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तकनीकसंयुक्त राज्य अमेरिका

क्वांटम कंप्यूटर बनाने की दिशा में अहम कदम है गूगल का 'विलो'

१० दिसम्बर २०२४

गूगल ने सोमवार को एक नया क्वांटम कंप्यूटिंग चिप "विलो" पेश किया. इसे एक बड़ी सफलता बताया जा रहा है, जो क्वॉन्टम कंप्यूटिंग को और ज्यादा ताकतवर बना सकता है.

गूगल की क्वांटम एआई लैब
गूगल की क्वांटम एआई लैब में भविष्य के कंप्यूटर बनाने पर शोध होता हैतस्वीर: Frederic J. Brown/AFP/Getty Images

गूगल क्वांटम एआई के संस्थापक हार्टमुट नेवेन के अनुसार, "विलो" मिनटों में वह काम कर सकता है, जिसे करने में बड़े सुपरकंप्यूटर को 10 सेप्टिलियन साल लगेंगे. नेवेन ने बताया, "यह समय 1 के बाद 25 शून्य लगाने जैसा है. यह एक अविश्वसनीय संख्या है."

सेप्टिलियन साल का मतलब है इतना ज्यादा समय, जो गिनना भी लगभग असंभव हो. इसे लिखें तो यह होगा: 1,000,000,000,000,000,000,000,000. इतना समय ब्रह्मांड की उम्र (13.8 अरब साल) से भी करोड़ों गुना ज्यादा है. इसे सिर्फ यह समझने के लिए बताया जाता है कि जो काम क्वांटम कंप्यूटर मिनटों में कर सकता है, वो कितना कठिन है, .

अहम कदम

नेवेन की 300 लोगों की टीम का लक्ष्य ऐसा क्वांटम कंप्यूटर बनाना है, जो असंभव समस्याएं हल कर सके. जैसे सुरक्षित फ्यूजन ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन रोकना. गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, "विलो हमारे लिए उपयोगी क्वांटम कंप्यूटर बनाने की यात्रा में एक अहम कदम है. इससे दवा की खोज, बैटरी डिजाइन और फ्यूजन ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में मदद मिलेगी."

नेवेन के मुताबिक, ऐसे क्वांटम कंप्यूटर बनने में सालों लगेंगे लेकिन "विलो" ने उस दिशा में बड़ी प्रगति की है. वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में यह तकनीक कई क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है. क्वांटम रिसर्च को अमेरिका और चीन दोनों ने रणनीतिक क्षेत्र माना है. दोनों ने इसमें भारी निवेश किया है. वहीं, अमेरिका ने इस तकनीक के निर्यात पर पाबंदी लगाई है.

क्वांटम तकनीकों के विशेषज्ञ ओलिविएर एजराटी के मुताबिक पिछले पांच सालों में इस क्षेत्र में निजी और सरकारी निवेश 20 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है. इस दिशा में एआई भी एक अहम तकनीक साबित हो रही है. हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट ने एक नया एआई वाला पीसी निकाला था जो पर्सनल कंप्यूटर की दुनिया में नया मोड़ कहा जा रहा है.

क्या है क्वांटम कंप्यूटिंग

क्वांटम कंप्यूटिंग गणना करने की ऐसी तकनीक है, जो परंपरागत कंप्यूटर से काफी अलग है. सामान्य कंप्यूटर "बिट्स" पर काम करते हैं, जो या तो 1 या 0 हो सकते हैं. लेकिन क्वांटम कंप्यूटर "क्यूबिट्स" पर काम करते हैं. क्यूबिट्स एक साथ 1 और 0 दोनों हो सकते हैं, जिसे "सुपरपोजिशन" कहते हैं.

सामान्य कंप्यूटर बाइनरी तरीके से काम करते हैं. वे डेटा के छोटे हिस्से (बिट्स) के जरिए काम करते हैं, जो या तो 1 या 0 होते हैं. लेकिन क्वांटम कंप्यूटर का डेटा (क्यूबिट्स) 1 और 0 दोनों एक साथ हो सकता है. इससे यह कई संभावित परिणाम एक साथ निकाल सकता है.

सबसे अहम बात, गूगल का चिप गलतियों को कम करने में ज्यादा सक्षम है. यह क्षमता 30 सालों से शोधकर्ताओं को नहीं मिल पाई थी. इस सफलता को "नेचर" जर्नल में प्रकाशित किया गया. इसमें दिखाया गया कि अधिक क्यूबिट्स जोड़ने पर गलतियां कम हुईं. यह क्वांटम कंप्यूटर बनाने के लिए जरूरी कदम है.

गूगल के क्वांटम हार्डवेयर निदेशक जूलियन केली के अनुसार, गलतियों में सुधार "अंतिम लक्ष्य" है और गूगल इस राह पर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है.

क्वांटम कंप्यूटर में है अपार संभावनाएं

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इसके अलावा, क्यूबिट्स में एंटैंगलमेंट नाम की खासियत होती है. इसका मतलब है कि एक क्यूबिट का असर दूसरे क्यूबिट पर भी पड़ता है, चाहे वे कितनी भी दूरी पर हों. इन गुणों की वजह से क्वांटम कंप्यूटर कई समस्याओं को एक साथ हल कर सकता है.

क्वांटम कंप्यूटिंग का इस्तेमाल जटिल समस्याओं को हल करने में हो सकता है, जैसे नई दवाओं की खोज, मौसम पूर्वानुमान, साइबर सुरक्षा, और बड़े डाटा का विश्लेषण. इसे भविष्य की तकनीक माना जा रहा है.

हालांकि, क्वांटम कंप्यूटर अभी अपने शुरुआती दौर में हैं. इन्हें बनाना और चलाना बहुत चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि क्यूबिट्स बहुत संवेदनशील होते हैं. लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि आने वाले समय में यह तकनीक पूरी दुनिया को बदल सकती है.

वीके/सीके (एएफपी)

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