जीएसटी मतलब गर्ल्स को सताओ टैक्स
२६ अक्टूबर २०१७इस वीडियो में कल्की केवल टैक्स की बात ही नहीं कर रही, बल्कि उन तमाम परेशानियों को भी गिनवा रही हैं जो महिलाओं को "उन दिनों" में झेलनी पड़ती हैं. "अचानक ही हमारी वजह से किचन अपवित्र हो जाता है, दफ्तर में काम रुक जाता है और सैनिटरी पैड देख के लोगों का गला सूख जाता है."
वीडियो में कल्की अपनी निराशा जाहिर कर रही हैं कि सरकार ने सैनिटरी पैड्स पर जीएसटी को 13.7% की "भारी मात्रा से गिरा कर" 12% कर दिया है. वे सवाल कर रही हैं कि जब सब्जियों और कंडोम पर टैक्स नहीं लगता है, तो फिर सैनिटरी पैड्स पर क्यों.
भारत में हर 10 में से केवल 4 ही महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं. पुराना कपड़ा, प्लास्टिक इत्यादि इस्तेमाल करने के कारण महिलाओं में कई तरह की बीमारियां भी देखी गयी हैं. लेकिन समाज में इस पर खुल कर बात नहीं होती. वीडियो में कल्की इस बात पर भी सवाल कर रही हैं कि क्यों सैनिटरी नैपकिन को काले थैले में छिपा कर बेचा जाता है.
इससे पहले शिनाज ट्रेजरीवाला ने भी अप्रैल के महीने में सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने सैनिटरी पैड्स को "लग्जरी आइटम" की श्रेणी में रखे जाने पर चुटकी ली. वित्त मंत्री अरुण जेटली को ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा था कि सैनिटरी नैपकिन जरूरत हैं, लग्जरी नहीं.