जनरल मोटर्स ने कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स शो 2021 में एक ऐसी कार को पेश किया है जो बिना ड्राइवर के खुद से उड़ेगी और लैंड भी करेगी. भविष्य की जरूरतों को देखते हुए कंपनी ने इस तरह के कॉन्सेप्ट को पेश किया है.
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कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स शो (सीईएस) 2021 में जनरल मोटर्स ने भविष्य की खुद से उड़ने और उतरने वाली कॉन्सेप्ट कार को पेश किया. इस कॉन्सेप्ट कार का नाम कैडिलैक है. कोरोना महामारी की वजह से इस साल सीईएस का आयोजन वर्चुअल तरीके से हो रहा है. कैडिलैक अपने यात्री को सीधे हवा में ले जा सकती है और फिर जमीन पर उतार सकती है, यह सब कुछ बिना ड्राइवर के मुमकिन है. जनरल मोटर्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस सिद्धांत को "व्यक्तिगत परिवहन के भविष्य को फिर से परिभाषित करने वाला" बताया है. उड़ने वाली कार कैडिलैक में एक यात्री सफर कर सकता है, तकनीकी रूप से यह सीधे जमीन से ऊपर उड़ान भर सकती है और एक छत से दूसरी छत पर सफर कर सकेगी.
कार की रफ्तार 88.5 किलोमीटर तक जा सकती है. कार पूरी तरह से खुद से चलने वाली और इलेक्ट्रिक है, जिसमें 90 किलोवॉट का मोटर लगा है. उड़ने वाली कैडिलैक को कंपनी की मुख्य कार्यकारी मैरी बर्रा ने एक वीडियो के जरिए पेश किया. कंपनी ने परिवार के लिए अनुकूल एक इलेक्ट्रिक वाहन भी पेश किया.
उड़ने वाली कार की खासियत
मैरी बर्रा ने पिछले साल बताया था कि उनकी कंपनी हवाई परिवहन के रूप में इस तरह के वैकल्पिक परिवहन साधनों पर काम कर रही है. जनरल मोटर्स के डिजाइन प्रमुख माइक सिमकोय के मुताबिक, "वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (वीटीओएल) भविष्य के लिए जनरल मोटर्स की दृष्टि की कुंजी है." उड़ने वाली कैडिलैक की बॉडी बहुत हल्की है, इसमें जीएम अल्टियम बैटरी पैक है और इसमें चार रोटर लगाए गए हैं. कार के आगे और पीछे स्लाइडिंग दरवाजे लगे हुए हैं. कार में बायोमीट्रिक सेंसर, वॉयस कंट्रोल और हाथ के इशारे समझने वाली विशेषता दी गई है. कार के वीडियो को पेश करने के दौरान बताया गया कि यह जल्द ही आने वाली है. कंपनी ने उड़ने वाली कैडिलैक के बारे में और अधिक बताने से मना किया है.
उबर, टोयोटा, ह्यूंडई समेत अन्य कंपनियां भी उड़ने वाली कारों पर काम कर रही हैं. कुछ स्टार्टअप भी इस तरह की कार पर काम कर रही है.
कारों को सुरक्षित बनाने के लिए विकसित देशों में कई कड़े नियम हैं. सड़क पर आने से पहले कारों को क्रैश टेस्ट भी पास करना होता है. कैसे किया जाता है क्रैश टेस्ट.
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एनकैप और एडीएसी
जर्मन मोबाइल क्लब एडीएसी और यूरोपियन न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम (यूरो एनकैप) यूरोप के कई देशों में माना जाता है. यूरोपीय बाजार में नया मॉडल उतारने से पहले कार कंपनियों को इनके टेस्ट पर खरा उतरना पड़ता है. इसमें कई तरह से कार की जांच की जाती है, उसके बाद ही गाड़ी को सड़क पर उतरने की अनुमति दी जाती है. एनकैप की दुनिया भर में शाखाएं हैं.
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फ्रंट क्रैश टेस्ट की तैयारी
सीधी टक्कर होने पर कार में सवार लोगों को क्या होगा, यह जानने के लिए फ्रंट क्रैश टेस्ट किया जाता है. कार की अगली दो सीटों पर इंसान जैसी डमी बैठाई जाती है. पिछली सीट पर सेफ्टी सीट के साथ बच्चा होता है.
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फिर सामने से टक्कर
इसके बाद कार को 64 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से लोहे के ढांचे पर भिड़ाया जाता है. टक्कर को कई कैमरों से फिल्माया जाता है. इसका स्लो मोशन वीडियो भी बनाया जाता है. देखा जाता है, कार कितनी उछली, कितने एयरबैग खुले, कब खुले. बच्चे को क्या हुआ. गाड़ी के अंदर बैठायी डमी को कहां कहां कितनी चोट आई.
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साइड क्रैश
फ्रंट क्रैश टेस्ट के बाद साइड क्रैश टेस्ट होता है. इसमें 50 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से आ रही एक फ्रंट लोडेड क्रैन जैसी गाड़ी को टेस्ट की जा रही कार पर साइड से मारा जाता है. साइड एयरबैग न हो तो इसके परिणाम घातक होते हैं.
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पोल क्रैश टेस्ट
इसमें कार को सामने और साइड से पोल से टकराया जाता है. इसके जरिये पोल या पेड़ से टकराने पर होने वाले असर का पता लगाया जाता है.
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रोल ओवर टेस्ट
इस टेस्ट में गाड़ियों को पलटाया जाता है. इस दौरान यह देखा जाता है पलटने पर साइड बॉडी और उलटने पर छत कितना दबाव बर्दाश्त कर सकते हैं. ज्यादातर विकसित देशों में बसों और सार्वजनिक वाहनों के लिए यह अनिवार्य टेस्ट है क्योंकि यहां मामला यात्री सुरक्षा का है.
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कहां हैं भारतीय कारें
सुरक्षा के लिहाज से भारत में बिकने वाली ज्यादातर कारें अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी नहीं उतरतीं. सस्ती और किफायती कार बनाने के चक्कर में कार कंपनियों को क्वॉलिटी से समझौता करना पड़ता है.
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कैसे कैसे समझौते
भारत में बिकने वाली छोटी कारों में अब भी एयरबैग और एंटी ब्रेकिंग सिस्टम (एबीएस) नहीं होता. एयरबैग सिर और छाती की चोट से बचाता है. वहीं एबीएस, तेज ब्रेक मारने पर पहियों को एक ही दिशा में लॉक नहीं होने देता है
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कौन कौन नाकाम
भारत में बिकने वाली पांच कारें हाल ही में ग्लोबल एनकैप के टेस्ट में नाकाम रहीं. इनमें फ्रेंच कंपनी रेनो की क्विड, जापानी कंपनी सुजुकी की इको और सिलेरियो और हुंडई की इयोन शामिल है. ये तो छोटी या मझोली कारें हैं. महिंद्रा की एसयूवी और बेहद लोकप्रिय स्कॉर्पियो भी टेस्ट में फेल हो गई.
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सख्त होंगे नियम
भारत सरकार ने कहा है कि 2017 से भारत में भी कारों के लिए क्रैश टेस्ट रेगुलेशन लागू होगा. फिलहाल जो कारें सड़कों पर हैं उनके लिए भी 2019 सेफ्टी चेक रेगुलेशन आएगा.