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जर्मनी में समाज कल्याण के नये नियमों पर सहमति

२४ नवम्बर २०२२

जर्मनी में बेरोजगारी भत्ते पर सांसदों के बीच सहमति बन गई है. नई योजना में बेरोजगारी भत्ता बढ़ाने के साथ ही लोगों को नये रोजगार के लिए प्रशिक्षण पर जोर है. इसमें कुशल कामगारों की कमी की समस्या का हल पाने की भी कोशिश है.

Deutschland Obdachlosigkeit im Winter, Symbolbild
तस्वीर: Michael Gstettenbauer/IMAGO

जर्मनी में जिन लोगों के पास नौकरी नहीं है या फिर जिन्हें नौकरी से हटा दिया गया है उन्हें सरकार बेरोजगारी भत्ता देती है. नौकरी करने वालों को नौकरी जाने के बाद एक साल तक उनकी पिछली तनख्वाह का एक बड़ा हिस्सा मिलता है. इसके लिए उन्हें हर महीने अपने वेतन से एक छोटी सी रकम चुकानी पड़ती है. यह एक इंश्योरेंस की तरह है. एक साल बाद भी नौकरी ना मिले तो फिर वो समाज कल्याण की योजना में चले जाते हैं जिसका नाम हर्त्स फियर है इसे 2005 में लागू किया गया था. इसके तहत कुछ शर्तों के साथ लोगों को गुजारा करने लायक पैसे दिये जाते हैं.   इस भत्ते को लेकर राजनीतिक दलों के बीच काफी खींचतान रही है.कुछ पार्टियां इसे बढ़ाने तो कुछ घटाने के पक्ष में हैं. खासतौर से लंबे समय के बेरोजगारी भत्ते को लेकर बहुत उलझन रही है.

पुराना सिस्टम में बदलाव की मांग काफी दिनों से हो रही है. नयी सरकार ने अगले साल से लागू करने के लिए अपनी योजना पेश की लेकिन इसे लेकर विपक्षी दलों ने काफी ज्यादा विरोध किया. आखिरकार अब बेरोजगारों को समाज कल्याण के तहत मिलने वाले भत्ते को लेकर सांसदों में सहमति बन गई है.

वामपंथी नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार ने भत्ते में जिस तरह के सुधारों की योजना बनाई थी यह उतनी महत्वाकांक्षी तो नहीं है लेकिन फिर भी कई बदलाव किये गये हैं. रुढ़िवादी विपक्षी दलों के विरोध के कारण सरकार को अपनी योजना बदलनी पड़ी.

एक तरफ कुशल कामगारों की कमी है तो दूसरी ओर बेरोजगारों की तादाद भी बढ़ रही हैतस्वीर: Colourbox

दीर्घकालीन बेरोजगारी भत्ते में बदलाव

बदलाव के बाद जो नई नीति बनी है उसके तहत, बेरोजगारों को हर महीने 502 यूरो मिलेंगे. पुरानी रकम से यह 53 यूरो ज्यादा है. इसी तरह जोड़ों और बच्चों के लिए मिलने वाली रकम भी बढ़ाई गई है.

सुधारों को लागू करने के पीछे बेरोजगारों को श्रम बाजारों के जरिये रोजगार मुहैया कराने पर जोर है. इसके लिए उनकी योग्यता और प्रशिक्षण को बढ़ाने पर भी काफी जोर है. वोकेशनल ट्रेनिंग हासिल करने वाले बेरोजगारों को हर महीने 150 यूरो अतिरिक्त रकम दी जायेगी.

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सब्सिडी के साथ मिलने वाली वोकेशनल ट्रेनिंग पहले दो साल तक ही की जा सकती थी अब इसकी समयसीमा 3 साल तक बढ़ा दी गई है.

सरकार की योजना में छह महीने के "ट्रस्ट पीरियड" की भी बात थी लेकिन इसे हटा दिया गया है. "ट्रस्ट पीरियड" के दौरान रोजगार ढूंढने वालों को पूरा भुगतान करने की बात कही गई थी भले ही बेरोजगार नौकरी ढूंढने के लिए रोजगार कार्यालयों और नियुक्तियों में ना जायें.

सरकार ने दो साल के वेटिंग पीरियड पर समझौता करके इसे एक साल का कर दिया है. विटिंग पीरियड के दौरान सरकार बेरोजगारों के घर का खर्च भी उठाती है.

नये नियमों के तहत बेरोजगार लोग बैंक में 40 हजार यूरो की बचत रखने के बाद भी बेरोजगारी भत्ता हासिल करने के हकदार होंगे.

बेरोगारी भत्ते को इस तरह से बनाने की कोशिश की गई है कि लोग उसके भरोसे बैठे ना रहेंतस्वीर: Danko Natalya/Zoonar/picture alliance

सरकार और विपक्ष में समझौता

सरकार और विपक्ष के बीच मध्यस्थों की एक कमेटी ने बदलावों का खाका तैयार कर इसे अंतिम रूप दे दिया है. नये सिस्टम को बुर्गरगेल्ड यानी नागरिकों का धन नाम दिया गया है यह एक जनवरी से लागू हो जायेगा.

जर्मनी के सत्ताधारी गठबंधन की ओर से जो नया प्रस्ताव था उसे विपक्षी दल सीडीयू/सीएसयू ने जरूरत से ज्यादा उदार माना. उनका कहना था कि ऐसी स्थिति में बेरोजगार नौकरी हासिल करने के लिए प्रयास ही नहीं करेंगे.

सत्ताधारी गठबंधन के पास संसद के निचले सदन से कानून पास कराने का बहुमत तो है लेकिन ऊपरी सदन में सीडीयू/सीएसयू उसे रोक सकती है. यही वजह है के दोनों पक्षों को समझौता करना पड़ा. दोनों पक्षों में समझौते के बाद इसे संसद के दोनों सदनों से पास होने का रास्ता साफ हो गया है.

एनआर/आरपी (रॉयटर्स, डीपीए)

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