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विज्ञानउत्तरी अमेरिका

आर-पार दिखने वाले मेंढकों में यह खूबी कैसे आती है

२३ दिसम्बर २०२२

छोटे-छोटे मेंढक, जो दूर से देखने पर कांच के बने लगते हैं. आखिरकार वैज्ञानिकों ने इन पारदर्शी मेंढकों का रहस्य पता लगा लिया है.

Glasfrösche
तस्वीर: Jesse Delia/AMNH via AP/picture alliance

ग्लास फ्रॉग कहे जाने वाले ये मेंढक वास्तव में अपनी लाल रक्त कोशिकाओं को छिपा लेते हैं और इस तरह से पारदर्शी बन जाते हैं. ये मेंढक अमेरिकी ऊष्णकटिबंधीय इलाकों के मूलवासी हैं. साइंस जर्नल में छपी एक नई रिसर्च रिपोर्ट में इन मेंढकों के पारदर्शी होने के रहस्य से पर्दा उठाया गया है.

मेंढक से बात करने वाला ऑस्ट्रेलिया का अनोखा प्रोफेसर

पारदर्शी मेंढक

इनका पारदर्शी होना एक तरह का छद्मावरण है. ये मेंढक अपनी पीठ के रंग से मिलती-जुलती पत्तियों पर लेटकर आराम करते हैं. पीठ के बल लेटे होने के कारण इनकी त्वचा का रंग पत्तियों के साथ मिल जाता है और इनकी छाया नहीं बनती. इस तरह से ये सोते समय खुद को सुरक्षित रखने का उपाय करते हैं.

पत्तियों पर आसानी से छिप जाता है ग्सासफ्रॉगतस्वीर: Jesse Delia/AMNH via AP/picture alliance

मेंढक के पेट की त्वचा और मांसपेशियां पारभासी होती है. इसकी वजह से उनकी हड्डियां दिखाई देती हैं और उनकी बाहरी आकृति छिप जाती है. ऐसे में शिकारियों के लिए इन्हें ढूंढ पाना मुश्किल हो जाता है. इस दौरान मेंढक अपनी लाल रक्त कोशिकाओं को अपने यकृत यानी लीवर में छिपा लेते हैं. दोबारा सक्रिय होने पर इन मेंढकों का लाल-भूरा रंग दिखाई देता है.

डायनासोरों को खाने वाला मेंढक

वैज्ञानिकों ने फोटोअकूस्टिक इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल करके इस मेंढक की खूबियों का पता लगाया है. इस तकनीक के दौरान वे उन अल्ट्रासॉनिक तरंगों का नक्शा बनाने में सफल रहे, जो लाल रक्त कोशिकाओं के प्रकाश को अवशोषित करने के दौरान पैदा होती हैं. उन्होंने देखा कि आराम करने के दौरान ग्लास फ्रॉग अपनी पारदर्शिता को दो से तीन गुना तक बढ़ाने में सफल हो जाते हैं. इस दौरान उन्होंने अपनी 90 फीसदी लाल रक्त कोशिकाओं को रक्त प्रवाह से निकालकर यकृत में छिपा लिया था.

इतना ही नहीं, ये अपने अंदरूनी अंगों को भी सिकोड़कर एक जगह जमा कर लेते हैं. इनके यकृत में परावर्ती ग्वानिन क्रिस्टल होते हैं, जो कोशिकाओं को प्रकाश से छिपा लेते हैं. आराम के बाद जब मेंढक दोबारा सक्रिय होते हैं, तो वे रक्त कोशिकाओं को अपने रक्त प्रवाह में वापस ले आते हैं.

आराम के वक्त लाल रक्तकोशिकाओं को लीवर में जमा कर लेता है ग्लाफ्रॉगतस्वीर: Jesse Delia/AMNH via AP/picture alliance

खून में क्लॉटिंग क्यों नहीं होती

रिसर्च रिपोर्ट के सह लेखक जेसे डेलिया ने कहा कि लाल रक्त कोशिकाओं को एक छोटी जगह में जमा करने और फिर वापस प्रवाहित करने के बाद भी इन मेंढकों में किसी तरह की खतरनाक क्लॉटिंग नहीं होती. अगर यह पता चल जाये कि इन मेंढकों में क्लॉटिंग क्यों नहीं होती, तो इसका इस्तेमाल इंसानों के बेहतर इलाज में किया जा सकता है.

वास्तव में यह रहस्य काफी बड़ा है कि ऐसा करने के बावजूद उन्हें कोई नुकसान क्यों नहीं होता. ज्यादातर जीवों में ऑक्सीजन का प्रवाह ले जाने वाली रक्त कोशिकाओं का प्रवाह अगर इतना कम हो जाये और वह भी कई घंटों तक, तो उनका जीवित रहना संभव नहीं होगा. साथ ही, रक्त को एक जगह जमा करने से घातक क्लॉटिंग भी होगी.

अमेरिका का मूल निवासी यह खास मेंढकतस्वीर: Jesse Delia/AMNH via AP/picture alliance

डेलिया का कहना है, "कशेरुकी पारदर्शिता की फिजियोलॉजी के बारे में कई अध्ययनों का पहली बार दस्तावेज जुटाया गया है और उम्मीद है कि यह इन मेंढकों की विशेष फिजियोलॉजी को इंसानों के स्वास्थ्य और चिकित्सा के नये लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद करेगा." जलीय जीवों में छद्मावरण बहुत सामान्य बात है, लेकिन जमीन पर रहने वाले जीवों में यह दुर्लभ है.

एनआर/वीएस (डीपीए, एपी)

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