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पूर्वोत्तर भारत में सोने की तस्करी में तेजी

प्रभाकर मणि तिवारी
२१ फ़रवरी २०२३

बीते आठ महीने में इस इलाके में तस्करी से पहुंचने वाला दो सौ किलो से ज्यादा सोना जब्त किया गया है. इसमें से 60 फीसदी के मेघालय-मिजोरम सीमा से होकर भारत आने का अनुमान है.

सोने का बिस्कुट (प्रतीकात्मक फोटो)
सोने का बिस्कुट (प्रतीकात्मक फोटो)तस्वीर: Chris McGrath/Getty Images

पूर्वोत्तर में म्यांमार से सटे इलाके नशीली वस्तुओं की तस्करी के लिए तो पहले से ही कुख्यात थे और इसे गोल्डन ट्रेंगल या स्वर्ण त्रिकोण के नाम से जाना जाता था. अब मिजोरम व मेघालय से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा सोने की तस्करी के लिए कुख्यात हो गई है. हाल ही में कस्टम अधिकारियों ने मणिपुर के चंदेल जिले से एक तस्कर के कब्जे से सोने की 40 बिस्कुट जब्त किए जिनकी कीमत करीब तीन करोड़ रुपए है.

राजस्व खुफिया विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हाल के महीनों में मिजोरम और बांग्लादेश से सोने की तस्करी में काफी तेजी आई है. वर्ष 2021-22 में जितना सोना पकड़ा गया था, उसमें से 37 फीसदी म्यांमार के रास्ते भारत पहुंचा था. मोटे अनुमान के मुताबिक बीते करीब आठ महीनों के दौरान इस इलाके में तस्करी से पहुंचने वाला दो सौ किलो से ज्यादा सोना जब्त किया गया है. इसमें से 60 फीसदी मेघालय-मिजोरम सीमा से होकर देश में आया था.

पूर्वोत्तर का यह इलाका पहले म्यांमार और थाईलैंड से अवैध रूप से पहुंचने वाले नशीली वस्तुओं की तस्करी के लिए मशहूर था. इलाके में कई राज्यों की सीमा म्यांमार और बांग्लादेश से मिलती है. वहां से आने वाली नशीली वस्तुएं विभिन्न तरीके से देश के अलग-अलग शहरों में भेजी जाती थी. लेकिन इलाके के तस्करों ने अब सोने की तस्करी पर ध्यान केंद्रित किया है. खासकर म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद भारत से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा बंद होने के बाद तस्करों की पौ-बारह हो गई है. मिजोरम और म्यांमार की सीमा ज्यादातर खुली है. तस्कर इसी का फायदा उठाते हैं. कई मामलों में म्यांमार से भाग कर मिजोरम पहुंचने वाले बेरोजगार युवक भी तस्करी में शामिल पाए गए हैं.

भारत और म्यांमार के बीच की सीमा का इस्तेमाल कर रहे हैं तस्करतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari/DW

खाड़ी देशों का सोना पीछे छूटा

कस्टम विभाग के एक शीर्ष अधिकारी आंकड़ों के हवाले बताते हैं, "वर्ष 2019 से बीते साल नवंबर के बीच असम और दूसरे पूर्वोत्तर राज्यों से तस्करी से आने वाला नौ सौ किलो जब्त किया गया है. बांग्लादेश और म्यांमार से लगी खुली सीमा ने तस्करी को बढ़ावा दिया है.” वह बताते हैं कि भारत में सोने की सबसे ज्यादा तस्करी अब म्यांमार से होने लगी है. वर्ष 2021-22 में देश में डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) ने तस्करी से जरिए भारत में पहुंचा जितना सोना पकड़ था, उसमें से 37 फीसदी म्यांमार के रास्ते भारत पहुंचा था. देश में पकड़े गए अवैध सोने में से 20 फीसदी सोना खाड़ी देशों से आया था. तस्करी के जरिए भारत आए सोने में सात फीसदी बांग्लादेश के रास्ते भारत पहुंचा था। इसी तरह 36 फीसदी सोना अन्य देशों से तस्करी के जरिए भारत पहुंचा था.

क्या कहती है तस्करी पर खास रिपोर्ट

डीआरआई की ओर से तैयार भारत में तस्करी शीर्षक एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमावर्ती इलाकों में विभिन्न एजेंसियों की ओर से निगरानी तेज होने के बाद अब तस्कर सोने की तस्करी के लिए नए-नए तरीके ईजाद कर रहे हैं. कूरियर के जरिए सोने की तस्करी बढ़ी है. हवाई मार्ग से आने वाले तस्कर अपने शरीर के अलावा सामान में सोना छिपा लेते हैं. कई बार इस धातु को पेस्ट या पावडर की शक्ल में भी ले आया जाता है. कुछ तस्कर अपने मोबाइल व लैपटॉप में छिपा कर सोना ले आता हैं.

इस रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में देश में सोने की तस्करी के मामले बढ़ गए थे. बीते साल तस्करी के कुल 160 मामले पकड़े गए थे. इनमें कुल 833.07 किलो सोना पकड़ा गया जिसकी कीमत 405.35 करोड़ रुपए है. 2020-21 और 2021-22 में डीआरआई ने जितना सोना पकड़ा, उसमें से ज्यादातर म्यांमार से तस्करी के जरिए लाया गया था.

हवा के रास्ते बंद होने पर खुले ये रास्ते

कोरोना काल में एयर ट्रैफिक बंद होने से जमीन के रास्ते (रोड और रेल) सोने की तस्करी बढ़ गई थी. इसमें से अधिकांश सोना म्यांमार के रास्ते भारत पहुंचा था. भारत और म्यांमार की सीमा की निगरानी करना बहुत मुश्किल है और तस्कर इसी बात का फायदा उठाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार सीमा से लगते मणिपुर के तामू-मोरे-इंफाल रूट और मिजोरम के सीमावर्ती इलाके से देश में सोने की सबसे ज्यादा तस्करी हो रही है. हालांकि डीआरआई ने अब इन इलाकों में पर निगरानी बढ़ाई है जिससे बड़ी मात्रा में सोना पकड़ा गया है.

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डीआरआई अधिकारियों का कहना है कि पहले नेपाल से लगी पश्चिम बंगाल सीमा से ही सोने की ज्यादातर तस्करी होती थी. लेकिन वहां निगरानी बढ़ने के बाद यह अवैध कारोबार अब पूर्वोत्तर सीमा पर शिफ्ट हो गया है. एक अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं, भारत में नोटबंदी के बाद सोने की तस्करी घट गई थी. लेकिन इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ने, तीन फीसदी जीएसटी लागू होने और कई अन्य वजहों से हाल के दिनों में इसमें तेजी आई है.

विशेषज्ञों का कहना है कि डालर के मुकाबले रुपए की कीमत गिरने के कारण सोने के आयात पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने इम्पोर्ट ड्यूटी 12.5 से बढ़ा कर 15 फीसदी कर दिया था. लेकिन इसकी वजह से इस पीले धातु की तस्करी में तेजी आई है.

क्यों है बाहर के सोने की मांग

तस्करी के जरिए देश में पहुंचने वाला सोना मुंबई के सर्राफा बाजार में बाजार मूल्य से तीन से चार फीसदी कम दर पर बेचा जाता है. इसके अलावा सीमा पार कराने पर छह से सात फीसदी खर्च होता है. बावजूद इसके सोने के तस्कर इस पर छह से सात फीसदी मुनाफा कमाते हैं. इसकी एक वजह देश में सोने पर टैक्स की ऊंची दर (जीएसटी समेत 18 फीसदी) है.

सर्राफा बाजार विशेषज्ञ चिराग सेठ कहते हैं, "तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को इम्पोर्ट ड्यूटी में भारी कटौती करनी चाहिए. इससे जो नुकसान होगा वह सोने की तस्करी के कारण राजस्व को होने वाले नुकसान के मुकाबले कम होगा.”

एसोसिएशन ऑफ गोल्ड रिफाइनरीज एंड मिंट्स के पूर्व सचिव जेम्स जोस का कहना है कि सोने की कीमत में सालाना पांच से 15 फीसदी तक उतार-चढ़ाव होता है. जब तक सोने पर इम्पोर्ट ड्यूटी को मौजूदा 15 से घटाकर पांच फीसदी नहीं किया जाता, इसकी तस्करी फलती-फूलती रहेगी.

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