दुनिया भर में सेनाओं और हथियारों पर फिलहाल जितना खर्च हो रहा है, उतना अब तक कभी नहीं हुआ. 2023 में इसने एक नया रिकॉर्ड कायम किया.
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स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (सिपरी) का कहना है कि दुनिया में इस वक्त हथियारों, गोला-बारूद और दूसरे सैन्य साज-ओ-सामान पर विभिन्न देश जितना धन खर्च कर रहे हैं, उतना इससे पहले कभी नहीं हुआ.
सोमवार को जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में सिपरी ने कहा है कि 2023 में वैश्विक सैन्य खर्च एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया. इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में सैन्य खर्च 2022 के मुकाबले 6.8 फीसदी बढ़कर 24.4 खरब डॉलर पर पहुंच गया. 2022 में यह खर्च22.4 खरब डॉलर था.
2009 के बाद यह एक साल में सबसे बड़ी वृद्धि है और लगातार नौवां साल है जब खर्च बढ़ा है. इस वृद्धि में जिन दस देशों का योगदान सबसे ज्यादा है उनके सैन्य खर्च में बेतहाशा वृद्धि हुई है. इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध की भी इस वृद्धि में बड़ी भूमिका है.
कूटनीति का इस्तेमाल घटा
सिपरी के शोधकर्ता लॉरेंजो स्काराजातो ने डीपीए को बताया, "हम जिन क्षेत्रों के खर्चों पर नजर रखते हैं, उन सभी में वृद्धि हुई है. इससे संकेत मिलता है कि दुनिया अब कम सुरक्षित महसूस कर रही है और कूटनीति के बजाय दूसरे तरीकों की ओर जा रही है.”
किसके पास कितने परमाणु बम हैं?
स्वीडन के थिंक टैंक सिपरी के मुताबिक दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या फिर बढ़ने लगी है. देखिए, किस देश के पास कितने परमाणु बम हैं.
तस्वीर: KCNA VIA KNS/AFP
रूस सबसे ऊपर
रूस आज भी परमाणु हथियारों के सबसे बड़े जखीरे पर बैठा है. 2023 की शुरुआत में उसके पास 4,489 परमाणु हथियार थे. पिछले साल इस जखीरे में 12 नए बम जुड़े.
3,708 परमाणु हथियारों के साथ अमेरिका दूसरे नंबर पर है. हालांकि पिछले साल उसने कोई नया परमाणु हथियार नहीं जोड़ा.
तस्वीर: abaca/picture alliance
चीन अब तीसरे नंबर पर
अब चीन तीसरे नंबर पर आ गया है. पिछले साल उसने 60 नए परमाणु हथियार बनाए और अब उसके पास 410 बम हैं.
तस्वीर: ANTHONY WALLACE/AFP
फ्रांस
फ्रांस ने पिछले साल नए परमाणु हथियार नहीं बनाए और अब भी उसके हथियारों की संख्या 290 है.
तस्वीर: AP
यूनाइटेड किंग्डम
पांचवें नंबर पर यूके है, जिसने पिछले साल जखीरे में कुछ नया नहीं जोड़ा. उसके पास कुल 225 परमाणु हथियार हैं.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
पाकिस्तान
पाकिस्तान ने पिछले साल अपने जखीरे में पांच नए हथियार जोड़े और कुल संख्या अब 170 हो गई है.
तस्वीर: ISPR HO/epa/dpa/picture-alliance
भारत
सूची में सातवें नंबर पर भारत है, जिसके पास 164 परमाणु हथियार हैं. इनमें चार पिछले साल जोड़े गए.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल को आधिकारिक रूप से परमाणु शक्ति का दर्जा हासिल नहीं है, लेकिन सिपरी के मुताबिक उसके पास 90 परमाणु हथियार हैं.
तस्वीर: Kobi Gideon/Gpo/dpa/picture alliance
उत्तर कोरिया
पिछले साल पांच नए हथियार जोड़कर उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु हथियारों की संख्या 30 कर ली है.
तस्वीर: KCNA VIA KNS/AFP
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स्काराजातो ने कहा कि देश तनाव और अस्थिरता महसूस करते हैं और उसे हल करने के लिए कूटनीतिक तरीकों का सहारा लेने के बजाय सख्त सुरक्षा उपायों पर निर्भर हो रहे हैं, जिससे सैन्य खर्च में निवेश बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा, "(वृद्धि के) मुख्य कारकों में से एक तो रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध है. हमने देखा है कि कैसे यूरोप में सैन्य खर्चएकाएक बढ़ा है.”
सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देशों में अमेरिका अब भी सबसे ऊपर बना हुआ है. 2023 में अमेरिका ने 916 अरब डॉलर इस मद में खर्च किए जो दुनियाभर के कुल खर्च का 37 फीसदी यानी एक तिहाई से भी ज्यादा है.
दूसरे नंबर पर चीन है, जिसका खर्च अमेरिका से लगभग एक तिहाई है. उसने 296 अरब डॉलर खर्च किए, जो कुल खर्च का 12 फीसदी है. यह 2022 से 6 फीसदी ज्यादा है. इन दोनों देशों ने ही कुल खर्च में आधे का योगदान दिया.
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भारत चौथा सबसे बड़ा देश
2022 में जो सबसे ज्यादा खर्च करने वाले पांच देश थे, वे 2023 में ज्यों के त्यों बने रहे हैं. तीसरे नंबर पर रूस है. उसके बाद भारत और सऊदी अरब का नंबर है. 2023 में रूस का खर्च 2022 के मुकाबले 24 फीसदी बढ़कर 109 अरब डॉलर पर पहुंच गया. 2014 में जब रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन से अलग किया था, तब के बाद से यह 57 फीसदी की वृद्धि है. रूस अपनी जीडीपी का 5.9 फीसदी सेना पर खर्च कर रहा है.
ये देश खरीदते हैं सबसे ज्यादा हथियार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) की सालाना रिपोर्ट बताती है कि बीते पांच साल में दुनियाभर में सबसे ज्यादा हथियार भारत और सऊदी अरब ने खरीदे. देखिए, कौन से देश हैं सबसे बड़े खरीददार...
सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और सऊदी अरब दुनिया के सबसे ज्यादा हथियार खरीदते हैं. इन्होंने 2016 से 2020 के बीच कुल बिके हथियारों का 11-11 प्रतिशत हिस्सा खरीदा है. हालांकि 2012-16 के मुकाबले भारत का आयात 21 प्रतिशत घटा है.
तस्वीर: U.S. Navy/Zuma/picture alliance
सऊदी अरब
2012-16 के मुकाबले बीते पांच साल में सऊदी अरब में हथियारों का आयात 27 प्रतिशत बढ़ा है और यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक बना हुआ है.
तस्वीर: Jon Gambrell/AP/picture alliance
मिस्र, दूसरे नंबर पर
सिप्री में मिस्र को दूसरे नंबर पर रखा गया है जिसने कुल हथियार आयात का 5.7 प्रतिशत हिस्सा खरीदा. पिछले पांच साल में उसने 2012-16 के मुकाबले 73 प्रतिशत ज्यादा हथियार खरीदे हैं.
हाल ही में अमेरिका और ब्रिटेन से पनडुब्बी समझौता करने वाला ऑस्ट्रेलिया 5.4 प्रतिशत हथियार खरीदकर तीसरे नंबर पर है.
तस्वीर: Amanda R. Gray/U.S. Navy via AP/picture alliance
चीन
सिप्री की रिपोर्ट कहती है कि चीन अब खुद हथियार बनाने में बहुत प्रगति कर चुका है लेकिन तब भी वह दुनिया के कुल आयात का 4.8 प्रतिशत खरीद रहा है. चीन ही एकमात्र ऐसा देश है जो हथियार बेचने वालों में भी पांचवें नंबर पर है.
तस्वीर: Yang Pan/Xinhua/picture alliance
म्यांमार का आयात घटा
बीते पांच साल में म्यांमार की हथियार खरीद 32 प्रतिशत कम हो गई है. उसके पास कुल आयात का सिर्फ 0.6 प्रतिशत हिस्सा गया.
तस्वीर: Yirmiyan Arthur/AP Photo/picture alliance
इस्राएल का आयात बढ़ा
2012-16 से तुलना की जाए तो इस्राएल ने बीते पांच साल में 19 प्रतिशत ज्यादा हथियार खरीदे हैं.
तस्वीर: Rafael Ben-Ari/Chameleons Eye/Newscom/picture alliance
ताइवान का आयात घटा
चीन के साथ संबंधों में तनाव झेल रहे ताइवान का आयात बीते पांच साल में तो 68 प्रतिशत घट गया है लेकिन आने वाले सालों में उसकी हथियार खरीद में बड़ी वृद्धि की संभावना जताई गई है.
तस्वीर: Daniel Ceng Shou-Yi/ZUMAPRESS.com/picture alliance
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सैन्य खर्च के मामले में चौथा सबसे बड़ा देश भारत है जिसने 83.6 अरब डॉलर खर्च किए. 2022 के मुकाबले यह 4.2 फीसदी ज्यादा था. यूक्रेन सैन्य खर्च के मामले में आठवां सबसे बड़ा देश रहा. उसका खर्च 51 फीसदी बढ़कर 64.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो उसकी कुल जीडीपी का 37 फीसदी है.
सैन्य खर्च में सबसे बड़ी वृद्धि डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में देखी गई, जहां सरकार और विद्रोहियों के बीच युद्ध जारी है. उसका खर्च 105 फीसदी बढ़ा है.
मध्य पूर्व में सऊदी अरब के बाद सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देश इस्राएल ने 2022 से 24 फीसदी ज्यादा, 27.5 अरब डॉलर खर्च किए. उधर ईरान क्षेत्र में चौथा सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश रहा जिसने 10.3 अरब डॉलर का कुल खर्च किया. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक ईरान में सेना पर होने वाला खर्च 2019 में 27 फीसदी था जो अब बढ़कर 37 फीसदी हो चुका है.