पहली बार जाना है सूर्य के इतने करीब
२ जून २०१७इसमें तो कोई दो राय नहीं कि सूर्य है तो जीवन है. ग्रहण के समय यही धधकता आग का गोला चांद के पीछे ढक जाता है और कुछ समय के लिए धरती पर अंधेरा छा जाता है. आइये जानें सूर्य से जुड़ी 8 दिलचस्प बातें.
सूर्य: धधकते आग के गोले की 8 दिलचस्प बातें
इसमें तो कोई दो राय नहीं कि सूर्य है तो जीवन है. ग्रहण के समय यही धधकता आग का गोला चांद के पीछे ढक जाता है और कुछ समय के लिए धरती पर अंधेरा छा जाता है. आइये जानें सूर्य से जुड़ी 8 दिलचस्प बातें.
दुर्लभ ग्रहण
हम धरती से पूर्ण सूर्य ग्रहण देख पाते हैं क्योंकि चंद्रमा धरती के काफी पास है, और इसीलिए ग्रहण के वक्त वह सूर्य को पूरी तरह से ढक पाता है. लेकिन चंद्रमा हर साल 2 सेंटीमीटर की दर से धरती से दूर जा रहा है. इसका मतलब ये हुआ कि करीब 60 करोड़ साल में चंद्रमा धरती से इतनी दूर होगा कि धरती से पूर्ण सूर्यग्रहण नहीं दिख सकेंगे.
आंशिक या पूर्ण
पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के आधार पर एक साल में दो से पांच बार तक सूर्यग्रहण लग सकता है. पृथ्वी के उत्तरी या दक्षिणी ध्रुवों से केवल आंशिक सूर्य ग्रहण ही देखा जा सकता है. यूरोप में 20 मार्च, 2015 को पूर्ण सूर्यग्रहण दिखेगा, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में स्थित इंडोनेशिया जैसे देशों में 9 मार्च, 2016 को.
आंखों को खतरा
आम तौर पर सोलर इक्लिप्स 5 मिनट से लेकर 12 मिनट तक चल सकता है. इस अनोखी प्राकृतिक घटना को कभी भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए. इसके लिए विशेष तरह के चश्मे या माध्यम हैं, जो आपकी आंखों को सूर्य की तेज किरणों से बचा सकते हैं.
सारा द्रव्यमान समेटे
हमारे सौरमंडल का करीब 99.86 फीसदी द्रव्यमान केवल सूर्य में ही है. इसका मतलब यह हुआ कि बाकी 0.14 फीसदी में ही सभी ग्रह और आकाशीय पिंड समाए हैं. हमारी आकाशगंगा में सूर्य करीब 220 किलोमीटर प्रति सेंकड की गति से यात्रा करता है. पूरी आकाशगंगा का एक चक्कर लगाने में सूर्य को भी 22 से 25 करोड़ साल लगते हैं.
मॉन्सटर ग्रैविटी
सूर्य में धरती के आकार के लगभग 10 लाख पिंड समा सकते हैं. धरती पर 70 किलोग्राम वजन वाले इंसान का भार सूर्य की सतह पर करीब 1,960 किलोग्राम होगा. इसका कारण यह है कि सूर्य पर गुरूत्व बल धरती के मुकाबले करीब 28 गुना ज्यादा होता है. सूर्य की सतह पर एक दिन धरती के 25.38 दिनों के बराबर होता है.
धरती को निगलने वाला
सूर्य बेहद गर्म गैसों से बना एक गोला है जिसके केन्द्र का तापमान 1.5 करोड़ डिग्री सेल्सियस है. सूर्य का निर्माण करने वाली करीब 72 प्रतिशत गैस हाइड्रोजन है, जबकि इसका 26 प्रतिशत हिस्सा हीलियम का है. हर सेंकड सूर्य पर करीब 40 लाख टन हाइड्रोजन जलता है. जब हाइड्रोजन का भंडार जल कर खत्म हो जाएगा तब हीलियम जलेगा.
ध्रुवों की अदला बदली
वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि हर 11 साल में सूर्य के ध्रुव बदल जाते हैं. यानि नॉर्थ पोल, साउथ पोल बन जाता है और साउथ, नॉर्थ. सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में अंतिम अदला बदली 2013 के अंत में दर्ज हुई.
ऑरोरा की छटाएं
सूर्य की सबसे दिलचस्प रोशनी ऑरोरा के रूप में नजर आती है. ऐसा तब होता है जब आवेशित कणों वाली सोलर विंड धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराती है. धरती के वातावरण में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन गैसों और प्लाज्मा कणों के टकराने से निकलने वाली ऊर्जा हरे से रंग की रोशनी जैसी दिखती है. ऑरोरा केवल धरती ही नहीं, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून और मंगल ग्रहों पर भी बनते हैं.