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रिपोर्ट: हर सात सेकंड में एक गर्भवती महिला या शिशु की मौत

१० मई २०२३

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक साल 2015 से कई देश मातृ और शिशु मृत्युदर को नियंत्रित करने के लक्ष्य से दूर रहे हैं.

DW Eigendreh Nepal Schwangerschaft Geburtshilfe
तस्वीर: DW

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक नयी रिपोर्ट में कहा है कि पिछले आठ सालों के दौरान, गर्भवती महिलाओं, माताओं और शिशुओं की असमय होने वाली मौतों में कमी लाने के प्रयासों में वैश्विक प्रगति थम गई है.

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि गर्भावस्था और प्रसव के दौरान मातृ एवं शिशु मृत्युदर को कम करने में प्रगति पिछले आठ वर्षों में स्थिर रही है. यूएन एजेंसी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा दरों पर 60 से अधिक देश 2030 तक इन मौतों को कम करने के अपने लक्ष्यों को पूरा करने के रास्ते से दूर हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 के बाद से सालाना लगभग 2.90 लाख मातृत्व मौतें होती हैं, 19 लाख स्टिलबर्थ होते हैं और 23 लाख नवजात शिशुओं की जन्म के पहले महीने के भीतर ही मौत हो जाती है.

कोरोना, गरीबी और मानवीय संकटों से दबाव बढ़ा

डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा कोविड-19 महामारी, गरीबी और बिगड़ते मानवीय संकटों ने पहले से ही तनावपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर दबाव और बढ़ा दिया है. एक सौ से अधिक देशों में किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक हर दस में से सिर्फ एक देश के पास ही स्वास्थ्य योजनाओं को लागू करने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल लगभग 45 लाख महिलाओं और शिशुओं की गर्भावस्था, प्रसव या जन्म के बाद के शुरुआती हफ्तों में मौत हो जाती है. यह हर सात सेकेंड में होने वाली एक ऐसी मौत है, जिसकी रोकथाम या बचाव, उपयुक्त इलाज के जरिये किया जा सकता है.

डब्ल्यूएचओ में मातृ, नवजात शिशु, बाल एवं किशोर स्वास्थ्य व आयु वृद्धि मामलों की निदेशक डॉक्टर अंशु बनर्जी कहती हैं कि देशों को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में निवेश बढ़ाने की जरूरत है ताकि वर्तमान की तुलना में अलग परिणाम देखने को मिल सकें.

असमय मौत को रोकने की कोशिश

साल 2014 में 190 से अधिक देशों ने शिशुओं के बीच स्टिलबर्थ और असमय होने वाली मौतों की दर में कटौती करने की योजना का समर्थन किया था और बाद में मातृ मृत्यु अनुपात को प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 70 से कम करने जैसे वैश्विक लक्ष्य निर्धारित किये थे.

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान अनुमान इन मृत्युदर में कमी के लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में तेजी लाने की आवश्यकता का संकेत देते हैं. इन लक्ष्यों को पूरा करने से 2030 तक कम से कम 78 लाख लोगों की जान बचाने में मदद मिल सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2000 और 2010 के बीच इस संबंध में प्रगति काफी तेज थी, लेकिन बाद में मुख्य रूप से धन की कमी समेत अन्य कारणों से स्थिति और खराब हो गई. इस रिपोर्ट द्वारा कवर किये गये 106 देशों में से केवल 12 प्रतिशत ने मातृ और नवजात स्वास्थ्य योजनाओं को पूरी तरह से वित्तपोषित किया था.

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि इनमें से केवल 61 प्रतिशत देशों में स्टिलबर्थ की निगरानी के लिए सिस्टम मौजूद हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में सबसे ज्यादा मातृ एवं शिशु मृत्यु में से 60 फीसदी दस देशों में हुईं. 2020 में भारत, नाइजीरिया और पाकिस्तान इन देशों की सूची में सबसे ऊपर थे.

एए/वीके (रॉयटर्स, एएफपी)

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