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भयानक जल संकट की तरफ बढ़ चुकी है दुनिया

२२ मार्च २०२३

दुनिया भर में पानी का संकट विकराल होता जा रहा है. यूएन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दशकों में सबसे ज्यादा मुसीबत भारतीय शहर झेलेंगे. इस जल संकट को टालने के लिए अभूतपूर्व वॉटर कॉन्फ्रेंस हो रही है.

बेंगलुरू में पानी का संकट
तस्वीर: Aijaz Rahi/AP Photo/picture alliance

7.8 अरब की इंसानी आबादी वाली धरती में पानी की खपत लगतार बढ़ रही है. विश्व जल दिवस के मौके पर आई यूनेस्को की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त दुनिया की 10 फीसदी आबादी गंभीर जल संकट का सामना कर रही है. यह संकट समय बीतने के साथ गहराता जा रहा है. यही हालात रहे तो 2050 तक शहरों में रहने वाले 1.7 अरब से 2.4 अरब इंसानों को पानी के लिए बेहद परेशान होना पड़ेगा. इसकी सबसे ज्यादा मार भारतीय शहरों पर पड़ेगी.

बाढ़ के बाद लाखों पाकिस्तानी दूषित जल पीने को मजबूर

फिलहाल कृषि क्षेत्र पानी की सबसे ज्यादा खपत करता है. विश्व में मौजूद मीठे जल का 70 फीसदी हिस्सा कृषि में खर्च होता है. पानी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भूजल का ज्यादा दोहन हो रहा है. इसकी वजह से दुनिया भर के भूजल भंडार में हर साल 100-200 घन किलोमीटर की कमी आ रही है.

70 फीसदी पानी कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होता हैतस्वीर: DW

एक डिग्री का सात फीसदी कनेक्शन

ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण, अब हर साल दुनिया के कुछ हिस्से बाढ़ का शिकार हो रहे हैं तो कुछ गंभीर सूखे का. तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी होने पर नमी सात फीसदी बढ़ती है. नमी बढ़ने का मतलब है, असमय तेज बारिश. बाढ़, भूस्खलन, फसलों की बर्बादी और पेयजल का दूषित होना भी इसके सीधे परिणाम होते हैं.

सन 2000 से 2019 के बीच बाढ़ से 650 अरब डॉलर का नुकसान हुआ. एक लाख लोग मारे गए. इसी दौरान 14 लाख लोग गंभीर सूखे की चपेट में आए और इस सूखे से भी करीब 130 अरब डॉलर का नुकसान हुआ.

आठ अरब लोग स्थाई रूप से एक साथ एक ग्रह पर कैसे रह सकते हैं?

बुधवार से न्यूयॉर्क में यूएन वॉटर कॉन्फ्रेंस हो रही है. कॉन्फ्रेंस से पहले यह रिपोर्ट जारी करते हुए यूनेस्को की डायरेक्टर जनरल ऑद्री अजौलाय ने कहा, "वैश्विक जल संकट के बेकाबू होने से पहले उसे टालने के लिए एक ताकतवर अंतरराष्ट्रीय मैकेनिज्म को तुरंत स्थापित करने की जरूरत है."

अजौलाय के मुताबिक, "पानी हमारा साझा भविष्य है, यह बहुत ही जरूरी है कि हम मिलकर काम करें और इसे समानता और टिकाऊ तरीके से साझा करें."

चेन्नई बाढ़ और सूखा झेलने वाला महानगरतस्वीर: Sri Loganathan/ZUMA/picture alliance

विवादों का विस्फोट

वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से पैदा हो रहे जल संकट से 2050 तक वैश्विक जीडीपी को छह फीसदी नुकसान पहुंचेगा. इसका सबसे ज्यादा असर कृषि, स्वास्थ्य, आमदनी और रिहाइशी इलाकों पर पड़ेगा. बड़े पैमाने पर लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा और विवाद भी भड़क सकते हैं.

यूएन के क्लाइमेट एक्सपर्ट्स के पैनल, आईपीसीसी ने भी सोमवार को कुछ ऐसी ही चेतावनी दी, "करीबन दुनिया की आधी आबादी अब हर साल, कुछ समय के लिए गंभीर पानी की किल्लत झेल रही है." बढ़ती आबादी को साफ पेयजल पहुंचाने का खर्च ही इस दशक के अंत तक तीन गुना बढ़ जाएगा.

साझा नदियों वाले देशों में बढ़ रहे पानी के बंटवारे को लेकर झगड़ेतस्वीर: Jordi Boixareux/Zuma/Imago Images

हर तरफ से नुकसान

पानी की कमी का असर जैवविधता और तमाम किस्म के इकोसिस्टमों पर भी पड़ रहा है. पौधों और वनस्पतियों की कई प्रजातियां उजड़ रही हैं. रिपोर्ट के चीफ एडिटर रिचर्ड कॉर्नर कहते हैं कि साझेदारी और पार्टनरशिप के बिना इन चुनौतियों से निपटना मुश्किल होगा. कॉर्नर के मुताबिक पानी का अधिकार, एक मानवाधिकार की तरह है, जिसे चुनौती मिल रही है, "अगर हम इस पर ध्यान नहीं देते हैं तो निश्चित रूप से वैश्विक संकट आएगा."

न्यूयॉर्क में 50 साल में पहली बार तीन दिन की यूएन वॉटर कॉन्फ्रेंस हो रही है. नीदरलैंड्स और ताजिकिस्तान इसके सहमेजबान हैं. अपनी तरह की पहली इस कॉन्फ्रेंस में पूरा ध्यान पानी से जुड़ी नीतियों पर दिया जाएगा.

ओएसजे/एडी  (डीपीए, एएफपी, रॉयटर्स)

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