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एसपीडी ने दी एएफडी पर बैन लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी

रितिका डीपीए
२९ जून २०२५

एसपीडी का मानना है कि संवैधानिक संस्थाओं को एएफडी की असंवैधानिकता जांचने की जरूरत है ताकि उस पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में आगे बढ़ा जा सके.

चुनाव नतीजों के बाद एलिस वाइडल
एसपीडी अपने प्रस्ताव में संवैधानिक संस्थानों से सिफारिश की है कि वे एएफडी की असंवैधानिकता की जांच करें ताकि पार्टी पर प्रतिबंध लगाने के लिए जमीन तैयार की जा सके.तस्वीर: Julian Stratenschulte/dpa/picture alliance

जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी 'ऑल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड' एएफडी पर 'सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी' एसपीडी पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की योजना के साथ आगे बढ़ती नजर आ रही है. एसपीडी ने बर्लिन में चल रही तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस के दौरान एएफडी पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

जर्मनी के वित्त मंत्री लार्स क्लिंगबाइल ने कहा कि जब घरेलू खुफिया एजेंसी ने इस बात पर मोहर लगाई है कि एएफडी एक धुरदक्षिणपंथी चरमपंथी दल है तो ऐसे वक्त में और रणनीति बनाने की कोई जगह नहीं है. 

प्रस्ताव में जर्मनी की प्रासंगिक संवैधानिक संस्थाओं से एएफडी के खिलाफ केस दायर करने की जमीन तैयार करने की सिफारिश की गई है. प्रस्ताव में लिखा गया है कि अब समय आ गया है कि संवैधानिक संस्थाएं एएफडी की असंवैधानिकता तय करने के लिए तुरंत प्रस्ताव लाने की परिस्थितियां पैदा करें.

एसपीडी शुरू से ही एएफडी पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करती आई है. तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS

एएफडी की असंवैधानिकता की जांच का प्रस्ताव

एसपीडी की नेता बेअरबेल बास ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा, "अब हमें यह जल्द ही साफ कर देना चाहिए एएफडी की असंवैधानिकता की जांच अदालत कर सके, इसके लिए हमारे पास पर्याप्त मात्रा में सामग्री मौजूद है या नहीं?" उन्होंने कहा कि अगर ऐसे प्रमाण मौजूद हैं तो यह एसपीडी की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह एएफडी पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्ताव लाने की हर संभव कोशिश करे.

जर्मनी के संविधान के मुताबिक उस स्थिति में किसी भी राजनीतिक पार्टी पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है जब वह पार्टी अपने उद्देश्यों या व्यवहार के जरिए स्वतंत्र लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने या जर्मनी के अस्तित्व को खतरे में डालने की कोशिश करे.

प्रतिबंध लगाने की सिफारिशों के बीच यह भी एक तथ्य है कि हाल के चुनाव नतीजों के बाद धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी की लोकप्रियता बढ़ी है.तस्वीर: Sören Stache/dpa/picture alliance

एएफडी पर प्रतिबंध लगाना कितना आसान?

धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी बीते एक दशक से अपनी आप्रवासी, मुस्लिम विरोधी नीतियों और उग्र राष्ट्रवादी विचारों के कारण जर्मनी की राजनीति में चर्चा और विवाद में बनी हुई है. खासकर हालिया चुनावों में उसके प्रदर्शन ने पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता पर भी मोहर लगाई. नतीजों के बाद एएफडी जर्मनी की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनकर उभरी.

बीते कुछ सालों में पार्टी ने सुस्त होती जर्मन अर्थव्यवस्था और आप्रवासन के प्रति बदलते नजरिए को भी मुद्दा बनाया है. हालांकि, बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद सर्वेक्षण संस्था इन्सा (आईएनएसए) के एक हालिया सर्वे में भी करीब 61 फीसदी लोगों ने एएफडी को चरमपंथी संगठन घोषित किए जाने के कदम को सही बताया था.

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इस साल मई के महीने में जर्मनी की आंतरिक खुफिया एजेंसी  'बीएफडब्ल्यू' ने एएफडी को एक चरमपंथी समूह के रूप में चिन्हित किया था. इसके बाद से ही एएफडी पर प्रतिबंध लगाने की मांग ने जोर पकड़ा. लेकिन एएफडी ने एजेंसी के इस फैसले को चुनौती दी. इसके बाद पार्टी के ऊपर से एजेंसी को चरमपंथी समूह का लेबल हटाना पड़ा था. अब उन्हें अगला फैसला आने तक एएफडी को 'संदिग्ध' की श्रेणी में रखना होगा.

एजेंसी ने उस वक्त पार्टी को लोकतंत्र के लिए खतरा, आप्रवासियों और अल्पसंख्यकों को नापंसद करना और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बयान देने जैसे आधार पर चरमपंथी घोषित किया था. उस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वैंस ने भी इस फैसले की आलोचना की थी. मौजूदा अमेरिकी सरकार पहले भी एएफडी की तरफदारी करती आई है.

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