चीन से ज्यादा भारत को होगा यूक्रेन युद्ध का नुकसानः आईएमएफ
१८ मार्च २०२२
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का मानना है कि यूक्रेन में जारी युद्ध का आर्थिक नुकसान चीन को उतना नहीं होगा जितना भारत को होगा. प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस के व्यापार जारी रखने का संकेत दे चुका है.
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि यूक्रेन युद्ध का चीन को फौरी आर्थिक नुकसान भारत को होने वाले नुकसान की तुलना में काफी कम होगा. आईएमएफ के कम्यूनिकेशन डायरेक्टर गेरी राइस ने मीडिया से बातचीत में गुरुवार को कहा, "ऐसी आशंका है कि यूक्रेन युद्ध भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डालेगा. विभिन्न रास्तों से होने वाला यह नुकसान कोविड-19 के दौरान हुए नुकसान से अलग होगा.”
राइस ने कहा कि तेल की कीमतों में भारी वृद्धि व्यापक आर्थिक नुकसान को दिखाती है. उन्होंने कहा कि इससे महंगाई बढ़ेगी और देशों का घाटा भी. 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था जिसके बाद कच्चे तेल के दामों में काफी बढ़ोतरी हो चुकी है.
निर्यात का फायदा होगा
राइस ने संभावना जताई कि कुछ बातें भारत के पक्ष में जा सकती हैं. उन्होंने कहा, "गेहूं जैसी चीजों के निर्यात से भारत के आर्थिक घाटे में कुछ हद तक कमी हो सकती है.” रूस और यूक्रेन दोनों ही गेहूं के बड़े निर्यातक हैं लेकिन युद्धरत होने के कारण निर्यात नहीं कर पा रहे हैं.इसका फायदा भारत को हो रहा है जिसका गेहूं अंतरराष्ट्रीय खरीददारों के लिए विकल्प बन गया हैइसका फायदा भारत को हो रहा है जिसका गेहूं अंतरराष्ट्रीय खरीददारों के लिए विकल्प बन गया है.
राइस ने कहा कि इस निर्यात का फायदा उतना नहीं होगा क्योंकि युद्ध का अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन की अर्थव्यवस्थाओं पर भी बुरा असर होगा और उनकी आयात क्षमता घट जाएगी. इससे भारत का निर्यात प्रभावित होगा. इसके अलावा सप्लाई चेन में आने वाली बाधाओं का असर भारत के आयात पर पड़ेगा और उसे महंगाई झेलनी होगी. राइस ने कहा, "तंग होतीं वित्तीय स्थितियों और बढ़ती अनिश्चितता के कारण भी घरेलू मांग पर असर पड़ेगा और मौद्रिक हालात तंग होंगे क्योंकि लोगों का अर्थव्यवस्था में भरोसा कम रहेगा.”
कौन खरीदता है रूस का सामान
अमेरिका ने रूस से तेल आयात बंद कर दिया है. लेकिन रूस के बड़े आयातक तो दूसरे देश हैं, जो उससे तेल ही नहीं और भी बहुत कुछ खरीदते हैं. देखिए रूस के 10 सबसे बड़े आयात साझेदार...
तस्वीर: Vasily Fedosenko/ITAR-TASS/imago images
रूसी सामान का सबसे बड़ा खरीददार
चीन रूस का सबसे बड़ा आयातक है. 2021 में रूस के कुल निर्यात का सबसे ज्यादा (13.4 प्रतिशत) चीन को था, जिसकी कुल कीमत 57.3 अरब अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 4,442 अरब भारतीय रुपये थी.
तस्वीर: Costfoto/picture alliance
नंबर 2, नीदरलैंड्स
स्टैटिस्टा वेबसाइट के मुताबिक 2021 में रूस ने यूरोपीय देश नीदरलैंड्स को 44.8 अरब डॉलर का निर्यात किया था जो उसके कुल निर्यात का 10.5 फीसदी था.
तस्वीर: picture alliance/dpa
नंबर 3, जर्मनी
रूस की प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा खरीददार जर्मनी दरअसल उसका तीसरा सबसे बड़ा निर्यात साझेदार है. 2021 में जर्मनी ने रूस से 28 अरब डॉलर का सामान खरीदा, यानी कुल व्यापार का 6.6 प्रतिशत.
तस्वीर: Fabrizio Bensch/REUTERS
नंबर 4, बेलारूस
यूक्रेन युद्ध में खुलकर रूस का साथ दे रहे बेलारूस ने पिछले साल 21.7 अरब डॉलर का आयात रूस से किया था, जो रूस के कुल निर्यात का 5.1 प्रतिशत था.
तस्वीर: Mindaugas Kulbis/AP/picture alliance
नंबर 5, तुर्की
रूस से सामान खरीदने में तुर्की भी पीछे नहीं है. उसने पिछले साल 21.1 अरब डॉलर का सामान खरीदा जो रूस के कुल निर्यात का 5 प्रतिशत था.
दक्षिण कोरिया को रूस ने 2021 में 16.4 अरब डॉलर का सामान बेचा जो उसकी कुल बिक्री का 3.8 प्रतिशत था.
तस्वीर: Ahn Young-joon/AP/picture alliance
नंबर 7, इटली और कजाखस्तान
नंबर 7, इटली और कजाखस्तान रूस के कुल निर्यात का 3.4 प्रतिशत यानी लगभग 14.3 अरब डॉलर इटली को जाता है. इतना ही निर्यात कजाखस्तान को भी हुआ.
तस्वीर: Guglielmo Mangiapane/REUTERS
नंबर 8, ब्रिटेन
रूसी निर्यात में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 3.1 प्रतिशत की है. पिछले साल उसने रूस से 13.3 अरब डॉलर का सामान खरीदा.
तस्वीर: empics/picture alliance
नंबर 9,अमेरिका
अमेरिका ने बीते साल रूस से 13.2 अरब डॉलर का आयात किया, जो रूस के कुल निर्यात का 3.1 प्रतिशत था.
तस्वीर: Kena Betancur/AFP/Getty Images
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आईएमएफ ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर खासी अनिश्चितता जताई है. राइस ने पत्रकारों से कहा, "संक्षेप में मुझे लगता है कि भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर खासी अनिश्चितता है. मैं तो यही कहूंगा कि अनिश्चितता और बढ़ गई है और इस बात पर निर्भर करेगी कि कितना बड़ा धक्का लगता है और व्यापक आर्थिक स्तर पर उठाए जा रहे खतरों का फायदा पहुंचता है या नहीं. और बेशक, इस बात पर भी कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार क्या नीतियां अपनाती है.”
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चीन को नुकसान कम
चीन के बारे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की आशंकाएं इतनी गंभीर नहीं हैं. राइस ने कहा कि यूक्रेन युद्ध का चीन पर इतना ज्यादा असर नहीं होगा. उन्होंने कहा, "चीन पर इस संघर्ष का फौरी असर तुलनात्मक रूप से कम होगा. ऊंची तेल कीमतें घरेलू उपभोग को प्रभावित कर सकती हैं जिसका असर निवेश पर होगा लेकिन कीमतों की तय सीमा इस असर को कम कर देगी.”
उन्होंने कहा कि चीन का रूस को निर्यात उसके कुल निर्यात का बहुत छोटा हिस्सा है लेकिन बाकी देशों पर होने वाले असर के नुकसान उसे झेलने पड़ सकते हैं. उन्होंने कहा, "उसके व्यापार साझीदारों पर होने वाले असर उसकी वृद्धि को धीमा कर सकते हैं. सप्लाई चेन में बाधाओं और वित्तीय बाजारों में बहुत ज्यादा उथल-पुथल होती है तो भी चीन प्रभावित हो सकता है.”
अगले महीने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं की संभावना बताने वाली रिपोर्ट जारी होनी है. राइस ने कहा कि इस रिपोर्ट में तस्वीर और ज्यादा स्पष्ट हो पाएगी
रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)
कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.