्होंने कहा, "हम एक चिंता में डूबा हुआ और परेशान समाज नहीं बनना चाहते हैं. लेकिन हम ऐसा समाज बन सकते हैं जहां ज्यादा भरोसा हो, ज्यादा विचार विमर्श हो और ज्यादा आत्मविश्वास हो."
जर्मन राष्ट्रपति ने यूरोपीय संघ में भी अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की अपील की. उन्होंने कहा, "जर्मनी तब तक इस संकट से मजबूत और स्वस्थ होकर बाहर नहीं निकल सकता जब तक हमारे पड़ोसी भी इससे मजबूत और स्वस्थ होकर बाहर ना निकलें."
श्टाइनमायर का यह भाषण इसलिए अहम है क्योंकि यह पहला मौका है जब उन्होंने क्रिसमस के अलावा किसी अन्य मौके पर आधिकारिक रूप से टीवी पर आकर देश की जनता को संबोधित किया है. यहां तक कि बर्लिन की दीवार गिरने के बाद भी राष्ट्रपति का संबोधन प्रसारित नहीं किया गया था.
दुनिया भर के देश कोरोना से लड़ने की कोशिशों में लगे हैं. इस जंग में कई नेताओं को आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ रहा है. लेकिन महिला नेताओं की जम कर तारीफ हो रही है. एक नजर इस जंग की असली हीरो पर.
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अंगेला मैर्केल
कोरोना संक्रमण के चलते जर्मनी की कम मृत्यु दर दुनिया भर में चर्चा का विषय बनी हुई है. इस संकट से निपटने के लिए चांसलर मैर्केल की रणनीति की चारों तरफ तारीफ हो रही है. मैर्केल ने शुरुआती दौर में ही चेतावनी दे दी थी कि देश की 60 फीसदी आबादी कोरोना से संक्रमित हो सकती है. औपचारिक रूप से उन्होंने "लॉकडाउन" शब्द का इस्तेमाल भी नहीं किया और लोगों से कहा कि वे समझती हैं कि आजादी कितनी जरूरी है.
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मेरिलिन एडो
कोरोना वायरस से दुनिया का पीछा तब तक पूरी तरह नहीं छूटेगा जब तक इसका टीका नहीं बन जाता. जर्मन सेंटर फॉर इन्फेक्शन रिसर्च की प्रोफेसर मेरिलिन एडो अपनी टीम के साथ मिल कर कोरोना वायरस से बचाने का टीका विकसित करने में लगी हैं. इससे पहले वे इबोला और मर्स के टीके भी विकसित कर चुकी हैं.
तस्वीर: Privat
जेसिंडा आर्डर्न
14 मार्च को न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने घोषणा की कि देश में प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति को दो हफ्तों के लिए सेल्फ आइसोलेट करना होगा. उस वक्त देश में कोरोना के महज छह मामले सामने आए थे. आंकड़ा सौ के पार जाते ही उन्होंने देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी. बच्चों को उन्होंने संदेश दिया कि वे जानती हैं कि ईस्टर का खरगोश जरूरी है लेकिन इस साल उसे अपने घर में ही रहना होगा.
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जुंग इउन केओंग
दक्षिण कोरिया के सेंटर फॉर डिजीज एंड प्रिवेंशन की अध्यक्ष जुंग इउन केओंग को नेशनल हीरो घोषित किया गया है. स्थानीय मीडिया के अनुसार कोरोना संकट की शुरुआत से केओंग दिन रात काम कर रही हैं, ना सो रही हैं और ना ही दफ्तर से बाहर निकल रही हैं. उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि देश भर टेस्टिंग मुमकिन हो पाई और संक्रमण का फैलाव रुक सका.
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मेट फ्रेडेरिक्सन
डेनमार्क की प्रधानमंत्री ने मार्च की शुरुआत से ही कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए थे. 14 मार्च तक देश की सीमाओं को सील भी कर दिया गया था. डेनमार्क में अब तक कोरोना संक्रमण के 5,800 मामले ही सामने आए हैं.
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त्साई इंग वेन
चीन के बेहद करीब होते हुए भी ताइवान ने खुद को कोरोना से बचा लिया. वहां कोरोना संक्रमण के चार सौ से भी कम मामले सामने आए हैं, जबकि जानकारों का मानना था कि ताइवान सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में से एक हो सकता था. वेन की सरकार ने वक्त रहते चीन, हांगकांग और मकाउ से आने वाले लोगों पर ट्रैवल बैन लगा दिया था.