गूगल ऐसा एआई टूल तैयार कर रहा है जो शोध करने और न्यूज रिपोर्ट लिखने में पत्रकारों की मदद करेगा. लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे पत्रकारों की नौकरी खतरे में तो नहीं पड़ जाएगी.
विज्ञापन
दुनिया की अग्रणी टेक कंपनी गूगल का कहना है कि वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित जो टूल विकसित कर रही है, उसका उद्देश्य समाचार रिपोर्टिंग में पत्रकारों की आवश्यक भूमिका की जगह लेना नहीं है. बल्कि ये टूल शोध करने और लेख लिखने में पत्रकारों की मदद करेंगे.
गूगल ने गुरुवार को कहा कि वह एआई आधारित टूल विकसित करने के लिए मीडिया कंपनियों - विशेष रूप से छोटे प्रकाशकों- के साथ काम कर रहा है. कंपनी का कहना है यह टूल "पत्रकारों को न्यूज हेडलाइन लिखने या अलग-अलग लेखन शैलियों के विकल्पों में सहायता कर सकते हैं."
गूगल की प्रवक्ता जेन श्राइडर ने इस संबंध में कंपनी के शुरुआती प्रयासों के बारे में कहा, "हमारा लक्ष्य पत्रकारों को इन उभरती प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करने का विकल्प देना है जिससे उनका काम और उत्पादकता बढ़े."
उन्होंने कहा, "हम यह साफ करना चाहते हैं कि इन टूल्स का उद्देश्य पत्रकारों की अपने विषयों की रिपोर्टिंग, न्यूज क्रिएट करना और फैक्ट चेकिंग जैसे काम की जगह लेना नहीं है. यह टूल केवल पत्रकारों को राइटिंग स्टाइल और खबरों के लिए हेडलाइन का सुझाव देंगे."
फेसट्यूनिंग: एक खतरनाक जुनून
04:19
नई बहस छिड़ने की संभावना
गूगल के इस कदम से चैटजीपीटी जैसे एआई-संचालित प्लेटफार्मों के बढ़ते जोखिमों और फायदों के बारे में बहस छिड़ने की संभावना है. चूंकि एआई टूल्स ने इंसानी भाषा की नकल करने की अपनी क्षमता से यूजर्स को हैरान कर दिया है, इसने कॉपीराइट उल्लंघन, फेक न्यूज और मशीनों के बढ़ते इस्तेमाल के बारे में में भी चिंताएं बढ़ा दी हैं.
वैश्विक स्तर पर आर्थिक सुस्ती के कारण पहले हीमीडिया उद्योग पर संकट के बादल छाए हुए हैं. सिर्फ अमेरिका में इस साल के शुरूआती पांच महीनों में सैकड़ों पत्रकारों की नौकरी जा चुकी है.
गूगल के जेनेसिस नाम के इस टूल पर रिपोर्ट सबसे पहले द न्यूयॉर्क टाइम्स ने दी थी. उसने बताया कि गूगल अपने नए टूल को द न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूज कॉर्प जैसे ऑर्गेनाइजेशन के सामने प्रेजेंटेशन दे चुका है.
टाइम्स के मुताबित कुछ प्रमुख मीडिया हस्तियों, जिन्होंने गूगल की पेशकश को देखा है इस पर चिंता व्यक्त की.
एए/सीके (रॉयटर्स)
एआई पर कैसे कानून बनाएंगी सरकारें?
एआई में हो रही तरक्की से कई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं. दुनियाभर में सरकारें तकनीक के इस्तेमाल को लेकर कानून बनाने की कोशिश कर रही हैं. जानिए कि एआई टूल्स को रेगुलेट करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं.
तस्वीर: ingimage/IMAGO
अमेरिका
अप्रैल 2023 में सेनेटर माइकल बेनेट ने एक बिल पेश किया, जिसमें एआई पर नीतियां बनाने के लिए एक टास्क फोर्स के गठन का प्रस्ताव था. साथ ही, इसमें यह भी देखे जाने की बात कही गई कि निजता, नागरिक अधिकार और यथोचित प्रक्रिया पर संभावित खतरों को कैसे घटाया जाए. बाइडेन प्रशासन ने भी कहा है कि वह एआई सिस्टमों की जिम्मेदारी तय करने पर जनता की भी राय लेगी.
तस्वीर: Jaap Arriens/NurPhoto/picture alliance
ऑस्ट्रेलिया
यहां "दी साइंस एडवाइजरी कमेटी" (एसएसी) विज्ञान से जुड़े मामलों में परामर्श देने वाली मुख्य समिति है. सरकार इससे सलाह लेकर अगले कदमों पर विचार कर रही है.
तस्वीर: Andrea Verdelli/Getty Images
ब्रिटेन
ब्रिटेन ने मार्च में बताया था कि एआई के नियमन के लिए नया विभाग बनाने की जगह मानवाधिकार, स्वास्थ्य-सुरक्षा जैसे पक्षों को देखने वाले मौजूदा रेगुलेटरों में ही जिम्मेदारी बांटी जा रही है. फाइनैंशल कंडक्ट अथॉरिटी समेत कई सरकारी विभागों को एआई से जुड़ी नई गाइडलाइनों की रूपरेखा बनाने का जिम्मा सौंपा गया है. तस्वीर में: एआई की बनाई ब्लैक होल की एक तस्वीर.
तस्वीर: ingimage/IMAGO
चीन
चीन, एआई के इस्तेमाल और संभावित खतरों से भी चिंतित है. कारोबारी ईलॉन मस्क ने अपनी हालिया चीन यात्रा में अधिकारियों से हुई मुलाकात के बाद बताया कि चीन की सरकार अपने यहां एआई से जुड़े नियम बनाएगी. इससे पहले अप्रैल में साइबरस्पेस अडमिनिस्ट्रेशन ऑफ चाइना (सीएसी) ने जेनरेटिव एआई सेवाओं के प्रबंधन से जुड़े मापदंडों का मसौदा पेश किया था.
तस्वीर: Omar Marques/SOPA/ZUMA/picture alliance
यूरोपीय संघ
यूरोपीय संसद इसी महीने ईयू के एआई ऐक्ट का मसौदा बनाने पर वोट करने वाला है. यूरोपियन कंज्यूमर ऑर्गनाइजेशन ने भी चैटजीपीटी और अन्य एआई चैटबोट्स पर चिंता जताई है. उसने ईयू की कंज्यूमर प्रोटेक्शन एजेंसियों से इस तकनीक से लोगों को होने वाले संभावित नुकसान की पड़ताल करने की भी अपील की है.
तस्वीर: Andreas Franke/picture alliance
फ्रांस
अप्रैल 2023 में फ्रांस की डेटा प्रोटेक्शन एजेंसी सीएनआईएल ने बताया कि वह चैटजीपीटी से जुड़ी कई शिकायतों की जांच कर रहा है. इसका संदर्भ निजता से जुड़े कानूनों के संभावित उल्लंघन की आशंका के मद्देनजर इटली में चैटबॉक्स पर लगे अस्थायी बैन से जुड़ा है.
तस्वीर: Knut Niehus/CHROMORANGE/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल इनोवेशन अथॉरिटी में नेशनल एआई प्लानिंग के निदेशक जिव कत्सिर ने बीते दिनों बताया कि पिछले करीब 18 महीनों से एआई रेगुलेशन्स पर काम हो रहा है. मकसद है नई खोज, मानवाधिकार की सुरक्षा और नागरिक हितों के बीच सही संतुलन बनाना. अक्टूबर 2022 में इस्राएल ने 115 पन्नों की एआई पॉलिसी का मसौदा जारी किया था. आखिरी फैसला लेने से पहले जनता से भी फीडबैक लिया जा रहा है.