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समाजबेल्जियम

बेल्जियम में अब हफ्ते में चार दिन काम कर सकेंगे कर्मचारी

१८ फ़रवरी २०२२

दुनियाभर में कई देश और कंपनियां सप्ताह में चार दिन काम करने का विकल्प देने पर विचार कर रही हैं. बेल्जियम ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है.

बेल्जियम की सरकार अब अपने देश में सभी कर्मचारियों को सप्ताह में चार दिन काम करने का विकल्प देने जा रही है.
दुनिया के कई देशों में अब सप्ताह में चार दिन काम करने की व्यवस्था पर विचार हो रहा है.तस्वीर: Ute Grabowsky/phototheky/picture alliance

यूरोपीय देश बेल्जियम ने नए श्रम सुधारों का एलान किया है. अब जल्द ही यहां के लोगों को सप्ताह में चार दिन काम करने का विकल्प मिल जाएगा. बेल्जियम में कई पार्टियों की गठबंधन सरकार है. सरकार ने सुधारों के जिस पैकेज को मंजूरी दी है, उसके तहत कर्मचारियों को काम के घंटे खत्म होने के बाद काम संबंधी डिवाइस बंद करने और काम संबंधी मेसेजों के जवाब न देने का विकल्प भी मिलेगा.

बेल्जियम के प्रधानमंत्री आलेक्जांडर डी क्रू ने सुधार पैकेज का एलान करते हुए कहा, "पिछले दो साल बहुत मुश्किल में बीते हैं. इस समझौते से हम अर्थव्यवस्था में ऐसी बेहतरी की ओर ले जाएंगे, जो ज्यादा उन्नत, टिकाऊ और डिजिटल होगी. हमारा लक्ष्य लोगों और व्यापारों को और मजबूत बनाना है."

क्या हो सकती है व्यवस्था?

बेल्जियम 'गिग इकोनॉमी' वाला देश है. यानी यहां के ज्यादातर कर्मचारी छोटी मियाद वाले कॉन्ट्रैक्ट के तहत या फ्रीलांस काम करते हैं. नए नियमों के तहत ऐसे कर्मचारियों को बेहतर कानूनी सुरक्षा मिलेगी. वहीं जो लोग नियमित कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे हैं, उन्हें मांग करने पर अपनी जरूरत के मुताबिक यानी लचीले ढंग से काम करने की सुविधा मिलेगी.

हालांकि, इन सुधारों को कानून में शामिल करने में अभी कई महीनों का वक्त लग सकता है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि सुधारों का यह मसौदा कानून की शक्ल लेने से पहले कई सांसदों की निगाह से गुजरेगा. इसके बाद ही इसे कानून के तौर पर लागू किया जाएगा.

बेल्जियम में ज्यादातर लोग छोटी मियाद वाले कॉन्ट्रैक्ट या बतौर फ्रीलांसर काम करते हैं.तस्वीर: Geert Vanden Wijngaert/AP/picture alliance

सरकार की ओर से क्या कहा गया?

बेल्जियम के नए श्रम सुधारों का एक बड़ा हिस्सा इस बात पर केंद्रित है कि कर्मचारियों के काम और निजी जीवन के बीच बेहतर सामंजस्य बिठाया जाए. इसमें निजी और सरकारी, दोनों ही क्षेत्रों में काम करनेवाले कर्मचारी शामिल हैं. इसी के तहत लोगों को यह विकल्प मिलेगा कि वे अपनी कंपनी से यह मांग कर सकते हैं कि वे सप्ताह में चार दिन ही काम करना चाहते हैं.

बेल्जियम के श्रममंत्री पियरे डर्मेगन ने कहा, "इस व्यवस्था के तहत काम करने के लिए कर्मचारी को आवेदन करना होगा. वहीं अगर संस्थान इस आवेदन को अस्वीकार करता है, तो उसे इसके पीछे कोई ठोस वजह बतानी होगी." सूत्रों के हवाले से यह भी बताया जा रहा है कि कर्मचारी छह महीने की अवधि तक के लिए सप्ताह में चार दिन काम करने की मांग कर सकते हैं.

इसके बाद उनके पास चुनने का मौका होगा कि वे इसी तरीके से काम करना चाहते हैं या सप्ताह में पांच दिन काम करने की व्यवस्था में लौटना चाहते हैं. इसका उन पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा. बताया गया कि इसके लिए छह महीने का वक्त इसलिए तय किया गया है, ताकि कर्मचारी कोई गलत फैसला हो जाने पर ज्यादा वक्त तक इसमें न अटके रहें.

अभी क्या है बेल्जियम की व्यवस्था?

बेल्जियम में अभी सप्ताह में पांच दिन काम करने की व्यवस्था है. पांच दिन में लोगों को रोजाना करीब आठ-आठ घंटे काम करना होता है. अगर कोई कर्मचारी चार दिन काम करने का विकल्प चुनता है, तो उसे चार दिनों में ही कुल 38 घंटे काम करना होगा. यानी उसके सप्ताह में काम करने के दिन कम हो जाएंगे, लेकिन उन चार दिनों में काम के घंटे बढ़ जाएंगे. उन्हें 38 घंटे का वक्त मेनटेन रखना होगा.

इसके अलावा इस साल जनवरी महीने में बेल्जियम के सरकारी कर्मचारियों को यह सुविधा दी गई थी कि वह काम खत्म होने के बाद काम संबंधी डिवाइस बंद कर सकते हैं. दफ्तर खत्म होने के बाद काम संबंधी मेसेजों का जवाब देना उनके लिए अनिवार्य नहीं रह गया. अब बेल्जियम के निजी क्षेत्र में काम करनेवाले कर्मचारियों को भी यह सुविधा मिलेगी.

फोर डे वर्किंग वीक व्यवस्था लागू होने से लोगों के पास काम और निजी जिंदगी में सामंजस्य बिठाने की ज्यादा गुंजाइश होगी.तस्वीर: Virginia Mayo/AP/picture alliance

दुनियाभर में हो रहे हैं ऐसे प्रयोग

इससे पहले जनवरी महीने में ही जापान की दिग्गज कंपनी पैनासॉनिक ने कहा था कि वह अपने कर्मचारियों को सप्ताह में चार दिन काम करने का विकल्प देने जा रही है. जापान में कॉरपोरेट सेक्टर में कर्मचारियों के जी-तोड़ मेहनत करने की संस्कृति लंबे समय से चली आ रही है. ऐसे में एक जापानी कंपनी की ओर से ऐसी पेशकश करने को एक वर्ग ने हैरानी की निगाह से भी देखा था.

वैसे यूरोप के कई देशों में कई कंपनियां इस तरह की व्यवस्था को या तो अपना चुकी हैं या इसकी टेस्टिंग कर रही हैं. आयरलैंड में सरकार ने तो बाकायदा एक प्रयोग शुरू किया है, जिसमें कुछ कंपनियां 6 महीने के लिए यह व्यवस्था लागू करके देखेंगी कि इसके कैसे नतीजे मिलते हैं.

भारत में नए लेबर कोड पर मंथन अभी जारी है. सरकार की कोशिश है कि 1 अप्रैल, 2022 से इसका प्रावधान लागू कर दिया जाए. हालांकि, कानून बनने के बावजूद इस व्यवस्था का लागू होना या न होना कंपनी और कर्मचारी की आपसी सहमति पर निर्भर करेगा.

वीएस/ओसजे

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