विलुप्त ऊनी मैमथ के डीएनए का इस्तेमाल करके मांस से बने एक विशाल मीटबॉल को एक म्यूजियम में पेश किया गया है.
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विलुप्त ऊनी मैमथ के डीएनए का इस्तेमाल करके मांस से बने एक विशाल मीटबॉल को एक म्यूजियम में पेश किया गया है. मांस को मैमथ के डीएनए से प्रयोगशाला में बनाया गया है.
कई हजार साल पहले विलुप्त हो चुके इस विशालकाय जानवर के मांस से बने विशाल कोफ्ते को नीदरलैंड्स के 'निमो' साइंस म्यूजियम में प्रदर्शित किया गया. यह मीटबॉल जिसे कोफ्ता भी कहा जाता है, उसे ऑस्ट्रेलियाई कल्चर्ड मीट कंपनी वाओ (Vow) ने तैयार किया है. कंपनी ने कहा कि आम जनता को इस मीट को 'अप्रैल फूल' का मजाक नहीं समझना चाहिए.
वाओ के संस्थापक टिम नोआकस्मिथ ने कहा, "हम कुछ ऐसा बनाना चाहते थे जो अब मिलने वाली किसी भी चीज से बिल्कुल अलग हो." साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी ने ऊनी मैमथ से मांस का उत्पादन करने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस विशालकाय जानवर के पूरी तरह से विलुप्त होने का कारण जलवायु परिवर्तन था.
ऑस्ट्रेलियाई कंपनी वाओ ने प्रयोगशाला में इस मांस का उत्पादन करने के लिए भेड़ की कोशिकाओं का इस्तेमाल किया, लेकिन इन कोशिकाओं में मैमथ के मायोग्लोबिन नाम के एक जीन को जीन जोड़ा गया.
वाओ के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारी जेम्स रायल ने कहा, "जब मांस की बात आती है, तो मायोग्लोबिन सुगंध, रंग और स्वाद के लिए जिम्मेदार होता है."
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस मांस का उत्पादन करने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले मैमथ के डीएनए और आनुवंशिक सामग्री में कुछ स्थानों पर आनुवंशिक डेटा में कुछ अंतराल थे, जो एक अफ्रीकी हाथी के डीएनए द्वारा भरे गए थे.
क्या खाने लायक है यह मांस
रायल कहते हैं, "यह लगभग फिल्म 'जुरासिक पार्क' की तरह था, लेकिन निर्णायक बात यह है कि हमने इस जीन का इस्तेमाल कल्चर्ड मांस का उत्पादन करने के लिए किया ना कि जानवर को पैदा करने के लिए."
वाओ का कहना है कि इस मांस के उत्पादन में किसी भी जानवर को नहीं मारा गया, क्योंकि कल्चर्ड मीट के उत्पादन में अक्सर मृत बछड़े के खून का इस्तेमाल किया जाता है.
नोआकस्मिथ ने कहा, "इसका प्रोटीन वास्तव में 4,000 साल पुराना है और हमने लंबे समय से इसे नहीं देखा है. इसलिए इसे हम कठोर परीक्षणों से गुजरना चाहते हैं, कुछ ऐसा जैसे कि हम बाजार में लाए जाने वाले किसी भी उत्पाद के साथ करते हैं."
इस 'कल्चर्ड मीट' कंपनी के मुताबिक भविष्य में लैब में तैयार मीट को यूरोपीय संघ में पेश करने की उम्मीद है. लेकिन इस बाजार में ऐसे मीट को भोजन जैसे मांस के रूप में अभी तक विनियमित नहीं किया गया है.
एए/वीके (रॉयटर्स)
धरती के इतिहास में खो गए ये जीव
विशालकाय डायनोसोर किसी समय इसी पृथ्वी पर रहते थे. लेकिन अचानक एक दिन उनका कोई नामोनिशान ना रहा. इसी तरह कई अन्य प्राणी भी अचानक खत्म हो गए. इन तस्वीरों में देखें ऐसे ही कुछ विलुप्त प्राणी.
तस्वीर: imago/alimdi
होमो फ्लोरेसिएन्सिस (हॉबिट)
गंभीर दिखने वाला ये इंसान 2003 में इंडोनेशियाई द्वीप पर मिला. यह सिर्फ एक मीटर लंबा था और जेआरआर टल्कियेन की लॉर्ड ऑफ द रिंग्स कहानी में हॉबिट जैसा दिखता था. इसलिए इसे हॉबिट कहा जाता है. शायद यह आधुनिक मनुष्य से अलग प्रजाति का था. धरती पर दोनों ही रहते थे. करीब 15,000 साल पहले हॉबिट प्रजाति ने दुनिया को अलविदा कह दिया.
तस्वीर: Smithsonian’s Human Origins Program
क्वागा
घोड़े और जेबरा का मिक्स दिखने वाला ये जानवर असल में एक जेबरा है. दक्षिण अफ्रीकी जेबरा की ये एक उप प्रजाति है. लोग इसका शिकार करते और खाने में इसकी टक्कर थी पालतू जानवरों से. क्वागा 1883 में धरती से खत्म हो गया.
तस्वीर: Museum für Naturkunde
ब्रैकियोसॉरस
ये प्राणी धरती से 15 करोड़ साल पहले विलुप्त हो गया था. शाकाहारी ब्रैकियोसॉरस धरती पर रहने वाली सबसे बड़ी प्रजातियों में से एक था. पूरे आकार का डायनोसोर बनने में इसे 10 से 15 साल लगते थे. खूब भूख और बढ़िया मैटाबोलिज्म वाला ये प्राणी 13 मीटर ऊंचा और इससे दुगना बड़ा होता था.
तस्वीर: Museum für Naturkunde
ऊनी मैमथ
आइस एज में जिंदा रहने के लिए वुली मैमथ की खाल बहुत ऊनी होती थी. ये हाथी भी आज के हाथी जितने ही बड़े होते थे. हालांकि ये पांच हजार साल पहले धरती से खत्म हो गए. कारण गर्म होता वातावरण और हमारे पूर्वज शिकारी थे.
तस्वीर: Courtesy of Smithsonian Institution
थाइलैसिन
कुत्ते या भेड़िये जैसा दिखने वाला ये प्राणी तस्मानियाई भेड़िया या तस्मानियाई टाइगर कहलाता है. पेट पर झोली लेकर चलने वाला ये थाइसैलिन हाल के दौर में मांस खाने वाला सबसे बड़ा जानवर था. ऑस्ट्रेलिया का जानवर तस्मानिया के द्वीप पर मिला. यहां आने वाले लोगों ने और उनके कुत्तों ने इसे जीने नहीं दिया. ये 1930 के दशक में खत्म हो गया.
तस्वीर: AMNH/J. Beckett
इंड्रीकोथेरियम
आधुनिक राइनोसॉरस के पड़ पड़ दादा बहुत ही बड़े होते थे. करीब 20 टन के ये बड़े भारी प्राणी शाकाहारी थे. जिंदा रहने के लिए इन्हें बहुत घास, पत्तियों की जरूरत होती. ये मध्य एशिया के जंगलों में राज करते थे. ये मेगा राइनो जंगल खत्म होने के बाद दो करोड़ तीस लाख साल पहले खत्म हो गए.
तस्वीर: AMNH/D. Finnin
साइकोपाइज एलिगांस
समंदर में रहने वाले ये जानवर करीब दो लाख सत्तर हजार साल रहे. लेकिन अचानक 25 करोड़ साल पहले सारे के सारे खत्म भी हो गए. अब ये सिर्फ जीवाश्म ऑक्शन वाली वेबसाइटों पर ही दिखाई देते हैं.
तस्वीर: Museum für Naturkunde
पैसेंजर पिजन
ये है मार्था, पैसेंजर कबूतर. इसे जॉर्ज वॉशिंगटन की पत्नी के नाम पर ये नाम मिला है. सिनसिनाटी जू में कबूतर की ये प्रजाति 1914 में इस कबूतर के साथ खत्म हो गई. इंसान ने इनके रहने के जंगल खत्म कर दिए और फिर इनका भी शिकार किया.
तस्वीर: Donald E. Hurlbert, Smithsonian Institution
एंट्रोडेमस
इस भयानक फोटो के साथ तो इसे जुरैसिक पार्क फिल्म में जगह मिल जानी चाहिए थी लेकिन मिली नहीं. यह पश्चिमी अमेरिका में 15 करोड़ साल पहले दादागिरी करता था. खाद्य श्रृंखला में यह सबसे ऊपर होता था.