एक अरब से ज्यादा पक्षियों की जान लेता कांच
२३ अप्रैल २०२२दिव्या अनंतरामन वॉल स्ट्रीट के पास एक ऑफिस टॉवर के आसपास बनी लकड़ी की बेंच के नीचे अपनी टॉर्च जलाती हैं. इस समय, न्यूयॉर्क की गलियों में बस कुछ ही लोग हैं जिन्हें सुबह जल्दी उठने की आदत है. वह कहती हैं, "लेकिन इसी समय मुझे अपना साप्ताहिक खोज और बचाव अभियान शुरू करना जरूरी है.” वह गगनचुंबी इमारतों से टकराकर मरने और घायल होने वाले पक्षियों की तलाश कर रही हैं. जैसे ही दिन थोड़ा साफ होगा, कर्मचारी फुटपाथों को साफ कर देंगे और मृतकों के सबूत खो जाएंगे.
एनवाईसी ऑडबोन एक शहरी संरक्षण समूह है जो खिड़की की टक्कर से पक्षियों की मौत पर नजर बनाए रखता है. अनंतरामन इसी समूह के लिए वॉलंटियर के तौर पर काम करती हैं. वह अपने रास्ते में पड़ने वाली हर अंधेरी जगह का मुआयना करती हैं और पेड़ों के आसपास देखती हैं. वह पूरी सावधानी से हर जगह का निरीक्षण कर रही हैं, ताकि अगर कोई एक भी पक्षी कांच से टकराकर यहां गिरा हुआ हो, तो वह उसे बचा सकें. अंतत: दो इमारतों को जोड़ने वाली कांच की चमचमाती पुल के पास उन्हें एक मरा हुआ पक्षी मिलता है.
उन्हें लगता है कि यह अमेरिकी वुडकॉक है. इसकी चोंच लंबी होती है. यह प्रवासी पक्षी है. अलबामा और खाड़ी के किनारे बसे अन्य राज्यों में ठंड का मौसम बिताने के बाद वसंत के महीने में, वुडकॉक न्यूयॉर्क के रास्ते गुजरती है. अनंतरामन कहती हैं, "इस पक्षी का शरीर कठोर है. इसका मतलब है कि यह कुछ ही समय पहले मरा है. इसकी आंखों भी बिल्कुल साफ है.” वह इस पक्षी की तस्वीर लेती हैं. अपने अंगूठे से उसकी पलकें बंद करती हैं और उसे अपने गुलाबी बैग में रखती हैं.
एक अरब से ज्यादा पक्षी की मौत
एनवाईसी ऑडबोन का अनुमान है कि हर साल 90,000 से 2,30,000 पक्षी न्यूयॉर्क की इमारतों से टकराकर मर जाते हैं. शहर की रोशनी वाली इमारतें पक्षियों की उड़ान के लिए बहुत बड़ी बाधा हैं, खासकर वसंत और पतझड़ के प्रवास के मौसम में. न्यूयॉर्क दक्षिण अमेरिका के प्रवास के रास्ते में स्थित है, जहां कई पक्षी सर्दी के मौसम में अपना आशियाना बनाते हैं. पक्षी तारों की मदद से अपना रास्ता तय करते हैं. ऐसे में रात में शहरों में उजाला फैलाने वाली कृत्रिम रौशनी उन्हें आकर्षित और विचलित करती है. पक्षियों को लगता है कि वे तारों के प्रकाश की ओर उड़ रहे हैं और आखिरकार वे अनजाने शहर में पहुंच जाते हैं.
एनवाईसी ऑडबोन से जुड़े जीवविज्ञानी कैटलिन पार्किंस कहते हैं, "सबसे बड़ी समस्या परावर्तक कांच है. पक्षी कांच की दीवार को पेड़ समझ लेते हैं. वे उस पर उड़ते हैं, बहुत तेजी से बढ़ते हैं और अक्सर तुरंत मर जाते हैं.” अमेरिका में पक्षियों के इमारतों से टकराने को लेकर कई शोध किए गए हैं. इसके बावजूद, यहां की इमारतें हर साल एक अरब पक्षियों की मौत के लिए जिम्मेदार हैं. पक्षी विज्ञानी डैनियल क्लेम ने 1990 के दशक में इसकी गणना की थी. हालांकि, कांच की खिड़कियां पूरी दुनिया में पक्षियों के लिए मौत का जाल बनी हुई हैं.
क्लेम कहते हैं, "जहां भी पक्षी और कांच का आमना-सामना होता है, वहां पक्षी कांच की चपेट में आ जाते हैं. वे इस खूनी चीज को नहीं देख पाते हैं. सिर्फ गगनचुंबी इमारतें ही नहीं, बल्कि कम और मध्यम ऊंचाई वाली इमारतें भी पक्षियों के लिए काफी खतरनाक हैं.”
क्लेम अब पेनसिल्वेनिया के मुलेनबर्ग कॉलेज में प्रोफेसर हैं. वे पक्षी के संरक्षण की दिशा में, खिड़की से टक्कर को एक बुनियादी समस्या मानते हैं. वह कहते हैं, "एक खतरे के तौर पर, मैं प्राकृतिक आवास नष्ट होने के बाद, दूसरे स्थान पर इस समस्या को रखता हूं. कांच की खिड़कियों की वजह से पक्षी दिग्भ्रमित हो जाते हैं. इस टक्कर से स्वस्थ पक्षियों की भी मौत हो जाती है. प्रजनन में सक्षम पक्षियों के साथ ही हम किसी भी पक्षी को खोने का खतरा मोल नहीं ले सकते हैं.”
अंतरराष्ट्रीय समस्या
हाल के वर्षों में, संरक्षण समूहों और वैज्ञानिकों ने इसकी वजह को सामने लाया है. बिनबिन ली चीन में खिड़कियों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं की निगरानी करने वाले दो समूहों में से एक का नेतृत्व करती हैं. वह ड्यूक कुशान विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान की सहायक प्रोफेसर हैं और उन्होंने अमेरिका में ड्यूक में पीएचडी की है. वहां उनकी मुलाकात विश्वविद्यालय में पक्षी के टक्कर से जुड़ी परियोजना पर काम करने वाले प्रमुख शोधकर्ता से हुई.
वह कहती हैं, "सबसे पहले, मुझे लगा कि यह समस्या सिर्फ ड्यूक या अमेरिका की है. मुझे कभी ऐसा नहीं लगा था कि यह समस्या चीन में भी हो सकती है.” हालांकि, चीन लौटने के महज एक महीने के भीतर उन्हें परिसर में तीन पक्षियों के मरने की रिपोर्ट मिली. छात्रों के समूह के साथ, वह अब सूजाउ में परिसर में उड़ान के दौरान मारे गए पक्षियों की गिनती करती हैं. वह नोट करती हैं कि कई मृत पक्षी कांच के गलियारों के नीचे पाए जाते हैं. ठीक उसी तरह जैसे न्यूयॉर्क में अनंतरामन को वुडकॉक मिलते हैं.
इस समस्या को बेहतर तरीके से समझने के लिए ली ने राष्ट्रीय सर्वे शुरू किया. पक्षियों के तीन प्रमुख प्रवासन रास्ते चीन से होकर गुजरते हैं, लेकिन इन रास्तों पर होने वाली मौतों के आंकड़े अभी भी सीमित हैं. ली कहती हैं, "टक्कर की वजह से पक्षियों की होने वाली मौत के बारे में चीन में ज्यादा जानकारी नहीं है. यहां तक कि विश्वविद्यालयों में भी नहीं.”
कांच को बदलें और लाइट बंद कर दें
कोस्टा रिका में, रोज मैरी मेनाचो ने आठ साल पहले पीएचडी छात्र के तौर पर अपने प्रोफेसर को इस बात के लिए मनाया था कि उन्हें ‘पक्षियों के टकराव' विषय पर शोध करना है. वह याद करते हुए बताती हैं, "वे इस विषय के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे. वह यह नहीं जानते थे कि यह वाकई में एक समस्या थी. मुझे भी यह कहने में संकोच होता था कि मैं इस विषय पर अध्ययन कर रही हूं. मैं थोड़ी शर्मिंदा थी, क्योंकि मुझे लगता था कि यह इतना बड़ा विषय नहीं है.”
उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में इस समस्या के स्तर को समझने के लिए, वह लगभग 500 वॉलंटियर के साथ काम करती हैं. कुछ वॉलंटियर पक्षियों के शव को फ्रीजर में रखते हैं, तो कुछ उससे जुड़ी रिपोर्ट और तस्वीरें भेजते हैं. वह कहती हैं, "प्रवासी प्रजातियों के साथ-साथ स्थानीय प्रजातियां भी दुर्घटना की शिकार होती हैं.” उनके वॉलंटियर को बड़े आकार की चोंच के साथ चमकीले रंग के क्वेट्जल और टौकेन के शव भी मिले हैं. ये दोनों स्थानीय प्रजातियां हैं.
जीव विज्ञानी पार्किंस कहते हैं, "इन पक्षियों को पहले से ही जलवायु परिवर्तन, कीटनाशक वगैरह जैसी समस्या से निपटना पड़ रहा है. अब टकराव की वजह से भी बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत हो रही है. जबकि, इस समस्या का समाधान बेहद आसान है. बस कांच को बदल दें और लाइट को बंद रखें.”
अपने इकट्ठा किए गए डेटा की मदद से पार्किंस और उनकी टीम कांच की इमारतों के मालिक को बदलाव के लिए समझाने की कोशिश कर रही है. आमतौर पर, कांच को पूरी तरह बदलने की जरूरत नहीं है. बस इस पर अलग तरह की पन्नी की परत का इस्तेमाल करना है जो इसे कम परावर्तक बना सकती है. इससे घर भी ठंड़ा रहता है और ऊर्जा की भी बचत होती है.
खिड़कियों पर बने निशान पक्षियों को इसकी संरचना देखने में मदद कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर, जाविट्स कन्वेंशन सेंटर को पक्षियों के अनुकूल बनाया गया. इसके बाद, वॉलंटियर ने पाया कि इमारत के चारों ओर लगभग 90 फीसदी कम मृत पक्षी पाए गए.
न्यूयॉर्क सिटी में जनवरी महीने में नया कानून लागू किया गया, ताकि प्रवास के मौसम में सरकारी इमारतों की लाइट रात में बंद रहे. पिछले साल से यह नियम बनाया गया है कि सभी नई इमारतों को पक्षियों के अनुकूल बनाया जाए. जैसे कि कांच पर पराबैंगनी कोटिंग की जाए, जो पक्षियों को दिखता है लेकिन मनुष्यों को नहीं.
अच्छी शुरुआत हैं नए नियम
मैनहट्टन के दक्षिणी इलाके में एक बड़े कार्यालय और शॉपिंग सेंटर ब्रुकफील्ड प्लेस के सामने फुटपाथ पर, रॉब कूवर एक छोटे पक्षी की जांच कर रहे हैं. अभी अंधेरा ही है. उजाला होने में थोड़ी देर और लगेगी, लेकिन वह आधे घंटे तक मृत पक्षियों की तलाश कर चुके हैं.
वह कुर्सियों के ढेर के पीछे ध्यान से देखते हैं. इन कुर्सियों को जल्दी ही कॉफी शॉप के कर्मचारी दूसरी जगह शिफ्ट करेंगे. यहां उन्हें एक मृत पक्षी मिला है. वह इसकी तस्वीर ले चुके हैं. अब इसके शरीर को सुरक्षित रखने के लिए करेंगे. यहां उन्हें एक मृत पक्षी मिला है. वह इसकी तस्वीर ले चुके हैं. अब इसके शरीर को सुरक्षित रखने के लिए बैग में डालेंगे.
कुछ समय पहले कूवर को एक सुबह एक ही बार में 27 पक्षी मिले थे. उनकी एक सहयोगी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में तब आईं जब पिछले साल सितंबर महीने में उन्होंने एक घंटे में वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के आसपास से 226 मृत पक्षियों को जमा किया था.
कूवर कहते हैं, "यह काफी दुखद है. ये शव हमें निराश करते हैं. कभी-कभी मुझे जीवित पक्षी भी मिलता है और मैं उस घायल पक्षी को बचाने के लिए अभयारण्य में ले जाता हूं.” शव को आमतौर पर वह अपने फ्रीजर में रखते तब तक रखते हैं, जब तक वे संरक्षण समूह के मुख्यालय में नहीं जाते. इन मुख्यालयों में ही शवों को इकट्ठा किया जाता है और कुछ को म्यूजियम में भेजा जाता है.
कूवर आगे कहते हैं, "महामारी के पहले, मैं पक्षियों की खोज करने के बाद ऑफिस चला जाता था और उन्हें ऑफिस के ही फ्रीजर में रख देता था. हालांकि, कभी किसी ने इस पर गौर नहीं किया.”
अमेरिका और कनाडा में, कई समुदायों में वॉलंटियर सक्रिय हैं. साथ ही, पक्षियों को इमारतों से बचाने के लिए कानून बनाने वाली स्थानीय सरकारों की संख्या बढ़ रही है. गैर-लाभकारी संस्था अमेरिकन बर्ड कंजर्वेंसी के मुताबिक, न्यूयॉर्क का कानून सबसे प्रभावी कानूनों में से एक है. लगभग आधी सदी तक पक्षियों के टकराव का अध्ययन करने के बाद डेनियल क्लेम अब खुश हैं. वह आखिरकार उस बढ़ती जागरूकता को देख रहे हैं जिसकी उन्हें उम्मीद थी.
वह कहते हैं, "जलवायु परिवर्तन भी एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है. कोई भी इस पर से ध्यान नहीं हटाना चाहता है, लेकिन यह बहुत जटिल है. चीजों को समझने और लोगों को जिम्मेदारी से काम करने के लिए जागरूक करने में हमें कुछ समय लगेगा. पक्षियों की टक्कर का मामला कुछ ऐसा है जिसका समाधान हम तुरंत कर सकते हैं. यह जटिल समस्या नहीं है. हमारे पास बस इच्छा शक्ति होनी चाहिए.”
रिपोर्ट: कार्लिजन फान होउवेलिंगन