विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने गुरुवार, 8 जुलाई को कहा कि अगले पांच वर्षों में वैश्विक तापमान में वृद्धि जारी रहेगी और यह अस्थायी रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है.
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वैश्विक समझौते के तहत दुनिया के देशों ने दीर्घकालीन औसत तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तरों से 1.5-2 डिग्री सेल्सियस के भीतर सीमित करने का लक्ष्य निर्धारित किया था. इसका मतलब यह नहीं है कि दुनिया लंबी अवधि की तापमान वृद्धि सीमा 1.5 डिग्री को पार कर जाएगी. तापमान के इस स्तर को वैज्ञानिकों ने विनाशकारी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचने के लिए निर्धारित किया है.
डब्ल्यूएमओ के सचिव पेटेरि तालस कहते हैं, "लेकिन यह तापमान के बढ़ने की प्रवृत्ति को दर्शाता है. यह उस विशाल चुनौती को रेखांकित करता है जिसकी वजह से देशों ने पेरिस समझौते के तहत वैश्विक तापमान को 2 डिग्री के भीतर सीमित रखने का लक्ष्य रखा है."
इसी समझौते के तहत देशों को ग्रीन हाउस गैसों में कटौती करने के लिए कहा गया था. पेरिस जलवायु समझौता मूल रूप से वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने से जुड़ा है. साथ ही यह समझौता सभी देशों को वैश्विक तापमान बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने की कोशिश करने के लिए भी कहता है. तभी जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभावों से बचा जा सकता है.
डब्ल्यूएमओ का कहना है कि 20 फीसदी संभावना है कि औसत सालाना तापमान 1.5 डिग्री के स्तर को साल 2020-2024 के बीच कभी भी छू लेगा. इस बीच, उन वर्षों में से प्रत्येक में पूर्व-औद्योगिक स्तरों से कम से कम 1 डिग्री ऊपर होने की "संभावना" है. लगभग हर क्षेत्र इसका प्रभाव महसूस करेगा.
डब्ल्यूएमओ के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया, जहां पिछले साल जंगलों में आग लगी थी और सैकड़ों एकड़ की भूमि बर्बाद हो गई थी, शायद वहां सामान्य से अधिक सूखा होगा. जबकि अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में बहुत बरसात हो सकती है. वहीं यूरोप में और अधिक तूफान आएंगे तो उत्तरी अटलांटिक में तेज गति में हवाएं चलेंगी.
दरअसल यह तापमान, बारिश और हवा के पैटर्न की अल्पकालीन अवधि के पूर्वानुमान मुहैया कराने के लिए डब्ल्यूएमओ के नए प्रयास का हिस्सा है. इसके जरिए देशों को यह जानने में मदद मिलेगी कि कैसे जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में बदलाव हो रहा है.
हालांकि, दुनिया शायद दीर्घकालीन 1.5 डिग्री तापमान वृद्धि के स्तर को अगले एक दशक तक कम से कम नहीं छू पाएगी. लेकिन डब्ल्यूएमओ की कोशिश है कि वह छोटी अविध की भविष्यवाणी देकर देशों को बड़े विनाश से बचा सके.
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साफ होती गंगा
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झगड़ा करते भूखे बंदर
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